ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस के लक्षण, बचाव और उपचार

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ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस (Black fungus or Mucormycosis) के मामले भारत में तेज़ी से बढ़ रहे हैं. भारत में इसके 8800 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. अब इस नए संक्रमण से बचाव क्या है और इसका लक्षण और उपचार (Black fungus ke lakshan aur upchar) क्या है?

भारत अभी भी कोरोना महामारी (Corona pandemic) की दूसरी लहर से पूरी तरह उबर नहीं सका है. बीते दो सप्ताह से कोरोना संक्रमण के मामलों में भले ही कमी आई हो लेकिन अब भी हर रोज़ संक्रमण के दो लाख से अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं और मरने वालों की संख्या भी तीन हज़ार से चार हज़ार के बीच है. जानकार कोरोना महामारी की तीसरी लहर को लेकर भी चिंता ज़ाहिर कर चुके हैं. इन सबके बीच भारत में ब्लैक फ़ंगस के मामले (Bharat mein Black fungus ke mamle) भी तेज़ी से बढ़ रहे हैं. आमतौर पर इस संक्रमण को म्यूकरमायकोसिस कहा जाता है. जिसमें मृत्यु दर क़रीब पचास फ़ीसद है. जबकि कई ऐसे मरीज़ हैं जिनकी आंख निकालने के बाद ही उनकी ज़िंदगी बचायी जा सकी.

ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस से कोरोना संक्रमित मरीज ज्यादा प्रभावित (Black fungus or Mucormycosis)

भारत में ऐसे हज़ारों मामले सामने आए हैं जिसमें कोविड19 से ठीक हो चुके और ठीक हो रहे मरीज़ ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस प्रभावित हुए हैं. इसका संबंध कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाले स्टेरॉयड से है. इसमें भी मधुमेह रोगियों को इससे विशेष तौर पर ख़तरा है.

  • देश में ब्लैक फ़ंगस के आधे से अधिक मामले पश्चिमी राज्य गुजरात और महाराष्ट्र में दर्ज किये गए
  • कम से कम 15 अन्य राज्यों में भी आठ सौ से नौ सौ मामले सामने आए

फ़ंगस इंफ़ेक्शन के कारण भारत के 29 राज्यों को इस बीमारी को महामारी घोषित करने के लिए कहा गया है. डॉक्टरों का कहना है कि देश भर में इस बीमारी से पीड़ित मरीज़ों के इलाज के लिए जिन नए वॉर्ड की व्यवस्था की गई है वे तेज़ी से भरते जा रहे हैं. आंकड़े बताते हैं की ब्लैक फ़ंगस संक्रमण अब कोविड19 की तुलना में अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है. अगर मरीज़ों को सही समय पर सही इलाज नहीं मिला तो मृत्युदर 94 फ़ीसद तक हो सकती है. इस बीमारी का इलाज भी महंगा है और दवाइयों की आपूर्ति भी पर्याप्त नहीं है.

ब्लैक फंगस (Black Fungus) से संक्रमित व्यक्ति की आंख निकाली गई, म्यूकरमाइकोसिस (Mucormycosis) को भी ‘महामारी’ माने

ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस का इलाज क्या है? (Black fungus ya mucormycosis ka ilaaj kya hai)

एम्फ़ोटेरिसन बी या एम्फ़ो-बी एक एंटी-फ़ंगल एंट्रावेनस इंजेक्शन है जिसे ब्लैक फ़ंगस के मरीज़ों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है. उन्हें यह इंजेक्शन आठ सप्ताह तक हर रोज़ दिया जाना चाहिए. दवा के दो रूप मौजूद है- स्टैंडर्ड एम्फोटेरिसिन बी डीऑक्सीकोलेट और लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन.

ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस के लक्षण क्या है? (Mucormycosis ke lakshan)

म्यूकरमायकोसिस में ये लक्षण पाए जाते हैं – नाक बंद हो जाना, नाक से ख़ून या काला तरल पदार्थ निकलना, आंखों में सूजन और दर्द, पलकों का गिरना, धुंधला दिखना और आख़िर में अंधापन होना. मरीज़ के नाक के आसपास काले धब्बे भी हो सकते हैं. कुछ मामलों में मरीज़ों की दोनों आंखों की रोशनी चली जाती है. कुछ दुर्लभ मामलों में डॉक्टरों को मरीज़ का जबड़ा भी निकालना पड़ता है ताकि संक्रमण को और फैलने से रोका जा सके.

ब्लैक फंगस (Black Fungus) किन लोगों को बना रहा अपना शिकार ?

अभी तक जितने भी मरीज ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस से प्रभावित हुए हैं उनमें ज्यादातर मरीज डायबिटीज के शिकार थे. मुंबई के दो अस्पतालों में 45 ब्लैक फ़ंगस संक्रमित मरीज़ों पर हुए अध्ययन में पाया गया है कि सभी संक्रमित मधुमेह से पीड़ित थे या फिर जब उन्हें भर्ती किया गया तो उनमें मधुमेह की शिकायत का पता चला. एक अन्य शोध में 100 ऐसे लोगों पर अध्ययन किया गया जिन्हें कोरोना संक्रमण हुआ था और बाद में म्यूकरमायकोसिस संक्रमण. इस शोध में पाया गया कि इनमें 79 पुरुष थे जिन्हे ब्लैक फ़ंगस संक्रमण हुआ. जबकि 89 ऐसे लोग थे जिन्हें मधुमेह की शिकायत थी.

हमारे शरीर के किस हिस्से को प्रभावित करती है यह फंगस?

ये फंगस साइनस, दिमाग़ और फेफड़ों को प्रभावित करती है और डायबिटीज़ के मरीज़ों या बेहद कमज़ोर इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) वाले लोगों जैसे कैंसर या एचआईवी/एड्स के मरीज़ों में ये जानलेवा भी हो सकती है.

ब्लैक फंगस का उपचार क्या है? (Black fungus ka upchar kya hai)

ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस का उपचार बहुत महंगा है और बहुत सीमित. इसलिए जो मरीज इस दुर्लभ बीमारी के शिकार होते हैं उनकी जान बचाना डॉक्टरों के लिए बड़ी चुनौती होता है. इसके इलाज़ के लिए एंटी-फंगल इंजेक्शन की ज़रूरत होती है जिसकी एक खुराक़ की कीमत 3500 रुपये है. इंजेक्शन रोजाना 8 हफ्तों तक देना पड़ता है. इस इंजेक्शन के अलावा इस इन्फेक्शन को रोकने का कोई दूसरा उपचार नहीं है.

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