आसमान पर पहुंची डीजल की कीमतों के बीच WWF और इरिगेशन डिपार्टमेंट की ये कोशिश किसानों को राहत दे सकती है

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खेती को फायदे का सौदा बनाना है तो सरकारों को सिंचाई का सिस्टम सुधारना होगा. क्योंकि किसान ऐसे समय में खेती को मुनाफे में नहीं बदल सकता जब डीजल पेट्रोल से ज्यादा महंगा बिक रहा हो. सोने के भाव बिक रहे डीजल से किसानों को बचाने के लिए WWF और कासगंज सिचाई विभाग ने नहरों के दुरुस्तीकरण के लिए वॉकथ्रू सर्वे किया है.

WWF इंडिया पर्यावरण संरक्षण आमतौर पर जनसहभागिता से गांव-देहात के महत्वपूर्ण मुद्दों को सुलझाने का काम करता है और गांव में इस वक्त सिंचाई की व्यवस्था में सुधार सबसे महत्वपूर्ण है. मानसून में बारिश के पानी को संजोकर साल के बाकी महीनों में कैसे सिंचाई का काम किया जाए और कैसे नहरों को जीवित किया जाए. इसके लिए WWF सिंचाई विभाग के साथ मिलकर संयुक्त सर्वे  कर रहा है. 23 जून से 25 जून के बीच सिंचाई विभाग, जल उपभोक्ता समितियों ने वॉकथ्रू सर्वे किया और हेड से टेल तक नहर में की जा रही गतिविधियों की रिपोर्ट तैयार की.

उपभोक्ता समितियां नहरों को बचाएंगी

WWF

सिंचाई विभाग और जन उभभोक्ता समितियों की कोशिश यही है कि बारिश के दिनों में जल संरक्षण किया जाए. जिसका फायदा किसानों को मिले. किसानों को खेती को फायदा पहुंचाने के लिए ये जरूरी है कि नहरों में साल के 12 महीने पानी रहे. लेकिन नहरों की खस्ताहाली की वजह से नहरें सूख जाती हैं और किसानों को सिंचाई के दूसरे साधनों पर निर्भर रहना पड़ता है. लेकिन इस बार कासगंज में वॉकर्थ्रू सर्वे करके जल उपभोक्ता समिति के अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, सिंचाई विभाग से पदाधिकारी और सींच पाल राज कुमार, प्रदीप, सोनू, जुगेंद्र, मोहर, नाथूराम  और WWF इंडिया की टीम के राजेश और हिमांशु नहरों को सुधारने  लिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है.

  • नहर से किसानों द्वारा सिंचाई करने के बाद बचे हुए पानी द्वारा नदियों को पुनर्जीवन देने के लिए डब्लू डब्लू एफ इंडिया, सिंचाई विभाग और किसानों द्वारा संयुक्त पहल
  • किसानों को सिंचाई की उन्नत प्रणालियों में सिछित किया जाएगा जिससे नहर से सिंचाई के लिए समुचित पानी का उपयोग किया जाएगा और शेष बचे हुए पानी को पास से गुजरने वाली नदियों में या तालाबो में जाने के लिए मार्ग प्रशस्त किया जाएगा। जिससे कि नदी के प्रवाह में बढ़ोत्तरी और भूमि में जल संरक्षण हो सके।
  • नहरे नदियों से निकलती हैं और नहरो से सिंचाई लेने के बाद टेल की सतह (आखिरी सतह) पर पहुचने वाले पानी के लिए कोई समुचित व्यवस्था न होने के कारण यह पानी वहा पर जल भराव की स्तिथि पैदा कर देती है जिससे फसलो का भी नुकसान होता है। अतः संस्था डब्लू डब्लू एफ ने सिंचाई विभाग के साथ मिलकर इस पानी के द्वारा नदियों के प्रवाह को बढ़ाने की कोशिश की है। वर्तमान में जिला बिजनोर में करूला नदी के प्रवाह को इसी तरह के प्रयासों से बढ़ाया जा सका है।

खेती के लिए जरूरी है ये कवायद

इसके लिए संयुक्त टीम ने पैदल चल कर नहर के किनारे-किनारे देखते हुए पूरा परीक्षण किया. इस पूरी प्रक्रिया के माध्यम से ये पता लगाया गया कि कहां कहां काम कि गुंजाइश है. इसके लिए ग्रामीण सहभागिता को बढ़ावा देते हुए, चुने हुए पदाधिकरियों को प्रशिक्षण देने का काम भी किया जाएगा. कवायद इस बात की भी हो रही है कि लोगों को ट्रेंड किया जाए कि वो कैसे नहरों को बचाएं और लाभ उठाएं. जन उपभोक्ता समितियां बनाकर लोगों को अधिकार दिए गए हैं कि वो नहरों की मरम्मत का कार्य करें. समितियों को बजट देकर सिंचाई विभाग के तकनीकी अधिकारी के देखरेख में मरम्मत का काम कराया जाएगा. आमतौर पर ये काम सिंचाई विभाग करता था लेकिन अब ये समितियां ये काम करेंगीं

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अंकित तिवारी

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