राम मंदिर मामले में फिर मिली तारीख, संतों ने कहा ‘सब्र का बांध टूट रहा है’

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सुप्रीम कोर्ट में आज राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में सुनवाई होगी. अभी तक इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के साल 2010 के फैसले के खिलाफ उच्च अदालत में 14 अपीलें की गईं हैं.

बहुत महत्वपूर्ण है कि इस मामले में जल्द फैसला आए क्योंकि इससे भारतीयों की आस्था जुड़ी हुई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या की 2.77 एकड़ जमीन सुन्नी वक़्फ बोर्ड, र्निमोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर बांटने का फैसला दिया था. हाईकोर्ट के इस फैसले को सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी गई थी. इस मामले में पिछली सुनवाई 29 अक्टूबर को हुई थी. 29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में जनवरी के पहले हफ़्ते में ‘उपयुक्त पीठ’ के सामने सुनवाई होगी जो सुनवाई का प्रारूप तय करेगी.

इस मामले में तमाम हिंदू संगठनों ने अपने अपने तरीके से आवाज उठाई है. साधू संतों को सुप्रीम कोर्ट का रवैया अखर रहा है. अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने तो सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दाखिल कर मामले की जल्दी सुनवाई की मांग तक की थी लेकिन कोर्ट ने इस प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया था. इस मामले में गर्माहट तब बढ़ गई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक जनवरी को दिए एक इंटरव्यू में राम मंदिर पर अध्यादेश लाने के सवाल पर कहा था, ‘क़ानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही इस पर विचार संभव है.’

एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि पर मालिकाना हक के लिए सुनवाई शुरू हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ दिल्ली में अयोध्या पर्व की शुरूआत हो रही है. अयोध्या पर्व के आयोजक फैजाबाद के बीजेपी सासंद लल्लू सिंह हैं. लल्लू सिंह का कहना है कि इस कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी करेंगे. हालांकि लल्लू सिंह ने पहले ही साफ कर दिया है कि इस कार्यक्रम का सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से कोई ताल्लुक नहीं है. ये बस अयोध्या के धार्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं से लोगों को रूबरू कराने के लिए है.

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