उन्नाव की बेटियां और बुजदिल सरकार…कौन है असली गुनहगार?

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उन्नाव की बेटियां अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनके साथ जो हुआ उसे भुलाया नहीं जा सकता. उत्तर प्रदेश की असंवेदनशील योगी सरकार और पुलिस का ढुलमुल रवैया इस घटना की असली वजह है. हाथरस की घटना के बाद उन्नाव में भी रामराज्य की कलई खुल गई.

उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले के बबुरहा गाँव में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाई गईं दोनों लड़कियों का अंतिम संस्कार गाँव में ही कर दिया गया, जबकि तीसरी लड़की अब भी कानपुर के रिजेंसी अस्पताल में जीवन और मौत से संघर्ष कर रही है. इस बीच, पिछले तीन दिन से बबुरहा गाँव जैसे पुलिस छावनी में तब्दील हो गया है. गुरुवार शाम को यूपी के पुलिस महानिदेशक हितेश चंद्र अवस्थी ने एक वीडियो बयान में रिपोर्ट के बारे में जानकारी दी और बताया, “दोनों लड़कियों के शरीर पर बाहरी या भीतरी, किसी भी तरह के चोट के निशान नहीं पाए गए हैं. मौत की वजह स्पष्ट नहीं हो सकी है, इसलिए विसरा को जाँच के लिए सुरक्षित रख लिया गया है.” उत्तर प्रदेश की पुलिस अभी तक उन्नाव की बेटियों को इंसाफ दिलाने में नाकाम रही है.

उन्नाव की बेटियां और घटना के इनसाइड स्टोरी

उन्नाव ज़िला मुख्यालय से क़रीब 50 किमी दूर असोहा थाना है. थाने से क़रीब तीन किमी की दूरी पर है बबुरहा गाँव. इसी गाँव में उन तीन लड़कियों के घर हैं, जो बुधवार शाम एक खेत में बेहोश पाई गई थीं. इनमें से दो लड़कियों की मौत हो गई. घटनास्थल की दूरी लड़कियों के घर से क़रीब डेढ़ किमी है. गुरुवार को उन्नाव के ज़िला अस्पताल में दोनों लड़कियों का पोस्टमॉर्टम हुआ, लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत की कोई स्पष्ट वजह सामने नहीं आ सकी है. घटना के अगले दिन मृत लड़कियों में से एक के पिता ने असोहा थाने में अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई. एफ़आईआर में भी यह बात दर्ज की गई है कि मृत लड़कियों के गले में दुपट्टा लिपटा था और दोनों के मुंह से झाग निकल रहा था. तीसरी लड़की भी इसी हालत में मिली थी, जिसका कानपुर के रिजेंसी अस्पताल में इलाज चल रहा है.

पोस्टमॉर्टम के बाद गुरुवार को देर शाम लड़कियों के शव परिजनों को सौंप दिए गए, जिनका शुक्रवार सुबह अंतिम संस्कार कर दिया गया. गुरुवार को दिन में मृत लड़कियों को दफ़नाने के लिए प्रशासन ने जेसीबी मशीन भी बुला ली थी, लेकिन गाँव के कुछ लोग और कुछ राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के ज़बरदस्त विरोध के कारण जेसीबी मशीनें वापस भेज दी गईं. उन्नाव के उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर तन्मय कक्कड़ ने गुरुवार को बताया कि अभी रिपोर्ट उन्होंने देखी नहीं है. हालांकि उत्तर प्रदेश की पुलिस का रवैया लीपापोती वाला ही लग रहा है.

पुलिस छावनी में तब्दील हुआ उन्नाव के बेटियों का गांव

गुरुवार को दिन भर पूरा बबुरहा गाँव छावनी बना रहा. गाँव के रास्ते में तीन जगह बैरियर लगाए गए थे, जहाँ हर जाने वाले की तलाशी ली जा रही थी. मीडिया वालों को भी बिना परिचय पत्र देखे बैरियर के पार जाने की अनुमति नहीं थी. उन्नाव के डीएम रवींद्र कुमार और आनंद कुलकर्णी के अलावा लखनऊ परिक्षेत्र की पुलिस महानिरीक्षक लक्ष्मी सिंह भी दिन भर वहाँ मौजूद रहीं. बताया जा रहा है कि उन्नाव की बेटियां एक ही परिवार से हैं. इनमें दो चचेरी बहनें हैं, जिनकी उम्र 13 साल और 16 साल है. जबकि तीसरी लड़की रिश्ते में इन दोनों की बुआ लगती थी. इनमें 16 वर्षीय लड़की जीवित है, जिसका गंभीर स्थिति में कानपुर में इलाज चल रहा है.

फ़िलहाल पुलिस ने जाँच के लिए छह टीमें बनाई हैं और पूरे गाँव में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है. गुरुवार को दिन भर राजनीतिक दलों के नेताओं का भी जमावड़ा लगा रहा. इस घटना को लेकर गाँव में ग़ुस्सा भी है और आश्चर्य भी है. गाँव में दलितों के मुश्किल से छह-सात घर ही हैं, जिनमें पीड़ित परिजनों के घर भी शामिल हैं.

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