हमास और इसराइल में इतनी दुश्मनी क्यों है?
हमास और इसराइल आमने सामने हैं. हमास और ‘इस्लामिक जिहाद’ जैसे संगठन भले ही इस संघर्ष में कमज़ोर पक्ष लगते हों लेकिन उनके पास इतने हथियार तो ज़रूर हैं कि वे इसराइल पर हमला कर सकते हैं. गज़ा पट्टी में इसराइल और फलस्तीन के बीच जो संघर्ष चल रहा है, उसका खामियाजा दोनों ही पक्षों को भुगतना पड़ रहा है.
इसराइली सेना और #फ़लस्तीनी चरमपंथियों के बीच लगातार पाँचवें दिन संघर्ष जारी है. इसराइल ने गज़ा में अपनी कार्रवाई तेज़ कर दी है, वहीं फ़लस्तीनी इसराइल में रॉकेट दाग रहे हैं. #इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यमिन नेतन्याहू ने कहा है कि इसराइली सेना गज़ा में जबतक ज़रूरी हुआ सैन्य कार्रवाई करती रहेगी. शुक्रवार सुबह उन्होंने एक बयान में कहा कि “हमास को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी”. वहीं हमास के सैन्य प्रवक्ता ने कहा है कि इसराइली सेना ने अगर ज़मीनी सैन्य कार्रवाई करने का फ़ैसला किया तो वो उसे “कड़ा सबक” सिखाने के लिए तैयार हैं.
हमास फ़लस्तीनी चरमपंथी गुटों में सबसे बड़ा गुट है
हम आप की शुरुआत शुरूआत 1987 में फ़लस्तीनियों के पहले इंतिफ़ादा या बग़ावत के बाद हुई, जब वेस्ट बैंक और गज़ा पट्टी में इसराइली क़ब्ज़े का विरोध शुरू हुआ था. इस गुट के चार्टर में लिखा है कि वो इसराइल को तबाह करने के लिए संकल्पबद्ध है. #Hamas हमास, और कम-से-कम उसके सैन्य गुट को इसराइल, अमेरिका, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और कई अन्य मुल्क़ एक आतंकवादी संगठन मानते हैं. हमास का नाम पहली इंतिफ़ादा के बाद सबसे प्रमुख फ़लस्तीनी गुट के तौर पर उभरा जिसने 1990 के दशक में इसराइल और ज़्यादातर फ़लस्तीनियों की नुमाइंदगी करने वाले फ़लस्तीनी मुक्ति संगठन (पीएलओ) के बीच ओस्लो में हुए शांति समझौते का विरोध किया.
हमास कितना ताकतवर है ?
हमास के बम निर्माता याहिया अय्याश की 1995 के दिसंबर में की गई हत्या के जवाब में संगठन ने 1996 की फ़रवरी और मार्च में कई आत्मघाती बम धमाके किए जिनमें लगभग 60 इसराइली लोगों की जान चली गई.
2000 में अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के कैंप डेविड शिखर सम्मेलन के नाकामयाब रहने और उसके थोड़े समय बाद दूसरे इंतिफ़ादा के बाद, हमास की ताक़त और प्रभाव बढ़ते गए जब इसराइल ने फ़लस्तीनी प्राधिकरण पर हमलों को समर्थन देने का आरोप लगाते हुए उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू की. हमास ने तब क्लीनिक और स्कूल शुरू किए जहाँ ऐसे फ़लस्तीनियों की मदद की जाने लगी जो ख़ुद को उस भ्रष्ट और अक्षम फ़लस्तीनी प्राधिकरण के हाथों ठगा महसूस कर रहे थे जिसकी कमान फ़तह गुट के हाथों में थी.
2004 के मार्च और अप्रैल में हमास के आध्यात्मिक नेता शेख़ अहमद यासीन और उनके उत्तराधिकारी अब्दुल अज़ीज़ अल-रनतिसी को इसराइली मिसाइल हमलों में मार डाला गया. उसी साल नवंबर में फ़तह गुट के नेता यासिर अराफ़ात का निधन हो गया और फिर फ़लस्तीनी प्राधिकरण की कमान महमूद अब्बास के हाथों में आ गई जो मानते थे के हमास के रॉकेट हमलों से नुक़सान हो रहा है. फिर 2006 में जब हमास ने फ़लस्तीनी संसदी चुनाव में ज़बरदस्त जीत हासिल की तो उसके और फ़तह के बीच एक कटु सत्ता संघर्ष शुरू हो गया. हमास ने इसराइल के साथ फ़लस्तीनियों के पिछले सारे समझौतों पर दस्तख़त करने, इसराइल को स्वीकार करने और हिंसा बंद करने से इनकार कर दिया.
हमास और इसराइल के बीच दुश्मनी क्यों ?
इसराइल हमास को गज़ा से होने वाले हमलों के लिए ज़िम्मेदार मानता है और वो वहाँ तीन बार सैन्य कार्रवाई कर चुका है जिसके बाद सीमा पार जाकर लड़ाई भी हुई. 2008 के दिसंबर में इसराइली सेना ने रॉकेट हमलों को रोकने के लिए ऑपरेशन कास्ट लीड चलाया. 22 दिन तक चले संघर्ष में 1,300 से ज़्यादा फ़लस्तीनी और 13 इसराइली मारे गए. 2012 के नवंबर में इसराइल ने एक बार फिर ऑपरेशन पिलर चलाया जिसकी शुरूआत एक हवाई हमले से हुई जिसमें क़साम ब्रिगेड के कमांडर अहमद जबारी को निशाना बनाया गया. आठ दिनों तक चली लड़ाई में 170 फ़लस्तीनी मारे गए जिनमें ज़्यादातर आम नागरिक थे, और सात इसराइली लोगों की मौत हुई. दोनों लड़ाईयों के बाद हमास की सैन्य ताक़त कमज़ोर हुई मगर फ़लस्तीनियों के बीच उसका समर्थन और बढ़ गया.
2014 के बाद से दोनों पक्षों के बीच लगातार हिंसक झड़पें होती रही हैं मगर मिस्र, क़तर और संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से संघर्षविराम होता रहा और लड़ाई नहीं छिड़ी. घेराबंदी के कारण होते दबाव के बावजूद, हमास ने गज़ा में अपनी सत्ता बनाई हुई है और वो अपने रॉकेट के भंडार को बेहतर बनाता जा रहा है. यही कारण है कि इसराइल की ताकत के सामने हमास झुकने को तैयार नहीं है.
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