किसान आंदोलन के 4 महीने पूरे, भारत बंद का कितना असर ?

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किसान आंदोलन के चार महीने पूरे हो गए हैं. लेकिन तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों का जोश काम नहीं हुआ है. सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसानों ने आज 12 घंटों के ‘भारत-बंद’ का ऐलान किया है.

‘भारत बंद’ सुबह छह बजे से शाम के छह बजे तक आयोजित किया जा रहा है. कई विपक्षी दलों ने भी आंदोलन कर रहे किसानों को समर्थन देने का फैसला किया है और बंद को लागू करने में उनका साथ देने की घोषणा की. अगर बंद सफल हुआ तो रेल और सड़क यातायात समेत कई सेवाओं पर असर पड़ सकता है. देश के कई हिस्सों में किसानों ने सड़कों और ट्रेन के पटरियों को जाम कर दिया है जिससे सड़क और रेल यातायात प्रभावित होना शुरू हो गया.

किसान आंदोलन और भारत बंद का असर

रेलवे विभाग को कम से कम चार शताब्दी ट्रेनों को रद्द करना पड़ा है. किसान नेताओं ने कहा है कि बंद को सफल बनाने के लिए किसान सब्जियों और दूध की आपूर्ति को भी रोक देंगे, लेकिन एम्बुलेंस और अस्पताल सेवाओं जैसी आवश्यक सेवाओं को बंद से बाहर रखा जाएगा. बाजार, दुकानें, मॉल और कई तरहे के संस्थान भी बंद करने की योजना है, लेकिन यह इन सभी संस्थानों से संबंधित संगठनों के सहयोग से ही हो पाएगा.

किसान संगठनों के साझा मंच संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया है कि सभी संस्थानों ने बंद में सहयोग का वादा किया है. लेकिन मीडिया में आई कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया है कि कई दूसरे व्यापारी संगठनों ने बंद को समर्थन नहीं देने का भी फैसला किया है. अगर ऐसा हुआ तो बंद का असर आंशिक ही रह जाएगा.

चार महीने का हुआ किसानों का आंदोलन

पिछले चार महीनों में पुलिस की कार्रवाई और मौसम की मार सहने के बाद प्रदर्शन स्थलों पर कई किसानों ने अब स्थायी ढांचे भी बना लिए हैं, ताकि आने वाली गंभीर गर्मी से बचा जा सके और आंदोलन को जारी रखा जा सके. सरकार ने अभी तक किसानों की मांगों को मानने का कोई संकेत नहीं दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की मांगों पर एक समिति बनाई थी लेकिन समिति ने अभी तक अपनी रिपोर्ट दी नहीं है.

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