कैंसर से बचना है तो खाने की आदतें बदलनी होंगी

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कैंसर जानलेवा है और आपके आसपास ऐसी तमाम ये तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रहा है. कैंसर की चपेट में आए मरीज को बचाना मुश्किल इसलिए भी होता है क्योंकि इसका इलाज महंगा है. और हर जगह उपलब्ध नहीं है. लिहाजा कैंसर से बचने के लिए एतिहात सबसे मुफीद और सस्ता तरीका है.

भारत की बात करें तो दो दशकों में कैंसर के मामले बढ़े हैं. मौजूदा वक्त में भारत के 22.5 लाख लोग कैंसर से जूझ रहे हैं. आकंड़ा ये भी बताता है कि सालाना देश में करीब 11.5 लाख लोगों में कैंसर का पता चलता है. और ये जानलेवा बीमारी सालाना करीब साढ़े सात लाख लोगों की जान लेती है. लेकिन सवाल ये है कि इसको कैसे रोका जाए. और क्यों होता है कैंसर ? वैज्ञानिक और पोषणविज्ञानी इन सवालों के जवाब तलाशने के लिए लागातर खोज रहे हैं. विज्ञानिक कोशिश कर रहे है लोंगों को इसके बारे में बताया जाए कि वो कैसे कैंसर जैसी घातक बीमारी से बच सकते हैं.

ब्रोकोली कैंसर से बचाए

ब्रोकोली में सल्फर कंपाउंड होते हैं इसको चबा चबा कर खाने से  ग्लूकोसिनोलेट्स रिलीज होता है इसमें कई कैंसररोधी गुण होते हैं. इसके तने में ऐसे तत्व होते हैं जो हमें कैंसर से बचाते हैं इसलिए फूल के साथ तना भी खाना चाहिए. ब्रोकोली में मौजूद कैंसररोधी तत्वों का एक बड़ा हिस्सा पकाने के दौरान नष्ट हो जाता है. लिहाजा इसको काटकर खाना चाहिए ना कि पकाकर.

लाल और पीले रंग के फल

अंगूर और सेब में एंथोसाइनिन होता है, कद्दू या पपीते में क्रैरिटोनॉएड से मिलता है. ये सभी आपको कैंसर से बचाने वाली चीजें हैं. लाल रंग वाले ऐसे प्राकृतिक फोटोकैमिकल्स का एंटीऑक्सीडेंट असर होता है जो कई प्रकार से कोशिकाओं की रक्षा करता है. लिहाजा आप लाल और पीले रंग के फल और सब्जियों को खाकर कैंसर से लड़ सकते हैं.

तीखी और कड़वी चीजें

जो भी चीज थोड़ी तीखी या कड़वी होती है, उसमें कैंसर से बचाने वाले तत्व होते हैं. लिहाजा अगर आप करेला, नीम, मिर्च नहीं खाते तो खाइए क्योंकि ये आपको कैंसर से बचा सकती है. इसमें ऐसे तत्व होते हैं जो कैंसर से लड़ने के लिए शरीर को तैयार करते हैं.

बीजों वाले चीजें

बीजों में ज्यादा फाइबर होता है और कई अच्छे तत्व भी छिपे रहते हैं. इनमें सेलेनियम होता है जो कैंसर से बचाव के लिए बहुत जरूरी है. बीजों में पॉलीफेनॉल से आंतों के कैंसर से बचाव करने में काफी मदद होती है. लेकिन ये ख्याल रखना चाहिए कि इसमें बड़ी तेजी से फंफूद लगता है और फंफूद कैंसर पैदा कर सकता है. लिहाजा हमें साबुत बीज खरीदकर उन्हें छीलना या बारीक करना चाहिए और खाना चाहिए.

मांसाहारी हैं तो…

साढ़े चार सौ ग्राम मीट हफ्ते में खाते हैं तो कोई बात नहीं है लेकिन अगर उससे ज्यादा खाते हैं तो फिर आपको सोचना होगा. इससे ज्यादा खाने पर कैंसर का खतरा है. रेडमीट जितना कम खाया जाए उतना अच्छा है. कुछ लोगों का कहना है कि इसमें आयरन बहुत होता है. लेकिन आयरन की ललक और कैंसर दे सकती है. मीट को बहुत ज्यादा भूनते, पकाते या सेंकते हैं तो उसमें भूरापन आता है, जिसमें कैंसर पैदा करने वाले तत्व हो सकते हैं. जैसे कि पॉलिएरोमैटिक हाइड्रोकार्बन. तो मांस को जलाकर या भूनकर नहीं खाना चाहिए.

तो कैंसर होने की वजह होती है कारसाइनोजन, एक्रीलैमाइड्स इसलिए जब स्नैक्स, कॉफी, बेक की हुई चीजें को गर्म किया जाता है तब एक्रीलैमाइड्स पैदा होता है यानी आप ऐसा न करके कैंसर से बच सकते हैं. हालांकि इसकी कोई गारंटी नहीं है कि कैंसर नहीं होगा लेकिन आप अपने शरीर को इसके लिए तैयार कर सकते हैं कि ये कैंसर ले लड़ सके.

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