महागठबंधन से नहीं मायावती से मोदी परेशान होंगे !

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मुझे यह भी पता चला है कि मध्यप्रदेश में भाजपा अब भी जोड़तोड़ में जुटी हुई है. इसलिए भाजपा को रोकने के लिए हमारी पार्टी ने कांग्रेस की नीतियों के साथ समर्थन न जाते हुए भी मध्यप्रदेश में उन्हें समर्थन देने का फैसला किया है. इसका मकसद भाजपा को रोकना है. यदि राजस्था न में भी भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस को समर्थन देने का अवसर आता है, तो बसपा इस पर भी विचार कर सकती है।’

मध्य प्रदेश में 15.6, राजस्थान में 17.83 और छत्तीसगढ़ में 11.6 फीसदी SC की आबादी है. इन आकड़ों को देखकर आप ये अंदाजा लगा सकते हैं मायावती क्यों अहम हैं. नतीजों के बाद मध्यप्रदेश में मायावती ने कांगेस को समर्थन दे दिया है लेकिन अगर ये काम मायावती पहले कर लेतीं तो क्या होता? इसे समझने के लिए ये आंकड़े देखिए.

MP में BSP को 1993 और 1998 में 11-11 सीटें मिली थीं. इस बार सिर्फ 2 सीटों मिलीं हैं. 2013 के मुकाबले पार्टी के वोट पर्सेंट और सीटों की संख्या दोनों में गिरावट आई है. पिछले चुनाव में BSP ने 227 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे जिसमें से 4 पर जीत मिली थी और 6.29 फीसदी वोट मिले थे. इस बार सिर्फ 5 फीसदी वोट ही उसकी झोली में आए.

छत्तीसगढ़ में BSP पूर्व सीएम अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) से हाथ मिलाकर लड़ी, लेकिन सिर्फ 2 प्रत्याशी जीते और 3.9 फीसद वोट मिले. 2013 के चुनाव में 4.27 फीसदी वोट के साथ उसे 1 सीट मिली थी. छत्तीसगढ़ में उसे 6 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल हो चुका है, लेकिन सीटें कभी 2 से आगे नहीं बढ़ीं.

राजस्थान में 2013 के मुकाबले अच्छा रहा. यहां 4.0 फीसदी वोट के साथ BSP को 6 सीटें मिलीं. पिछले चुनाव में 3.37 फीसदी मत के साथ उसे सिर्फ 3 सीटें मिली थीं. हालांकि वो 2008 के अपने सबसे अच्छे प्रदर्शन को नहीं दोहरा सकी है तब 7.60 फीसदी वोट के साथ 6 सीटें जीती थीं.

तो क्या अगर बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने जो बात नतीजों के बाद कही वो अगर पहले कह देतीं तो हालात काफी अलग होते. मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को 116 सीटें चाहिए. उसने 114 जीतीं हैं दो सीटें बसपा की मिलाकर वो 116 तक आराम से पहुंच गई है.

बसपा कांग्रेस अगर मिलकर लड़ते

  1. मध्य प्रदेश में मिलकर चुनाव लड़तीं तो लगभग 45.9 फ़ीसदी वोट हासिल होते.
  2. इस बार कांग्रेस को 40.9 फ़ीसद वोट मिले हैं. जबकि बीएसपी को पांच प्रतिशत.
  3. मिलकर लड़ते तो मध्य प्रदेश में ये गठबंधन एकतरफ़ा नतीज़े हासिल करता.
  4. यह वोट प्रतिशत कांग्रेस-बीएसपी गठबंधन के पक्ष में तीन-चौथाई हो सकता था.
  5. राजस्थान में बीएसपी ने 4% वोट हासिल किए, कांग्रेस ने 39.3 फ़ीसदी.
  6. दोनों पार्टियां अगर मिलकर लड़तीं तो राजस्थान में 43.3 फ़ीसद हो जाता है.
  7. मिलकर लड़ने से राजस्थान की दो-तिहाई से अधिक सीटें गठबंधन की होतीं

लोकसभा चुनाव में मायावती खेल करेंगी!

ये चुनाव तो हो गए लेकिन अभी फाइनल बाकी है. और क्या मायावती फाइनल यानी लोकसभा चुनावों में मिलकर लड़ेगी. अगर इसका जवाब हां है तो फिर आप समझ सकते हैं कि आने वाले वक्त में सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में भी बीजेपी के लिए बीएसपी ज्यादा बड़ा खतरा हो जाएगी. क्योंकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से ज्यादा मोदी को मायावती से डरना पड़ेगा.

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