चिट्ठी से चोर पकड़ा जाएगा, या विपक्ष मुंह की खाएगा!

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राफेल मामले में एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं. राहुल गांधी और विपक्षी दल इन खुलासों से चौकीदार को चोर कह रहे हैं और मोदी सरकार राहुल गांधी को झूठा करार दे रही है. अब एक चिट्टी सामने आई है जिसके जरिए राहुल गांधी ने एक बार फिर मोदी सरकार को निशाने पर लिया है. राहुल गांधी ने कहा है कि मोदी ने रक्षा मंत्रालय की आपत्ती के बाद भी राफेल का महंगा सौदा किया और अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाया.

उन्होंने अपनी प्रेस कॉन्फ्रैंस में चिट्ठी दिखाई है जिसमें  राफेल डील पर लिखा मनोहर पर्रि कर का नोट है, साफ-सुथरी लिखावट में उन्होंने टिप्पणी की है. विपक्ष के आरोपों के बीच रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में सफाई देते हुए सभी आरोपों को खारिज कर दिया. लेकिन राहुल गांधी लागातार ये आरोप लगा रहे हैं कि इस मामले की जेपीसी जांच होनी चाहिए.

अंग्रेजी अखबार द हिन्दू’ में खबर के बाद राहुल के आरोपों को धार मिली है. इस रिपोर्ट मे कहा गया है कि राफेल खरीद में सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय का दखल था. उस वक्त रक्षा मंत्रालय ने उस दखल का विरोध किया था. अखबार ने वो चिट्ठी भी छापी है जो तत्कालीन रक्षा सचिव जी मोहन कुमार ने दिसंबर 2015 में राफेल सौदे के संदर्भ में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को लिखी थी. इसमें रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि PMO अगर सौदे में समानांतर बातचीत करता है तो रक्षा मंत्रालय की नेगोशिएशन टीम की कोशिशों को धक्का लग सकता हैं.

इस चिट्ठी पर रक्षा मंत्री ने अपने हाथों से साफ सुथरी और करसिव हैंडराइटिंग में टिप्पणी भी की है. पर्रिकर ने अपने नोट में लिखा है,

ऐसा प्रतीत होता है कि पीएमओ और फ्रांसीसी राष्ट्रपति का कार्यालय उस मुद्दे की प्रगति की निगरानी कर रहा है जो शिखर बैठक का एक परिणाम था। पैरा 5 एक ओवर रिएक्शन प्रतीत होता है। डीआई सेक [रक्षा सचिव] प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी से परामर्श कर समस्या/मामले को हल कर सकते हैं।”

इस नोटिंग से कांग्रेस की उस बात को बल मिलता है जिसमें राहुल गांधी कह रहे हैं कि राफेल की खरीद से जुड़ी डील में प्रधानमंत्री कार्यालय सीधा दखल था. ये मामला संसद में भी उठा. टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने संसद में सवाल उठाया कि जब राफेल विमान खरीदने के लिए रक्षा मंत्रालय और फ्रांस सरकार के बीच बातचीत जारी थी तो क्यों प्रधानमंत्री कार्यालय से हस्तक्षेप किया गया? कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि मोदी का पीछा आसानी से राफेल से नहीं छूटेगा.

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