जीवन बीमा लेने की होड़ में क्यों है भारतीय युवा, जानिए कोरोना काल का एक और सच
जीवन बीमा लेने को पहले कम तरजीह देने वाले भारतीय युवा अब इसे लेने के लिए लालायित दिख रहे हैं. कोरोना की दूसरी लहर के बाद नजरिया बदला है. कम उम्र के नौजवानों की मौत ने युवाओं को जीवन बीमा की ओर आकर्षित किया है.
भारत में कोविड-19 के कारण 3.80 लाख के करीब मौतें हुई हैं. अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत में सबसे अधिक मौतें दर्ज हुई हैं. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की जांच कम होने के कारण भारत में संख्या को कम करके आंका गया और शायद भारत में दुनिया से कहीं अधिक मौतें हुई हों. भारत के सबसे बड़े ऑनलाइन बीमा एग्रीगेटर पॉलिसीबाजार के मुताबिक देश में जब अप्रैल और मई के दौरान महामारी की विनाशकारी दूसरी लहर चरम पर थी, उस वक्त 25 और 35 वर्ष आयु वर्ग के बीच टर्म प्लान (सावधि बीमा) लेने वालों की संख्या पिछले तीन महीने की तुलना में 30 फीसदी अधिक रही.
जीवन बीमा को क्यों जरूरी मान रहा है युवा?
ऑनलाइन बीमा एग्रीगेटर बीमादेखो के माध्यम से सावधि बीमा की खरीद मार्च के मुकाबले मई में 70 फीसदी बढ़ी है. व्यापार गोपनीयता का हवाला देते हुए कंपनियों ने यह नहीं बताया कि उन्होंने कितनी पॉलिसी बेचीं लेकिन कंपनियों ने कहा कि “संख्या हजारों” में थी. बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण के ताजा आंकड़ों के मुताबिक साल 2001 में 2.15 फीसदी की तुलना में 2019 में भारत की आबादी के बीच जीवन बीमा की पैठ 2.82 फीसदी थी. यह अभी भी साल 2019 के वैश्विक औसत 3.35 प्रतिशत से काफी नीचे है. लेकिन फिर भारत के 1.35 अरब लोगों का एक बड़ा वर्ग बीमा के लिए अतिरिक्त पैसे नहीं जुटा पाता है. कोरोना महामारी की वजह से यह स्थिति और ज्यादा खराब हो गई है.
बदली परिस्थितियों ने बदली युवाओं की सोच
टर्म इंश्योरेंस प्लान भारत में लोकप्रिय हैं क्योंकि वह अक्सर सस्ता होता है और अगर प्लान लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु प्रीमियम देने की अवधि में हो जाती है तो परिवार को पैसे मिलते हैं. लेकिन सावधि बीमा लेने वाला समय के अंत तक जीवित रहता है तो कवर को जब्त कर लिया जाता है और कुछ भुगतान नहीं होता है.
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