Ganga की कृपा से बनते हैं बिगड़े काम, भक्त अनूठे ढंग से करते हैं पूजा
“Ganga की कृपा से आज हम बहुत खुश हैं. हमने अपनी बेटी के लिए पहनाउन बोली थी. हमारी इच्छा पूरी हो गई गंगा (ganga) मैया ने हमारी मनोकामना पूरी करती हैं इसलिए हम गंगा मैया को एक किनारे से दूसरे किनारे तक कपड़ा दान करने आए हैं. गंगा मैया में बड़ी शक्ति है सब के पाप धोती हैं और उद्धार करती हैं“
अभिषेक यह बताते हुए काफी खुश हैं कि उन्होंने जो मन्नत मांगी थी तो पूरी होने के बाद आज मां गंगा को पहनाउन पहना दी है. अभिषेक अपने पूरे परिवार और गांव के लोगों के साथ गंगा मैया को कपड़ा अर्पित करने आए हैं. उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले रहने वाले अभिषेक की मां गंगा में गहरी आस्था है. वो मानते हैं क्यों उनके जीवन में मां गंगा की कृपा से सभी काम अच्छे ढंग से हो रहे हैं. मां गंगा की कृपा से जब बिगड़े काम बनते हैं, जब गंगा मैया मनोकामना पूरी करती हैं तब मांग के महीने में उनके भक्त उन्हें साड़ियां दान करते हैं. ऐसी मान्यता है कि अगर आप गंगा मैया से कोई मन्नत मांगे और वह पूरी हो जाए तो उन्हें एक किनारे से दूसरे किनारे तक साड़ी दान करनी पड़ती है.
…जब Ganga मैया ने खींच लिया
Ganga की कृपा का कोई ओर-छोर नहीं है. गोमुख से लेकर गंगासागर तक Ganga के किनारे लाखों लोग गंगा स्नान करते हैं और अपने पापों से मुक्ति प्राप्त करते हैं. गंगा के किनारे रहने वाले लोगों की अलग-अलग मान्यता हैं. ऐसी ही एक मान्यता है पहनाऊन पहनाने की. माघ के महीने में गंगा के किनारे बसे कुछ इलाकों में मां गंगा को पहनाऊन पहनाई जाती है. फर्रुखाबाद के कुछ इलाकों में इसकी बड़ी मान्यता है. यहां शमशाबाद के ढाई घाट में ही हर साल सैकड़ों पहनाउन पहनाई जाती हैं.
अभिषेक बताते हैं, ‘मैं एक बार गांव वालों के साथ Ganga स्नान के लिए यहां आया था. मन्नत पूरी होने के बाद भी मां गंगा की कृपा को मैंने नजरअंदाज कर दिया और पहनाउन पहनाने में देरी हो गई थी. मेरे पास पैसे नहीं थे इसलिए मैं पहनाउन को टाल रहा था. उस दिन में जैसे ही गंगा में स्नान के लिए घुसा मुझे ऐसा लगा किसी ने मुझे नीचे की तरफ खींच लिया हो. उस दिन मैं काफी डर गया था. इसलिए अगर आप कोई मन्नत मांगे और वह पूरी हो जाए तो पहनाऊन जरूर पहनानी चाहिए”
कैसे करती हैं मां Ganga कृपा?
Ganga के किनारे जगह-जगह आपको अलग-अलग परंपराएं, रीति रिवाज और मान्यताएं देखने को मिलेंगी. लोग Ganga की कृपा के लिए तमाम जतन करते हुए आपको मिल जाएंगे. शमशाबाद के ढाई घाट में पिछले कई सालों से माघ के महीने में कल्पवास करने वाले पंडित शीशराम बताते हैं, ‘मेरे लिए गंगा मैया ही सब कुछ हैं. मैंने अपना पूरा जीवन मां गंगा को समर्पित कर दिया है. पिछले कई सालों से मैं यहां माघ के महीने में कल्पवास कर रहा हूं.’ वह बताते हैं कि यहां पहनाउन बड़ी मान्यता है. अगर आप गंगा में खड़े होकर कोई मन्नत मांगे तो Ganga जरूर कृपा करती हैं. और अगर एक बार कृपा हो गई तो फिर आपको परंपरा के मुताबिक मां गंगा के एक किनारे से दूसरे किनारे तक कपड़ा दान करना होता है.
कैसे पहनाई जाती है Ganga को पहनाउन?
Ganga की कृपा सब पर नहीं होती. Ganga उन्हीं पर कृपा करती हैं जो सच्चे मन से उनकी आराधना करते हैं. Ganga को पहनाउन पहनाना आसान काम नहीं है. इसके लिए पहले उनकी धार की चौड़ाई का अनुमान लगाना होता है. फिर उसी हिसाब से कपड़ा खरीद कर कपड़े को जोड़ा जाता है. कभी-कभी यह चौड़ाई 200 से ढाई सौ मीटर तक होती है. कपड़े के एक किनारे पर नारियल और दूसरी पूजा की सामग्रियों को बांधा जाता है. फिर जिसने पहनाउन बोली है. वह कपड़े का एक सिरा लेकर नाव में बैठता है और किनारे पर खड़े लोग कपड़ा छोड़ते जाते हैं.
मां गंगा के बहाव के हिसाब से नाव एक किनारे से दूसरे किनारे तक कपड़े को लेकर जाती है. इस काम में ताकत और टेक्निक दोनों का तालमेल देखने को मिलता है. एक बार कपड़ा एक किनारे से दूसरे किनारे तक पहुंच जाता है तो फिर कपड़े को छोड़ दिया जाता है. उसके बाद स्थानीय पंडित एक कथा करते हैं और पहनाउन पहनाने वाले को आशीर्वाद देते हैं
Ganga की कृपा के लिए लोग तरसते हैं लेकिन चीन के दुख गंगा मैया हर लेती हैं वह कुछ भी करते हैं. ऐसी मान्यता है कि मां Ganga के जल में इतनी शक्ति है कि वह मानव जाति के उद्धार के लिए बहुत जरूरी है. मां गंगा में लोगों की आस्था इस बात का प्रतीक है इसका जल न सिर्फ लोगों को जीवन देता है बल्कि जीवन में सुख और समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त करता है.
यह भी पढ़ें:
अपनी राय हमें [email protected] के जरिये भेजें. फेसबुक और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |