Joe Biden ने कराया Pakistan में बवाल, America ने ऐसे गिरवाई Imran सरकार?

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क्या Joe Biden ने पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार गिरवाई है? क्या है अमेरिका का प्लान पाकिस्तान जिसके चलते वहां अस्थिरता आई है?

पाकिस्तान में इमरान समर्थक सड़कों पर उतरे हैं और Joe Biden के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं…उधर इमरान खान का आरोप है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने उनकी सरकार को गिराने के लिए विपक्ष के साथ मिलीभगत की है. लेकिन जरूरी सवाल यही है कि अमेरिका ने आखिर ऐसा क्यों किया? जो बाइडन इमरान खान से क्या दुश्मनी थी? इमरान खान ने राष्ट्र के नाम संबोधन में अपना दर्द बयां किया और तर्क दिया कि अविश्वास प्रस्ताव अमेरिकी साज़िश से जुड़ा था. लेकिन क्या यह सच है?

इमरान खान के साथ पाकिस्तान में जो कुछ हुआ उसके पीछे एक शख्स का नाम आ रहा है. और यह शख्स है अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत असद मजीद खान. मार्च में एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी और वॉशिंगटन में पाकिस्तान के राजदूत असद मजीद ख़ान के बीच कथित निजी वाद-विवाद के बाद सामने आया है. असद मजीद ख़ान ने पाकिस्तान को बताया कि अमेरिकी अधिकारी ने प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के बारे में नाखुशी व्यक्त की थी और कहा था कि अगर अविश्वास मत के ज़रिए उन्हें पद से हटा दिया जाता है तो अमेरिका और पाकिस्तान के संबंध बेहतर हो सकते हैं. हालांकि इमरान खान के इन आरोपों को विपक्ष गंभीरता से नहीं ले रहा लेकिन इसमें भी कोई शक नहीं कि पाकिस्तान में अमेरिका-विरोधी भावनाएं बहुत अधिक हैं और यह सोशल मीडिया पर की जा रही टिप्पणियों से महसूस होता है. पाकिस्तान में लोगों में ये धारणा आम है कि अमेरिका उनके देश के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करता रहा है.

इमरान ख़ान का दावा ग़लत साबित हो या सही, विश्लेषक कहते हैं कि पाकिस्तान के अंदरूनी सियासत में अमेरिका का हाथ अक्सर देखा गया है. अमेरिका आम तौर पर दूसरे देशों में ‘रेजीम चेंज’ या सत्ता परिवर्तन के लिए जाना जाता है. चाहे 1953 में ईरान में प्रधानमंत्री मुहम्मद मुसद्दीक़ को हटाना हो, पनामा में रेजीम चेंज का मामला हो, तुर्की और इराक़ तक अमेरिका ने कई देशों में सत्ता परिवर्तन के कई प्रयास किये हैं. पाकिस्तान में तो अमेरिका कई बार ऐसे खेल कर चुका है. 1958 में जनरल अयूब ख़ान सत्ता में आये, उसके बाद जनरल यह्या खान, जनरल ज़िआउल हक़ और जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ये सभी सैन्य प्रमुखों को अमेरिका का समर्थन हासिल था. चारों प्रमुखों को शीत युद्ध और उसके बाद भी सोवियत यूनियन और चीन जैसे देशों ख़िलाफ़ अमेरिकी विदेश नीति के अंतर्गत इस्तेमाल किया गया. अफ़ग़ानिस्तान और आतंकवाद के ख़िलाफ़ वैश्विक युद्ध के लिए पाकिस्तान को इस्तेमाल किया गया.

लेकिन सवाल यही है कि आखिर अमेरिका पाकिस्तान से इमरान खान को बेदखल क्यों करना चाहता है? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए जरूरी है कि आप इसके पीछे छिपे अमेरिका के हितों पर गौर करें. जानकार कहते हैं कि अमेरिका अगले 10-15 सालों के लिए बाजवा (पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा) या सेना के भीतर से एक सक्षम सैन्य लीडर को सत्ता में देखना चाहता है जैसा कि इसने मिस्र में अब्दुल फ़तेह अल-सीसी को लाकर किया है. वो चीन पर पाकिस्तानी सरकार की निर्भरता को कम करने के लिए इस्लामाबाद में सत्ता शासन परिवर्तन चाहता है.

इससे पहले भी अमेरिका कई बार ऐसा कर चुका है उस ने नवाज़ शरीफ़ के साथ कोशिश की, बेनज़ीर भुट्टो के साथ भी कोशिश की, उन्होंने इमरान ख़ान के साथ कोशिश की – सभी सरकारें अमेरिका के लिए बहुत मुश्किल रही हैं. इसलिए अमेरिका को लगता है कि इस क्षेत्र में अपने लक्ष्यों की रक्षा करने और अपनी महत्वाकांक्षाओं को हासिल करने के लिए यहां की सत्ता में सेना के व्यक्ति का होना सबसे सुरक्षित है. पाकिस्तान को अस्थिर करने के पीछे शायद अमेरिका के भविष्य के कुछ प्लान शामिल है.

क्योंकि अब अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की सरकार वापस आ गई है, पश्चिमी देशों की चीन और रूस में बढ़ रही नज़दीकियों को तोड़ने की कोशिशें भी नाकामयाब हुई हैं और भारत की विदेश नीति भी अब पहले के मुक़ाबले आज़ाद नज़र आने लगी है. ऐसे में दक्षिण एशिया में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए अमेरिका के लिए पाकिस्तान में अमेरिका के हिमायत वाली सरकार होना ज़रूरी है. और इमरान खान अमेरिका के हिसाब से नहीं चल रहे थे. पाकिस्तान में मौजूदा सियासी संकट जल्द ख़त्म नहीं होगा, क्योंकि अब रूस, ईरान, चीन और पाकिस्तान के बीच एक नया पावर केंद्र बना है जिसे अमेरिका चाहे भी तो जल्द तोड़ नहीं सकता.

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