गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की जांच के लिए सीबीआई सक्रिय हो गई है. केंद्र सरकार के जरिए अखिलेश यादव को इस घोटाले में फंसाने की तैयारी में है.
- गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट का शिलान्यास 2015 में हुआ था.
- अखिलेश सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए 1513 करोड़ मंजूर किए थे.
- लेकिन 1437 करोड़ जारी होने के बाद भी 60 फीसदी काम ही पूरा हुआ.
लखनऊ के गोमती रिवर फ्रंट घोटाले (Gomti Riverfront Scam) की आंच सपा प्रमुख अखिलेश यादव तक पहुंच सकती है. बताया जा रहा है कि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले योगी सरकार सपा प्रमुख को जांच के जाल में फंसाने की योजना बना रही है. इस सिलसिले में सोमवार को यूपी से लेकर बंगाल और राजस्थान तक इसकी सरगर्मी रही और इससे जुड़े सवाल भी सुलगते रहे.
सवाल ये कि क्या लखनऊ का रिवर फ्रंट घोटाला यूपी चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बनेगा? क्या रिवर फ्रंट घोटाले की आंच पूर्व सीएम अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) तक भी पहुंचेगी? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि इस घोटाले की FIR में कुल 189 आरोपियों के नाम दर्ज हैं, जिनमें 16 सरकारी अफसर, तीन चीफ इंजीनियर और 6 असिस्टेंट इंजीनियर हैं. इनके अलावा 173 प्राइवेट पर्सन हैं जिनमें कई सपा के करीबी बताए जाते हैं.
307 एकड़ में फैले लखनऊ के गोमती रिवर फ्रंट को पूर्व सीएम अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट भी कहा गया. लेकिन समाजवादी पार्टी की सरकार पर आरोप है कि इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में पानी की तरह पैसा बहाया गया. और इसमें वित्तीय अनियमितताएं बरती गईं. करीब 1500 करोड़ का ये प्रोजेक्ट जो वर्ष 2015 में शुरू हुआ, वो 6 साल बाद भी पूरा नहीं हो सका. आरोप है कि ये हाई प्रोफाइल प्रोजेक्ट घोटाले की भेंट चढ़ गया.
CBI के निशाने पर आ सकते हैं सपा प्रमुख अखिलेश यादव
गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की जांच में जुटी CBI की एंटी करप्शन विंग ने 17 शहरों में 42 जगहों पर छापा मारा. साथ ही बंगाल और राजस्थान में भी छापेमारी की, जिसमें इस प्रोजेक्ट से जुड़े कई बड़े इंजीनियर भी शामिल हैं. CBI की टीम ने लखनऊ के अलावा आगरा, इटावा, नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर, रायबरेली और सीतापुर में भी अखिलेश यादव के करीबी इंजीनियरों और ठेकेदारों के घर पर छापेमारी की. कई के घर और दफ्तर भी सीज कर दिए गए. सूत्रों के हवाले से खबर है कि बीजेपी इसे चुनावी मुद्दा बनाने की प्लानिंग कर रही है और इस मुद्दे पर अखिलेश यादव को घेरने की तैयारी है.
गोमती रिवर फ्रंट घोटाले से जुड़े लोगों पर कहां-कहां हुई छापेमारी
बुलंदशहर में रिवर फ्रंट घोटाले में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य और कॉन्ट्रेक्टर राकेश भाटी के प्रीत विहार वाले घर पर CBI ने करीब 3-4 घंटे रेड की.
आगरा में बीजेपी नेता नितिन गुप्ता के घर भी सीबीआइ की टीम पहुंची. नितिन गुप्ता पहले सपा में बड़े पद पर थे. उनकी अनुपमा ट्रेडिंग कंपनी ने रिवर फ्रंट में पत्थर लगवाने का काम किया था.
गोमती रिवर फ्रंट का मामला क्या है?
लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट का शिलान्यास 2015 में हुआ था. अखिलेश सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए 1513 करोड़ मंजूर किए थे लेकिन 1437 करोड़ जारी होने के बाद भी 60 फीसदी काम ही पूरा हुआ. 95 फीसदी बजट जारी होने के बावजूद अभी 40% काम अधूरा है. प्रोजेक्ट पूरा नहीं होने के पीछे जो वजहें सामने आई हैं, उसमें योजना से जुड़े 800 टेंडर में मनमानी, डिफॉल्टर कम्पनी को काम दिया, विदेशों से महंगा सामान खरीदा, चैनलाइजेशन के काम में घोटाला, नेताओं और अधिकारियों के विदेशी दौरे में बजट खर्च, वित्तीय लेन-देन में घोटाला और नक्शे के अनुसार काम नहीं करने के आरोप हैं, जिसके तहत 190 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई. ईडी ने 3 इंजीनियरों की 1 करोड़ की 5 अचल संपत्तियों को जब्त भी कर लिया.
अब इस घोटाले के दाग पूर्व सीएम अखिलेश यादव, उनके चाचा और यूपी के पूर्व सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव के साथ समाजवादी पार्टी के कई दूसरे नेताओं पर भी लग सकते हैं. ऐसा इसीलिए कहा जा रहा है क्योंकि 2015 में इस प्रोजेक्ट की लॉन्चिंग के दौरान शिवपाल यादव सूबे के सिंचाई मंत्री थे. जबकि बाद में अखिलेश यादव ने ये विभाग अपने पास रख लिया था. जाहिर है यूपी में अगले साल चुनाव है, लिहाजा गोमती रिवर फ्रंट घोटाले का मुद्दा बड़ा बन सकता है और इसकी आंच सीधे-सीधे अखिलेश यादव तक भी पहुंच सकती है, हालांकि समाजवादी पार्टी इस मामले में CBI जांच की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर रही है.
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