हैदराबाद नगर निगम का चुनाव इतना हाईप्रोफाइल क्यों हो गया है?
एक मामूली से नगर निगम के चुनाव के लिए देश के गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत बीजेपी के कई दिग्गज मंत्री संत्री हैदराबाद में प्रचार के लिए पहुंचे. ऐसा क्या है जिसने हैदराबाद नगर निगम के चुनाव को हाई प्रोफाइल बना दिया है.
भारतीय जनता पार्टी ने दक्षिण भारत में अपने पैर जमाने के लिए पंचायत से पार्लियामेंट तक पहुंचने का प्लान बनाया है. वैसे तो अमित शाह के बीजेपी अध्यक्ष रहते हैं बीजेपी ने दक्षिण के राज्यों में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए काफी काम किया है लेकिन अब बीजेपी दक्षिण को लेकर काफी गंभीर दिखाई दे रही है. हैदराबाद नगर निगम चुनाव के लिए बीजेपी ने जिस तरह से अपने स्टार प्रचारकों को मैदान में उतारा उससे एक बात तो साफ हो गई है कि तेलंगाना में दुब्बाक विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव उपचुनाव में मिली जीत ने बीजेपी में जोश भर दिया है.
क्यों महत्वपूर्ण है तो दुब्बाक विधानसभा सीट?
बीते नवंबर में तेलंगाना की दुब्बाक विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था. यह सीट राज्य की सत्ताधारी पार्टी – तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के विधायक की मौत के बाद ख़ाली हुई थी. टीआरएस ने उपचुनाव में दिवंगत विधायक की पत्नी को ही उम्मीदवार बनाया था. यह सीट टीआरएस के लिए काफी अहम मानी जाती है क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव जिस सीट से चुनाव जीत कर आते हैं, वह इससे सटे हुए इलाके में ही आती है. एक तरह से इसे टीआरएस का गढ़ कहा जाता है. उपचुनाव में इस सीट पर टीआरएस का पूरा चुनाव प्रबंधन के चंद्रशेखर राव के भतीजे हरीश राव ने संभाला था. हरीश राव को टीआरएस का अहम चुनावी रणनीतिकार माना जाता रहा है. लेकिन उनकी तमाम कोशिशों के बाद भी टीआरएस यह उपचुनाव हार गई और भाजपा को यहां से जीत मिली. भाजपा का मनोबल दुब्बाक उपचुनाव में मिले वोट प्रतिशत ने भी बढ़ाया, जो पिछली बार के 13.75 फ़ीसद से बढ़कर 38.5 फ़ीसद पर पहुंच गया.
हिंदुत्व के सहारे नैया लगेगी किनारे
तेलंगाना के कुल 119 विधायकों और 17 सांसदों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के केवल दो विधायक और चार सांसद ही हैं. इसके बाद भी भाजपा राज्य के एक नगर निगम चुनाव में अपनी पूरी ताक़त झोंक रही है. और इसके लिए बीजेपी ने अपने उन तमाम चेहरों को मैदान में उतारा जो हिंदुत्व वाली छवि रखते हैं. गृह मंत्री अमित शाह जानते हैं कि दक्षिण की राजनीति मैं इस वक्त एक खालीपन है. और इस खालीपन को भरने के लिए वह मोदी मैजिक का इस्तेमाल करना चाहते हैं. ग्रेटर हैदराबाद के नगर निगम चुनाव में जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव प्रचार किया है उससे एक बात तो स्पष्ट है कि दक्षिण के छोटे दलों के लिए बीजेपी चुनौती बनती जा रही है.
तेलंगाना में जगह बनाने का बीजेपी के लिए बेहतरीन मौका
पिछली बार हैदराबाद के जीएचएमसी चुनाव में मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव के बेटे केटी रामा राव ने पूरी रणनीति तैयार की थी. जानकारों की मानें तो के चंद्रशेखर राव ने पार्टी में अपने बेटे का कद बढ़ाने के लिए उसे यह जिम्मेदारी दी थी क्योंकि पार्टी में केटी रामा राव से ज़्यादा उनके भतीजे हरीश राव की चलती थी. केटी रामा राव के नेतृत्व में टीआरएस ने जीएचएमसी चुनाव में 150 में से 99 सीटें जीती थीं. इस चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को 44, भाजपा को तीन और कांग्रेस को दो सीटें मिली थीं. इस बार भी जीएचएमसी चुनाव की जिम्मेदारी केटी रामा राव के पास है और हरीश राव उप-चुनाव में हार की वजह से फ़िलहाल साइडलाइन कर दिए गए हैं. जानकारों की मानें तो टीआरएस की अंदरूनी लड़ाई, हैदराबाद में इस साल दो बार आई बाढ़ के चलते लोगों की नाराजगी और दुब्बाक चुनाव में हार की वजह से इस समय टीआरएस थोड़ी कमजोर नजर आ रही है. ऐसे में भाजपा को लगता है कि राज्य में जगह बनाने का यह अच्छा मौका हो सकता है.
यह भी पढ़ें:
- क्या है लॉकबिट जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है?
- शिवपाल सिंह यादव को अखिलेश ने दी मुश्किल मोर्चे की जिम्मेदारी, जानिए बदायूं से क्यों लाड़वा रहे हैं लोकसभा चुनाव?
- CII India Europe Business and Sustainability Conclave 2024: एजुकेशन सेक्टर में अडानी ग्रुप नया एक्सपेरिमेंट, यूरोप की बड़ी आईटी कंपनी जॉइस्ट इनोवेशन पार्क से किया एमओयू
- दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल कैमरा कहां है?
- Online Gambling: लूट के तंत्र ने कानून को किया बेबस
अपनी राय हमें [email protected] के जरिये भेजें. फेसबुक और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |