द्रौपदी मुर्मू : एक तीर से कई शिकार करना चाहती है BJP, यह है प्लानिंग?
झारखंड की पूर्व राज्यपाल और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है. इसके कई राजनीतिक मायने भी है.
एनडीए गठबंधन के द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने लिखा, “श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी ने अपना जीवन समाज की सेवा और गरीबों, दलितों के साथ-साथ हाशिए के लोगों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित कर दिया है. उनके पास समृद्ध प्रशासनिक अनुभव है और उनका कार्यकाल उत्कृष्ट रहा है. मुझे विश्वास है कि वे हमारे देश की एक महान राष्ट्रपति होंगी.”
भारत के राष्ट्रपति चुनाव में 29 जून तक नामांकन, 18 जुलाई को मतदान और 21 जुलाई को नतीजा आएगा. सत्ताधारी बीजेपी के अगुआई वाला गठबंधन एनडीए और विपक्ष ने राष्ट्रपति उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू का मुकाबला विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा से होगा. द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला और आदिवासी राज्यपाल थीं. यहां से सेवानिवृति के बाद वे अपने गृह राज्य ओड़िशा के मयूरभंज जिले के रायरंगपुर में रहती हैं. यह उनके पैतृक गांव बैदापोसी का प्रखंड मुख्यालय है. वे झारखंड में सबसे लंबे वक़्त (छह साल से कुछ अधिक वक़्त) तक राज्यपाल रहीं.
द्रौपदी मुर्मू के बारे में
- द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले की रहने वाली हैं और आदिवासी समुदाय से आती हैं.
- उन्होंने एक शिक्षक के रूप में शुरुआत की और फिर ओडिशा की राजनीति में प्रवेश किया.
- साल 1997 में पार्षद का चुनाव जीतकर वे ओडिशा में रायरंगपुर की उपाध्यक्ष बनीं.
- इसी साल उन्हें बीजेपी के एसटी मोर्चा का राज्य उपाध्यक्ष चुना गया था.
- वे मयूरभंज के रायरंगपुर से बीजेपी की टिकट दो बार विधायक (2000-2009) बनीं.
- द्रौपदी मुर्मू 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल भी रह चुकी हैं.
द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति बन सकती हैं. वह एनडीए की उम्मीदवार हैं और एनडीए मतों के मामले में जीत के क़रीब है. अपनी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद उन्होंने स्थानीय मीडिया से कहा : “मैं आश्चर्यचकित हूँ और ख़ुश भी क्योंकि मुझे राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाया गया है. मुझे टेलीविजन देखकर इसका पता चला. राष्ट्रपति एक संवैधानिक पद है और मैं अगर इस पद के लिए चुन ली गई, तो राजनीति से अलग देश के लोगों के लिए काम करूंगी. इस पद के लिए जो संवैधानिक प्रावधान और अधिकार हैं, मैं उसके अनुसार काम करना चाहूंगी. इससे अधिक मैं फ़िलहाल और कुछ नहीं कह सकती.”
साल 1979 में भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से बीए पास करने वाली द्रौपदी मुर्मू ने अपने पेशेवर करियर की शुरुआत ओड़िशा सरकार के लिए क्लर्क की नौकरी से की. तब वह सिंचाई और ऊर्जा विभाग में जूनियर सहायक थीं. बाद के सालों में वह शिक्षक भी रहीं. उन्होंने रायरंगपुर के श्री अरविंदो इंटिग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर में मानद शिक्षक के तौर पर पढ़ाया. नौकरी के दिनों में उनकी पहचान एक मेहनती कर्मचारी के तौर पर थी. उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर बीजेपी ने एक तीर से कई शिकार करने की कोशिश की है. एक तो इससे आदिवासी वोटों पर असर पड़ेगा और दूसरा ओड़िशा चुनाव में भी बीजेपी मजबूती से अपना झंडा गाड़ने की कोशिश कर रही है. इस निर्णय से वहां पर भी पार्टी की पकड़ मजबूत हो सकती है.
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