अखिलेश का ‘ऑपरेशन यंग’, सपा ने ये कर लिया तो 22 में जीत पक्की समझो!

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मेरी निष्ठा पीएम मोदी और सीएम योगी के प्रति हद से ज्यादा थी लेकिन अब मैं अखिलेश के साथ हूं. यूपी का माहौल बदल चुका है. बीजेपी सरकार ने युवाओं की उपेक्षा की है और युवा कार्यकर्ताओं को हाशिए पर लाकर छोड़ दिया है. ‘

मिशन 2022 : 20 साल के तपन शाक्य पिछले करीब 2 सालों से भाजपा से जुड़े हुए थे लेकिन अब वह अखिलेश का गुणगान कर रहे हैं. राजनीति ऑनलाइन से बात करते हुए तपन ने बताया “उत्तर प्रदेश सरकार हो या फिर केंद्र सरकार दोनों को युवाओं से कोई लेना देना नहीं है. मैं पिछले 2 साल से राजनीति में सक्रिय हूं लेकिन मैं हर तरह से अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा हूं”

उत्तर प्रदेश में तपन जैसे हजारों युवाओं का मिजाज बदल रहा है. और समाजवादी पार्टी के मुखिया अपने पक्ष में इस बदले हुए मिजाज को भुनाना चाहते हैं. राजनीति में जिन्हें भविष्य की समझ और वर्तमान को टोहना आता है सत्ता उसी की देहरी पर बैठती है. अखिलेश यादव यह समझ गए हैं कि अगर 2022 में जीतना है तो ‘ऑपरेशन यंग’ को हर हालत में कामयाब बनाना ही होगा. और ऑपरेशन यंग की कामयाबी तपन जैसे युवाओं के बदले हुए मिजाज पर ही टिकी है.

अखिलेश से उम्मीद और ‘बीजेपी से गहरी निराशा है’

तपन की तरह ही रोहित शाक्य भी समाजवादी पार्टी से जुड़े हैं. रोहित बताते हैं, “मैं गहरी निराशा में हूं. 2014 में जब केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी थी उस वक्त में 23- 24 साल का था आज 31 साल का हूं और अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा हूं” रोहित रोजगार के मुद्दे पर मोदी और योगी सरकार से काफी नाराज हैं.

रोहित बताते हैं, “अखिलेश यादव के ऊपर भले ही तमाम आरोप लगाए जाते रहे हों लेकिन बतौर मुख्यमंत्री उन्होंने प्रदेश का विकास किया और युवाओं की जरूरतों का ख्याल रखा. सपा द्वारा बांटे गए लैपटॉप ने कई युवाओं की जिंदगी में तब्दीली लाने का काम किया. 2022 में हम पूरी तरह से अखिलेश के साथ खड़े हैं”

‘बीजेपी सरकार ने युवाओं की जरूरतों का ख्याल नहीं रखा’

फर्रुखाबाद के परमनगर में रहने वाले नागेंद्र यादव अभी सिर्फ 20 साल के हैं और राजनीति का ककहरा सीख रहे हैं. लेकिन वह मानते हैं कि युवाओं का भला तभी है जब उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार बने. उनका कहना है कि 2017 में उनमें राजनीतिक समझ नहीं थी लेकिन पिछले 1 साल से उन्हें यह समझ आया है कि बीजेपी सरकार ने युवाओं की जरूरतों का ख्याल नहीं रखा. इसलिए 2022 में बदलाव की जरूरत है.

मिशन 2022 को कामयाब करने के लिए युवा वोटर का समर्थन जरूरी

क्या कोरोना महामारी से उपजा आक्रोश और बढ़ती बेरोजगारी अखिलेश यादव के ‘ऑपरेशन यंग’ को कामयाब करेगी? क्या युवाओं का मिजाज बदल रहा है और उनके भीतर केंद्र और राज्य सरकार के प्रति गुस्सा है? यह जाने के लिए हमने बात की वरिष्ठ पत्रकार एस. हनुमंतराव से “देखिए युवाओं कि कोई राजनीतिक निष्ठा नहीं होती. युवाओं ने भारतीय जनता पार्टी को 2014 में भरपूर समर्थन दिया. उसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को रिकॉर्ड बहुमत से जिताया और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी काफी हद तक युवा वर्ग ने मोदी को मुक्त समर्थन दिया. लेकिन 2021 में युवा निराश हैं और खुद को हाशिए पर खड़ा हुआ देख रहा है. इसलिए 2022 में हालात बदले हुए हैं.”

वो कहते हैं, “क्या 2022 के विधानसभा चुनाव में यह युवा अखिलेश यादव की ताकत और भारतीय जनता पार्टी की कमजोरी बनेंगे? इस सवाल का जवाब देना अभी थोड़ा जल्दबाजी होगी लेकिन उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सरकार के पास समय नहीं है. लोकसभा चुनाव में अभी 3 साल का समय है लेकिन उत्तर प्रदेश के चुनाव के लिए बमुश्किल 5 से 6 महीने बचे हैं. युवा बीजेपी का विकल्प तलाश रहा है. ऐसे में जो युवाओं के ‘मन की बात’ करेगा. और रोजगार के मोर्चे पर युवाओं का दिल जीतेगा उसे चुनाव में लाभ मिलना स्वभाविक है.”

“सत्ता के प्रति युवाओं का आक्रोश और महामारी के समय में रोजगार की मारामारी यह एक मारक कॉन्बिनेशन है और निश्चित रूप से विपक्ष को इसका फायदा मिल सकता है”

‘ऑपरेशन यंग’ में व्यस्त हैं सभी जिला इकाइयां

अखिलेश यादव अच्छी तरह जानते हैं पिछड़ी जातियों का वोट बैंक उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की ताकत रहा है. अगर वह इस वोट बैंक को मुसलमानों के साथ मिला देते हैं तो फिर यह कॉन्बिनेशन जीत का कॉन्बिनेशन बन जाता है. और इसीलिए उन्होंने पिछड़ी जातियों के युवाओं को अपने पाले में खींचने के लिए जिला इकाइयों को निर्देशित किया है. फर्रुखाबाद में समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष नदीम फारुखी बताते हैं कि “पिछले करीब 5 महीनों में 600 से 700 युवा जिनकी उम्र 20 से 30 वर्ष के बीच में है उन्होंने पार्टी की सदस्यता ली है पार्टी से जुड़े हैं.”

बीजेपी से निराश हुआ है युवा मतदाता

नदीम फारुखी के मुताबिक, यंग वोटर को भाजपा सरकार में निराशा हाथ लगी है. युवा हताश है और खुद को हाशिए पर महसूस कर रहा है. ऐसे में पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के मार्गदर्शन में समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में सभी वर्गों के युवाओं को पार्टी से जोड़ने का काम कर रही है. पहले युवा सपा से जुड़ने में कतराते थे लेकिन अब समय बदल चुका है और कई ऐसे युवा हम से जुड़े हैं जो कभी बीजेपी और मोदी के मुरीद हुआ करते थे.

उत्तर प्रदेश में हुए पंचायत चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रदर्शन से न सिर्फ पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह है बल्कि अखिलेश यादव भी काफी आशान्वित हैं. मिशन 2022 की तैयारियों में जुटे अखिलेश के लिए पंचायत चुनाव का प्रदर्शन काफी मायने रखता है. इसी प्रदर्शन के आधार पर वह 2022 के लिए योजना तैयार कर रहे हैं और ‘ऑपरेशन यंग’ उस योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.

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