प्रशांत किशोर क्या कांग्रेस का हाथ थामेंगे…क्या है प्लानिंग?

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प्रशांत किशोर के साथ राहुल, सोनिया और प्रियंका गांधी की एक साथ हुई. इस मुलाकात के बाद सियासी गलियारों में पीके का जिक्र खूब हो रहा है. लेकिन क्या है इस मुलाकात के मायने?

दिल्ली में इन दिनों प्रशांत किशोर खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं और कांग्रेसी गलियारों से आ रही आवाज इस ओर इशारा कर रही है कि ‘कुछ बड़ा’ होने वाला है. लेकिन सवाल यह है कि क्या बड़ा होने वाला है? चारों की मुलाक़ात की आधिकारिक पुष्टि ना तो प्रशांत किशोर की तरफ़ से हुई है और ना ही गांधी परिवार की तरफ़ से हुई है. लेकिन राजनीतिक जानकार इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि चारों की मुलाकात हुई है.

चारों की मुलाक़ात ऐसे वक़्त में हो रही है, जब कांग्रेस आलाकमान चौतरफ़ा संकट से घिरी है. इसलिए कहीं लोग इस मुलाक़ात को पंजाब कांग्रेस में चल रही कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के खींचतान से जोड़ कर देख रहे हैं, तो कहीं राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही रस्साकशी से इसे जोड़ा जा रहा है. वैसे कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ में भी टीएस सिंह देव और भूपेश बघेल के बीच भी सब कुछ ठीक नहीं है.

प्रशांत किशोर कि क्या कांग्रेस में जगह बन पाएगी?

राजनीतिक विश्लेषक इस मुलाक़ात के बाद प्रशांत किशोर को कांग्रेस के ‘संकटमोचक’ की भूमिका के तौर पर भी देख रहे हैं. क्योंकि प्रशांत किशोर कैप्टन अमरिंदर सिंह के सलाहकार के रूप में पंजाब में काम कर रहे हैं इसलिए इस मुलाकात को पंजाब के संकट से जोड़कर देखा जा रहा है. पीके ने ममता बनर्जी के साथ भी काम किया है और हाल ही में उन्होंने महाराष्ट्र में शरद पवार के साथ भी मुलाकात की. ऐसा लगता है कि ऐसे में प्रतीत होता है कि प्रशांत किशोर वो कड़ी हैं, जो बिखरे हुए विपक्ष को एक साथ जोड़ने की कोशिश में लगे हैं.

जब बिहार में विधानसभा चुनाव में लालू और नीतीश साथ में लड़े थे, उस दौरान भी उनकी भूमिका लालू और नीतीश के बीच एक कड़ी की ही थी. बड़े ही सुलझे हुए तरीक़े से दोनों का इस्तेमाल उन्होंने प्रचार के दौरान किया था. कांग्रेस को आज की तारीख़ में एक अच्छे को-ऑर्डिनेटर ( संयोजक) की ज़रूरत है, जो काम प्रशांत किशोर निभा सकते हैं. वो कहते हैं, प्रशांत किशोर केवल कांग्रेस को ही नहीं, पूरे विपक्ष को एकजुट कर सकते हैं.

देश के कई बड़े नेताओं के साथ किया है पीके ने काम

प्रशांत किशोर से जुड़ा एक और तथ्य ये भी है कि उन्होंने वर्तमान में बैठे विपक्ष और सत्ता पक्ष के कई नेता जैसे नरेंद्र मोदी अमित शाह की जोड़ी के साथ साथ जगनमोहन रेड्डी, राहुल गांधी, लालू यादव, शरद पवार, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी से लेकर नीतीश कुमार तक के साथ किसी ना किसी मौक़े पर काम किया है. लेकिन इन विपक्ष के तमाम नेताओं को जोड़ कर संयोजक की भूमिका में वो कितना फ़िट बैठेंगे या वो निभाना चाहेंगे भी, इसके बारे में टिप्पणी करना जल्दबाज़ी है.

लेकिन प्रशांत किशोर की सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात के मायने निकालते हुए राजनीतिक जानकार और कांग्रेस को करीब से समझने वाले लोग यह कहते हैं. राहुल और सोनिया गांधी के काम करने के तरीके में बुनियादी फर्क यह है कि राहुल पार्टी छोड़कर जाने वाले को खुशी से जाने देते हैं और सोनिया गांधी सभी को जोड़कर रखने में यकीन करती हैं. ऐसे में पीके की भूमिका पार्टी में क्या होगी इसको लेकर अभी कुछ कहना जल्दबाजी है.

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