पीएम मोदी और अमित शाह किसान आंदोलन से कितना परेशान हैं?

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किसानों के ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन का आज 5वां दिन है. नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. पीएम मोदी और अमित शाह ने किसान आंदोलन को लेकर प्रतिक्रिया दी है लेकिन किसान अभी डटे हुए हैं.

रविवार शाम किसानों के मसले पर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पार्टी के बड़े नेताओं की बैठक हुई. जिसमें गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और कृषि मंत्री शामिल हुए. पीटीआई के मुताबिक़, बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ तीन केंद्रीय कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के विरोध पर विचार-विमर्श किया. और आंदोलन कैसे खत्म हो इसको लेकर प्लान बनाया है. इससे पहले अमित शाह ने किसानों के प्रदर्शन को ग़ैर राजनीतिक बताया था और कहा था कि ये क़ानून किसानों के कल्याण के लिए है. कुल मिलाकर सरकार का रुख किसानों को खफा करने का नहीं है. और वो बिल वापस भी नहीं लेना चाहती.

पीएम मोदी ने कृषि बिलों की वकालत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि क़ानूनों के बारे में कहा है कि भ्रम और अफ़वाहों से दूर, क़ानून की सही जानकारी लोगों को होनी चाहिए. उन्होंने इन क़ानूनों के बारे में बात करते हुए कहा, “इन सुधारों से न सिर्फ किसानों के अनेक बन्धन समाप्त हुये हैं , बल्कि उन्हें नये अधिकार भी मिले हैं, नये अवसर भी मिले हैं.” रविवार को ‘मन की बात’ में मोदी ने दो किसानों का उदाहरण देते हुए और कृषि क़ानून और पराली की समस्या के बारे में कहा. उन्होंने कहा कि नए कृषि क़ानूनों के ज़रिए किसानों को नए अधिकार मिले हैं. इन अधिकारों ने किसानों की समस्याएं कम करना शुरू कर दिया है.

क्या किसान करेंगे सरकार पर भरोसा?

पीएम मोदी और अमित शाह किसी भी तरह किसानों का आंदोलन खत्म कराना चाहते हैं. लेकिन किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. प्रदर्शनकारी किसानों कहना है कि वो सरकार के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं, लेकिन कोई भी शर्त नहीं मानेंगे. इनमें सिंघु और टीकरी बॉर्डर से दिल्ली के बुराड़ी मैदान में जाने जैसी शर्तें शामिल हैं. किसानों का साफ कहना है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वह भी आंदोलन खत्म करने के बाद नहीं मानेंगे. इस प्रदर्शन में हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पंजाब के 30 से अधिक किसान संगठन शामिल हैं.

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