Gujrat election: 99 के फेर में फंसी BJP, मोदी-शाह की उड़ी नींद !

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Gujrat Election: गुजरात में 28 सालों से बीजेपी का राज है और जानकार कहते हैं कि ये वो राज्य है जहां पर मोदी जी की जान बसती है…वो कहते हैं कि राजा की जान तोते में बसती है…उसी तरह से…2022 में यहां क्या होगा…क्या एक बार फिर से बीजेपी सरकार बनाएगी या फिर कांग्रेस 2017 के चुनाव में हुई चूक न करते हुए इतिहास लिखेगी…चलिए इसे समझने की कोशिश करते हैं…

Gujrat Election: गुजरात में 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 1995 के बाद से सबसे कम सीटें मिलीं…इस चुनाव में बीजेपी को सिर्फ 99 सीटें मिली थीं और कांग्रेस और बीजेपी में सीटों का अंतर थआ सिर्फ 22…बीजेपी ने इस चुनाव में 49% वोट यानी लगभग आधे वोट हासिल किए थे…लेकिन ये पूरी कहानी का सिर्फ एक हिस्सा है…कह सकते हैं कि सिक्के का एक पहलू…सिक्के का दूसरा पहलू बहुत अहम है…अहम या यूं कहिए वो पहलू जिसमें कांग्रेस सरकार बना सकती थी…2017 के चुनाव में भूपेंद्र सिंह चुडासमा और सौरभ पटेल जैसे पूर्व मंत्रियों और इस तरह के कई बीजेपी नेता बहुत कम मार्जिन से जीते थे…36 सीटें ऐसी थीं जिसमें जीत हार का अंतर 5,000 वोटों से कम था. मतलब अगर इस अंतर को कांग्रेस पाट लेती तो सरकार कांग्रेस की बनती…


इन 36 सीटों में 16 सीटें बीजेपी को मिली थीं और 18 सीटें कांग्रेस के खाते में गई थीं…जबकि दो ऐसी सीटें थीं जहां पर इंडिपेंनडेंट कैंडिडेट जीते…अभी मेरी बात खत्म नहीं हुई…क्योंकि आगे की कहानी और भी दिलचस्प है…2017 के चुनाव में 63 सीटें ऐसी थीं जहां जीत हार का अंतर 10 हजार से कम था…इस बार बीजेपी ने जो टिकट बांटे हैं…उसमें बहुत से ऐसे लोगों को टिकट मिला है जो पहले बहुत मामूली अंतर से जीते थे…इन मामूली अंतर से जीते कैंडिडेट में बहुत से कैंडिडेट ऐसे भी हैं जो बाद इस बार आम आदमी पार्टी से जुड़े हैं…अब मैं आपको कुछ उदाहरण देता हूं….जैसे गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल अभी विसनगर से विधायक हैं…इस बार भी टिकट मिला है…पिछले चुनाव में ये सिर्फ 2800 वोटों से जीते थे….सी के राउलजी गोधरा से विधायक हैं इस बार भी टिकट मिला है, सीके राउलजी जी के बारे में एक बात और भी आप जान लीजिए…ये उस जेल सलाहकार समिति में थे जिसने बिलकिस बानो मामले के दोषियों को छूट दी थी…राउल जी 2017 में सिर्फ 258 वोटों से जीते थे…इसमें एक और नाम है खाद्य और नागरिक आपूर्ति राज्य मंत्री गजेंद्रसिंह परमार का जो प्रांतिज से मैदान में हैं…और बाबूभाई बोखिरिया जो पोरबंदर से विधायक हैं…ये दोनों भी इस बार मैदान में हैं…


ये फेहरिस्त लंबी है…इसमें एक नाम और है…चिमन शपरिया का…चिमन शपरिया को भाजपा ने जामजोधपुर सीट से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया है… 2007 में उसी निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस से केवल 17 वोटों से ये जीते थे…. 2017 में इन्हें हार का मुंह देखना पड़ा…भाजपा के सूत्रों ने कहा कि पार्टी के ‘जीतने की क्षमता’ पर जोर को देखते हुए कुछ दिग्गजों को हटाना पड़ा है…इसी तरह की सीट है ढोलका विधानसभा….ये वो सीट है जहां पिछले इलेक्शन में बीजेपी सिर्फ 722 वोटों से हारी थी….एक और सीट जिसके बारे में बात करना जरूरी है….वो सीट है कपराडा की…ये आरक्षित सीट है और यहां पर 2017 में जीत हार का अंतर सिर्फ 170 वोट का रहा था….एक आदिवासी नेता जीतू चौधरी यहां से जीते थे…बीजेपी ने इस बार भी उन्हें टिकट दिया है…इसी तरह एक और सीट है मातर विधानसभा सीट…जहां से केसरीसिंह सोलंकी सिर्फ 2406 वोटों से जीते थे…यहां मुसलमानों की पिटाई का मामला सामने आया था अक्टूबर में….

राजपीपला (एसटी) सीट भी ऐसी ही है जहां जीत हार बहुत कम अंतर से होती है…नंदोद सीट भी अहम है क्योंकि ये इलाका स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को कवर करता है और यहां पर निर्दलीय उम्मीदवार आदिवासी नेता हर्षद वसावा ने मुकाबला दिलचस्प कर दिया है…इसके अलावा दर्जनभऱ सीटें और हैं जो बीजेपी के लिए चिंता का विषय बनी हुई हैं….इस बार के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों इन सीटों पर फोकस कर रही हैं…63 और 36 को जोड़ें तो नंबर आता है 99…यानी पिछले चुनाव में 99 सीटें ऐसी थीं जहां जीत हार का अंतर 10 हजार से कम था…और बीजेपी को इस चुनाव में 99 सीटें ही मिली थीं…यानी 2022 में जो पार्टी इन 99 सीटों के गणित को सैट कर लेगी वो गुजरात में गुल खिलाएगी…इस बार क्योंकि आम आदमी पार्टी भी कुछ सीटों पर वोट कटवा की भूमिका में उतर रही है तो ये भी संभव है कि वो इस सीटों पर खेल कर दे…

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