योगी आदित्यनाथ का प्रचार फेल क्यों हो गया ?

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विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजे आ चुके हैं और कांग्रेस ने इन चुनावों में जबरदस्त कमबैक किया है. बीजेपी ने इन चुनावों में शिकस्त खाई है. इस दौरान बीजेपी के स्टार कैंपेनर योगी क्या कर रहे थे. लेकिन भी आपको बता दें कि क्योंकि योगी को कैंपेन की जिम्मेदारी दी गई थी. चलिए हम आपको बता दें कि दरअसल इस दौरान योगी थे कहां. योगी किसान पाठशाला के तीसरे संस्करण ‘द मिलियन फार्मर्स स्कूल 2.1’ का विमोचन कर रहे थे.

सबसे ज्यादा बड़ी हार हुई छत्तीसगढ़ में जहां बीजेपी ने सिर्फ 15 सीटें जीतीं हैं. और कांग्रेस ने 67 सीटें यहां जीती हैं. ये राज्य इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां योगी ने खूब प्रचार किया.

काम नहीं आई बाबा जी की बूटी

योगी ने मध्यप्रदेश में 15 रैलियां की, छत्तीसगढ़ में भी योगी ने करीब दो दर्जन से ज्यादा चुनावी सभाओं में बीजेपी के लिए प्रचार किया. छत्तीसगढ़ में बीजेपी के चुनाव प्रचार की अगुआई योगी आदित्यनाथ ने की थी. 12 और 20 नवंबर को यहां वोट डाले गए थे. 90 सीटों वाले इस राज्य में बीजेपी का सफाया हो गया है. यहां अजीत जोगी और मायावती के गठबंधन का भी जादू नहीं चला.

किसानों की नाराजगी मुश्किल बनी

कांग्रेस को 43 प्रतिशत और बीजेपी को करीब 33 प्रतिशत वोट मिले हैं और ये अंतर अहम है. वोट प्रतिशत में करीब 10 फीसदी का अंतर है. इसके पीछे वजह ये बताई जा रही है कि योगी जी का चुनावी कैंपेन पूरी तरह से मुद्दों से भटका हुआ रहा. उन्होंने किसानों और गरीबों की बात करने की बजाए हिन्दुओं की बात की और ये बात लोगों को पसंद नहीं आई.

जातिगण समीकरण बनाने से चूकी बीजेपी

जातिगत और सामुदायिक वोटबैंक चुनावों में बहुत महत्वपूर्ण होता है और छत्तीसगढ़ में साहू वोटबैंक बेहद अहम है. वैसे तो ये बीजेपी का वोटबैंक था लेकिन 18 प्रतिशत हिस्सेदारी वाला ये वोटबैंक इस बार कांग्रेस के पाले में चला गया क्योंकि ताम्रध्वज साहू बड़ी भूमिका में यहां थे. उन्हें पहले कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बनाया और आखिरी वक्त में उन्हें चुनावी मैदान में उतारा गया.

क्यों फेल हुए स्टार प्रचारक योगी ?

आमतौर पर मोदी फ्रंट में रहते हैं लेकिन छत्तीसगढ़ के चुनाव में योगी थे. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जमकर प्रचार किया. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने योगी के पैर छूए. योगी ने उन्हें जीत का आशीर्वाद भी दिया लेकिन बाबाजी की बूटी ने रंग नहीं जमाया. योगी का कैंपेन ध्रुवीकरण की राजनीति से प्रेरित लगा. ऐसे में उनका स्टार प्रचारक बनना छत्तीसगढ़ की जनता को ज़्यादा रास नहीं आया.

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