ऑटो सेक्टर में मचा हाहाकार, लाखों लोग होंगे बेरोजगार

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ऑटो सेक्टर की हालत इस वक्त बेहद खराब है. ये सेक्टर मंदी के दौरा से गुजर रहा है. हालात ये है कि मारूती और टाटा जैसे कंपनियों ने मांग कम होने के चलते अपने प्रोडक्शन को नाम सिर्फ कम किया है बल्किल कई प्लांट बंद कर दिए हैं.

भारत में ऑटो सेक्टर अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. ये वो सेक्टर है जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से तकरीबन 3.5 करोड़ लोगों को रोजगार देता है. लेकिन लगातार गिरती बिक्री के चलते कार और बाइक निर्माता कंपनियां बड़े पैमाने पर नौकरियों में कटौतियां कर रही हैं. हालात इतनी खराब हो गई है कि बड़ी बड़ी कंपनियों ने अपने प्लांट बंद कर दिए हैं. रायटर्स में छपी रिपोर्ट बताती है कि वाहन निर्माता, पार्ट्स निर्माता और डीलर्स ने बीते अप्रैल महीने से 3.50 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया.

ऑटो सेक्टर की हालत इतनी खराब क्यों ?

लोग गाड़ियां खरीद नहीं रहे हैं. लोगों ने गाड़ियों पैसा लगाने लगभग बंद कर दिया है. न सिर्फ कार बल्कि मोटरसाइकिलों की बिक्री भी घटी है. पहले कार और बाइक निर्माता कंपनियों ने देश भर में 15,000 और कंपोनेंट निर्माताओं ने तकरीबन 1 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को बाहर निकाला था. अब ये संख्या और बढ़ेगी. हाल के दिनों में पांच ऐसे दिग्गज वाहन निर्माताओं की पहचान की गई हैं जिन्होनें हाल के दिनों में बड़े पैमाने पर नौकरियों में कटौती करने की योजना बनाई है.

कहा जा रहा है कि ऑटो सेक्टर अपने अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. अगर ऐसे ही हालात रहे तो ये सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन जाएगा. देश में वैसे भी नौकरियों की किल्लत है और अगर ऐसे में ऑटो सेक्टर से नौकरियां जाती रहीं तो फिर बेरोजगारों की संख्यां में और इजाफा होगा. ऑटो सेक्टर के हालात सुधरने की भी गुंजाइश कम ही है क्योंकि देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया ने वाहन उद्योग में जारी सुस्ती के मद्देनजर जुलाई महीने में उत्पादन में 25.15 प्रतिशत की कटौती की है.

लंबे वक्त से है ऑटो सेक्टर में सुस्ती

लगातार छठवें महीने में बड़ी कंपनियों को अपना उत्पादन घटाना पड़ा है. मारुति ने हाल ही में बताया है कि जुलाई 2019 में 1,33,625 वाहनों का उत्पादन किया है. यही उत्पादन एक साल पहले 1,78,533 इकाइयों का था. मारुति आल्टो, वैगनआर, सेलेरियो, इग्निस, स्विफ्ट, बलेनो, डिजायर समेत छोटी और कॉम्पैक्ट सेग्मेंट में जुलाई 2019 में उत्पादन 25 प्रतिशत घटकर 95,733 वाहनों पर रहा है. इसी तरह जिप्सी, विटारा ब्रेजा, अर्टिगा और एस-क्रॉस जैसे यूटिलिटी गाड़ियों का उत्पादन भी 21.26 प्रतिशत तक घट गया है.

मारूति की तरह ही टाटा मोटर्स की हालत भी खराब है. टाटा ने अपने कई प्लांट बंद कर दिए हैं. पिछले दो हफ्तों में टाटा ने चार संयंत्रों को बंद कर दिया है. टाटा मोटर्स के एक बयान में कहा गया है कि, डिमांड और स्प्लाई में आए अंतर के चलते ऐसा किया गया है. महिंद्रा की हालात भी खराब है. महिंद्रा का कहना है कि अप्रैल और जून महीने के बीच 5 से 13 दिन तक तो गाड़ियों का उत्पादन हुआ ही नहीं. ऑटो सेक्टर को अब सरकार से उम्मीद है कि वाहनों पर GST दर घटाई जाए और प्रोत्साहन पैकेज दिया जाए.

बेरोजगारी बढ़ने की पूरी संभावना

वाहन उद्योग से जुड़े दिग्गजों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक की है और बताया है कि हालात बेहद खराब है. वाहन निर्माताओं ने इस बैठक में कहा कि मांग में सुधार के लिए वाहनों पर GST को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने की जरूरत है. ऑटो क्षेत्र के लोगों का कहना है कि अगर ये मंदी बनी रही तो 3.5 करोड़ लोगों को रोजगार पर खतरा बन जाएगा.  अगर ऐसा हुआ तो CMIE के अनुसार, जुलाई 2019 में भारत की बेरोजगारी दर एक साल पहले के 5.66 प्रतिशत से बढ़कर 7.51 प्रतिशत हो गई थी उसमें और बढ़ोत्तरी होगी.

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