ज्ञानवापी मामला: अब ऐसे पता लगाई जाएगी शिवलिंग की उम्र, धांसू प्लान तैयार

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ज्ञानवापी मामला (Gyanvapi mamla): ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मौजूद संरचना की कार्बन डेटिंग (what is carbon dating) की मांग वाली याचिका को स्वीकार कर लिया है। याचिका हिंदू पक्ष की तरफ से दायर की गई थी, जिनके मुताबिक मस्जिद परिसर में मौजूद संरचना शिवलिंग है।

ज्ञानवापी मामला अब राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है और कोर्ट इस मामले में बिल्कुल भी कोताही बरतने के मूड में नहीं है. इसीलिए 22 सितंबर को वाराणसी की एक जिला अदालत ने परिसर में मौजूद संरचना की कार्बन डेटिंग की मांग वाली याचिका को स्वीकार कर लिया है। याचिका हिंदू पक्ष की तरफ से दायर की गई थी, जिनके मुताबिक मस्जिद परिसर में मौजूद संरचना शिवलिंग है।

ज्ञानवापी मामले में याचिकाकर्ता कार्बन डेटिंग की तकनीक से कथित शिवलिंग की उम्र जानना चाहते हैं, ताकि यह स्थापित हो सके कि ‘शिवलिंग’ मस्जिद के अस्तित्व में आने के बहुत पहले से अपनी जगह पर मौजूद था। कोर्ट ने नोटिस जारी कर कार्बन डेटिंग को लेकर अन्य पक्षों की राय जाननी चाही है। याचिका पर सुनवाई 29 सितंबर 2022 को होनी है।

ज्ञानवापी मामला कार्बन डेटिंग से पता चलेगी शिवलिंग की उम्र?

कार्बन डेटिंग एक व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाला तकनीक है, जिसका उपयोग कार्बनिक पदार्थों की आयु को पता लगाने के लिए किया जाता है। इस तकनीक की खोज साल 1949 में शिकागो यूनिवर्सिटी के विलियर्ड लिबी ने की थी। इसकी मदद से सबसे पहले एक प्राचीन लकड़ी की उम्र का पता लगाया गया था। विलियर्ड लिबी को इस खोज के लिए साल 1960 में केमिस्ट्री के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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