मणिपुर हिंसा: वो सच जिसे छिपाना चाहती है केंद्र सरकार

मणिपुर हिंसा: बीजेपी की केंद्र राज्य की डबल इंजन सरकार और मीडिया मिलकर मणिपुर के इतने भयानक हत्याकांड को छिपाए हुए थे. लेकिन अब ये दुनिया के सामने आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र की सरकार को हड़काया है.
हिंदुस्तान टाइम्स की हेडलाइन 55 मौत बता रही है, लेकिन अंदर की खबर कहीं अधिक संख्या की ओर इंगित कर रही है.
उधर अमित शाह कर्नाटक में सरकार न बनने पर ऐसे ही भयानक कांड की धमकी दे रहा है. स्क्रिप्ट वही है जो पहले हरयाणा, राजस्थान, गुजरात, आंध्र-तेलंगाना, आदि में अभ्यास की हुई है – जो जाति आरक्षण के बाहर है, उसे आरक्षण में आने के लिए उकसाओ, जो OBC में है उसे SC या STमें डालने का लालच देकर उकसाओ.
इस समय पूंजीवादी व्यवस्था, और उसका भी बदतर, सडा अति प्रतिगामी फासिस्ट अवतार, बहुसंख्यक शोषित उत्पीडित आबादी को कुछ भी देने में नाकाम साबित हो चुका है.
बेरोजगारी चरम पर है, सरकारी भर्ती लगभग बंद है. निजीकरण-छंटनी जोरों पर है. नियमित रोजगारों को कॉंट्रेक्ट के अस्थाई कामों में बदला जा रहा है.
मेहनतकश उत्पीडित अवाम ने अपने संघर्षों से इस व्यवस्था में पहले जो थोडा बहुत अधिकार-सुविधा हासिल किये थे, उन्हें भी अब छीना जा रहा है.
रोजगार में आरक्षण को लगभग निष्प्रभावी बनाया जा चुका है.
ठीक उसी वक्त रोजगार के क्षेत्र में आरक्षण के दायरे में उपलब्ध इस लगभग कुछ नहीं में हिस्सेदारी के नाम पर विभिन्न समुदायों को परस्पर खूंरेजी के लिए उकसाया जा रहा है.
इन सभी समुदायों- जातियों में बैठे सत्ता के एजेंट-दलाल, इन समुदायों-जातियों का एक छोटा सा संपन्न हिस्सा, इसी काम को अंजाम देने में लगे हैं.
मणिपुर में भी OBC मैतेई समुदाय को ST बना देने के ऐसे ही उकसावे-लोभ का नतीजा यह भयंकर भ्रातृघाती हत्याकांड है.
लेखक: मुकेश असीम
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