रामदेव की कोरोनिल के चक्कर में स्वास्थ्य मंत्री फंसे, IMA ने मांगी सफाई

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रामदेव की कोरोनिल ने देश के स्वास्थ्य मंत्रालय को कटघरे में खड़ा कर दिया है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से बाबा रामदेव की कोरोना की ‘तथाकथित दवा’ कोरोनिल को लॉन्च करने पर स्पष्टीकरण माँगा है.

रामदेव की कोरोनिल को लेकर नया बखेड़ा खड़ा हो गया है. जिस बीमारी को लेकर पूरी दुनिया बेहद संवेदनशीलता से पेश आ रही है उसकी तथाकथित दवाई जिसे रामदेव की कंपनी पतंजलि ने बनाया है को लेकर देश का स्वास्थ्य मंत्रालय कटघरे में खड़ा हो गया है. आईएमए ने सोमवार को एक प्रेस रिलीज़ जारी करके डॉ. हर्षवर्धन से एक के बाद एक कई सवाल पूछे हैं. IMA ने स्वास्थ्य मंत्री से पूछा है कि उन्होंने रामदेव की कोरोनिल किस आधार पर कोरोना की दवाई बताया है. आईएमए की ओर से जारी बयान में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री पर मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया के कोड ऑफ़ कंडक्ट की अवहेलना करने का अभियोग भी लगाया गया है. बयान में लिखा है,

”नियम कहते हैं कि कोई भी डॉक्टर किसी दवा को प्रमोट नहीं कर सकता है, लेकिन केंद्रीय मंत्री जो कि स्वयं एक डॉक्टर हैं, उनके द्वारा दवा को प्रमोट किया जाना चौंकाता है.”

रामदेव की कोरोनिल बनी सरकार का सिरदर्द

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने पिछले शुक्रवार दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में बाबा रामदेव द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया था. इस कार्यक्रम में रामदेव की कोरोनिल को लांच किया गया था. इसमें केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी शामिल हुए थे. बाबा रामदेव ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि उनके संस्थान द्वारा तैयार की गई कोरोनिल से जुड़े शोध पत्रों को कई अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित किया गया है. इस प्रेस वार्ता में दोनों केंद्रीय मंत्रियों ने कोरोनिल के साथ तस्वीरें खिंचवाईं. प्रेस वार्ता के बाद रामदेव ने अलग-अलग टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में ये भी कहा कि कोरोनिल को विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से दुनिया के 154 देशों में भेजने की मान्यता मिल गई है. लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से इस दावे का खंडन किया गया है. इसके बाद से आईएमए इस कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की मौजूदगी पर सवाल उठा रहा है.

रामदेव की कोरोनिल पर IMA ने मांगी सफाई

आईएमए के मुताबिक़, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री द्वारा एक अवैज्ञानिक दवा को जारी किया जाना और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तत्काल उसे ख़ारिज किया जाना इस देश के लोगों का अपमान है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से रामदेव के दावे का खंडन सामने आने के बाद भारतीय चिकित्सक संघ (आईएमए) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को आड़े हाथ लिया है.

IMA ने स्वास्थ्य मंत्री से ये सवाल पूछे:

  1. देश के स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते, ये कितना उचित और तार्किक है कि आप इस तरह की झूठी जानकारी पूरे देश के सामने रखें?
  2. देश के स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते, ये कितना न्यायसंगत है कि आप झूठी जानकारी के साथ अवैज्ञानिक उत्पाद को देश की जनता के सामने जारी करें?
  3. देश के स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते, ये कितना नैतिक है कि आप किसी उत्पाद को अनैतिक, ग़लत और झूठे ढंग के साथ पूरे देश के सामने पेश करें?
  4. देश के स्वास्थ्य मंत्री और आधुनिक मेडिसिन डॉक्टर होने के नाते, आपका एक अवैज्ञानिक उत्पाद को देश की जनता के समक्ष पेश करना कितना नैतिक है?
  5. देश के स्वास्थ्य मंत्री और आधुनिक मेडिसिन डॉक्टर होने के नाते, क्या आप स्वयं द्वारा जारी किए गए तथाकथित एंटी-कोरोना उत्पाद के तथाकथित क्लिनिकल ट्रायल, अगर हुए हैं तो, उनका टाइम फ्रेम और टाइम लाइन स्पष्ट कर सकते हैं?
  6. देश के स्वास्थ्य मंत्री और आधुनिक मेडिसिन डॉक्टर होने के नाते, क्या आप स्वयं द्वारा जारी किए गए तथाकथित एंटी-कोरोना उत्पाद के तथाकथित क्लिनिकल ट्रायल के लिए डबल ब्लाइंड और सिंगल ब्लाइंड क्लिनिकल ट्रायल में शामिल मरीज़ों के बारे में स्पष्ट कर सकते हैं?
  7. देश के स्वास्थ्य मंत्री और आधुनिक मेडिसिन डॉक्टर होने के नाते, क्या आप स्वयं द्वारा जारी किए गए तथाकथित एंटी-कोरोना उत्पाद के तथाकथित क्लिनिकल ट्रायल के लिए डबल ब्लाइंड और सिंगल ब्लाइंड क्लिनिकल ट्रायल में शामिल मरीज़ों के बारे में स्पष्ट कर सकते हैं? क्या इन मरीजों से सुविज्ञ सहमति ली गई थी?
  8. लॉन्च के बाद एक इंटरव्यू में बाबा रामदेव ने आधुनिक चिकित्सा पद्धति की आलोचना करते हुए इसे मेडिकल टेरेरिज़्म की संज्ञा दी. देश के स्वास्थ्य मंत्री और आधुनिक मेडिसिन डॉक्टर होने के नाते, क्या आप बाबा रामदेव के इन बेहद आपत्तिजनक और भड़काऊ बयान पर स्पष्टीकरण दे सकते हैं?
  9. आपकी उपस्थिति में बताया गया है कि इस दवा को डीजीसीआई द्वारा अनुमति मिल गई है, ये किस आधार पर किया गया?

भारतीय चिकित्सक संघ (आईएमए) ने ये सवाल भी उठाया कि अगर कोरोनिल, कोरोना से बचाव में इतनी प्रभावशाली है तो भारत सरकार टीकाकरण पर 35 हज़ार करोड़ रुपये क्यों खर्च कर रही है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने रामदेव की कोरोनिल को प्रमोट करने के चक्कर में देश की डॉक्टर बिरादरी से बैर ले लिया है.

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