शर्मनाक: गंगा किनारे दफन ‘सरकारी पाप’ बाहर आए, योगी प्रशासन ने दाह संस्कार कराए
प्रयागराज ज़िले के फाफामऊ इलाक़े में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान गंगा किनारे रेत में बड़ी संख्या में शव दफ़नाए गए थे. गंगा नदी में छोड़े गए पानी की वजह से ये शव पानी में तैरने लगे या फिर रेत के हट जाने से बाहर दिखने लगे.
“कोरोना त्रासदी के दौरान यहां तमाम ऐसे शव आए जो कोरोना संक्रमित मरीज़ों के थे लेकिन उनके परिजन ने उनकी कोई ख़बर नहीं ली, हमने उस समय भी ऐसे दस से ज़्यादा शवों के अंतिम संस्कार कराए थे.” राजनीति ऑनलाइन से बात करते हुए नगर निगम के ज़ोनल अधिकारी नीरज सिंह ने हमें ये अहम जानकारी दी. प्रयागराज में गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ ही पिछले दिनों रेत में दबाए गए शव बाहर दिखने लगे हैं. नगर निगम के अधिकारी इन लावारिस शवों का हिंदू रीति-रिवाज के साथ दाह संस्कार कर रहे हैं. अब तक 150 से भी ज़्यादा शवों का दाह संस्कार किया जा चुका है.
गंगा किनारे दफन है सरकारी पाप!
प्रयागराज और आस-पास के ग्रामीण इलाक़ों में हुई इन मौतों की वजह से लोगों ने श्रृंगवेरपुर, फाफामऊ, छतनाग जैसी जगहों पर शवों को गंगा किनारे दफ़ना दिया था. प्रयागराज में श्रृंगवेरपुर और फाफामऊ में गंगा नदी में जलस्तर बढ़ने से कछारी इलाक़ा डूबने लगा है जिसकी वजह से दफ़न किए गए शवों के ऊपर से पानी बहने लगा. नगर निगम के अधिकारियों के मुताबिक़, पहले तो हर दिन चार या पाँच शव ही मिल रहे थे लेकिन बाद में एक-एक दिन में 30 से भी ज़्यादा शवों का दाह संस्कार कराना पड़ा. स्थानीय लोगों के मुताबिक़, शव अक्सर नदी में तैरते दिख जाते हैं जिसकी वजह से गंगा में स्नान करने वाले लोग भी काफ़ी कम आ रहे हैं.
गंगा किनारे संक्रमण फैलने का डर
गंगा किनारे रहने वाले लोग डरे हुए भी हैं क्योंकि बरसात में इनकी वजह से संक्रमण फैलने और गंगा के पानी के भी संक्रमित होने की आशंका है. डेड बॉडी को डिकंपोज़ (नष्ट) होने में यानी उन्हें गलने में एक साल का समय लगता है. यहां डेड बॉडी के साथ कफ़न और ऐसी तमाम चीज़ें भी हैं. बरसात में ये सब चीज़ें इसी पानी में सड़ेंगी और इन सबका असर पर्यावरण पर होगा. आपको बता दें की अप्रैल और मई के महीने में गंगा किनारे बड़ी संख्या में शवों के दफ़नाने को लेकर काफ़ी हँगामा हुआ था.
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