लोकसभा चुनाव: सियासत में जीत-हार की संभावना
- लोकसभा चुनाव में क्या हो सकता है?
- चुनाव के बाद क्या संभावना बन सकती है?
- नरेंद्र मोदी दोबारा कैसे पीएम बन सकते हैं?
- राहुल गांधी के पीएम बनने की क्या संभावना है?
- चुनाव बाद क्षेत्रीय दलों की क्या भूमिका होगी?
इस तरह के सवालों पर मंथन शुरू हो गया है. कौन कितना महत्वपूर्ण होगा और किसके लिए क्या संभावना है ये देखना जरूरी है.
कर्नाटक में अगर कांग्रेस जेडीएस के साथ लड़ी तो बीजेपी को नुकसान हो सकता है, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुंकि बीजेपी की सरकारें अब नहीं हैं तो यहां पर बीजेपी को नुकसान और कांग्रेस को फायदा हो सकता है. यूपी में सपा-बसपा-आरएलडी साथ लड़ रहे हैं तो बीजेपी यहां पर 80 में 71 सीटें तो शायद नहीं जीत पाएगी. यानी यहां पर भी बीजेपी को नुकसान हो सकता है. बिहार में उपेंद्र कुशवाह के अलग होने से नुकसान बीजेपी को होगा. गुजरात में कांग्रेस के प्रदर्शन में सुधार हो सकता है.
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कुल मिलाकर गणित ये है कि इन राज्यों के नुकसान की भरपाई बीजेपी पूर्वोत्तर, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और दक्षिण के राज्यों से करना चाहती है जो इतना आसान नहीं है. रही बात यूपी की तो यहां पर 2014 में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने 73 सीटें जीतीं थी लेकिन 2019 में ऐसा होना मुश्किल है.
अगर ये हुआ तो PM बनेंगे मोदी
राजनीतिक के जानकार कहते हैं कि अगर 80 में से बीजेपी 30 सीटें भी जीतती है तो उसकी कुल सीटें 220 से सवा दो सौ के करीब होती हैं यानी 2014 की 284 सीटों से करीब 50 या 60 सीटें कम. इन सीटों की भरपाई के लिए बीजेपी दूसरे राज्यों की ओर देख रही है लेकिन फिर भी ऐसी संभावना है कि बीजेपी को 70 से 80 सीटों का नुकसान हो सकता है.
तमाम सर्वे में ये बात आई है कि एनडीए इस बार सरकार बना सकता है. अगर बीजेपी सवा दो सौ सीटें जीतती है तो कुछ सहयोगी दलों की मदद से वो सरकार में आ जाएगी. शिवसेना जैसी कुछ सहयोगी बीजेपी से भले नाखुश हों लेकिन वो आखिरकार बीजेपी के साथ ही रह सकते हैं. यहां कांग्रेस के लिए संभावना कम है कि वो सत्ता में आए. क्योंकि अगर बीजेपी 200 सौ से ज्यादा सीटें जीतेगी तो कांग्रेस 100 के अंदर सिमट जाएगी.
अगर ये हुआ तो मोदी कमजोर होंगे!
यहां एक और आंकड़ा ये है कि अगर बीजेपी यूपी में तो बुरी हालात में हो और बाकी के राज्यों जैसे एमपी, राजस्थान, गुजरात में अच्छा प्रदर्शन करे तो क्या होगा. यानी लोकसभा चुनाव में अगर बीजेपी 200 के अंदर सिमट जाती है तो कांग्रेस 100 के पार आ जाएगी लेकिन सरकार बीेजेपी ही बनाएगी.
हां, ये बात अलग है कि उसे पूर्व बहुमत के लिए चंद्रबाबू नायडू, चंद्रशेखर राव और नवीन पटनायक जैसे नेताओं की ओर देखना पड़ेगा. इसका असर ये होगा कि नरेंद्र मोदी की जगह किसी ओर को पीएम की कुर्सी पर बैठाने की मांग ये नेता कर सकते हैं. लेकिन ये तभी संभव है जब एनडीए 240 या उससे कम सीटें जीते और बीजेपी 200 से कम सीटें जीते.
बढ़ेगा अखिलेश-माया का कद
अगर बीजेपी की सीटें 175 के अंदर सिमट जाती हैं तो फिर एनडीए मिलकर 225 सीटों पर ही पहुंच पाएगा और ऐसे में सपा और बसपा जैसे दल महत्वपूर्ण हो जाएंगे. ये होने की संभावना तब ज्यादा है जब यूपी में सपा-बसपा बीजेपी का सफाया कर दें. जैसा 2015 में लालू-नीतीश ने किया था.
अगर बीजेपी को यूपी में 50 से ज्यादा सीटों का नुकसान होता है तो फिर बीजेपी का सत्ता में आना मुश्किल होगा क्योंकि एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की कुल 65 सीटों में से बीजेपी ने 2014 में 62 सीटें जीती थीं लेकिन इस बार यहां सरकार कांग्रेस की है तो ये काम मुश्किल है.
कर्नाटक, गुजरात, झारखंड, उत्तराखंड और दिल्ली में भी 2014 जैसा प्रदर्शन करना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा. तो अगर बीजेपी 150 से 175 सीटों में सिमटती है फिर कांग्रेस को इसका फायदा होगा और वो 135 से 145 तक पहुंच सकती है. ऐसे में यूपीए 200 के करीब पहुंच जाएगा. सपा-बसपा जैसे दल अहम हो जाएंगे और केंद्र में जो सरकार बनेगी उसमें क्षेत्रीय दलों के नेताओं की स्थिति मजबूत होगी.