Maharastra politics crisis: अगर ऐसा हुआ तो एकनाथ शिंदे का प्लान चौपट भी हो सकता है

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महाराष्ट्र में सत्ता लड़ाई (Maharastra politics crisis) का आज पांचवा दिन जारी है। एकनाथ शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे गुट के बीच सियासी घमासान बढ़ गया है।

एकनाथ शिंदे उद्धव को सिर्फ पार्टी से नही बल्कि सत्ता से भी निकाल फेकना चाहते हैं। लेकिन गौरतलब बात यह है कि क्या सच में एकनाथ शिंदे उद्धव को इतनी आसानी से सत्ता से निकाल फेक सकते हैं?

क्या एकनाथ शिंदे कर पाएंगे शिवसेन पर कब्ज़ा-

(Maharashtra politics crisis) एकनाथ शिंदे के लिए शिवसेना पर कब्जा करना मतलब दांतो तले चने चबाने जैसा है। पार्टी को अपना बनाने के लिए शिंदे को सिर्फ विधायकों और सांसदों को ही नहीं बल्कि पार्टी के आधे से ज्यादा एमएलसी,पार्षद,मेयर, डेप्युटी मेयर, जिला पदाधिकारियों ,लोकसभा सांसद व राज्यसभा सांसद को भी संपूर्ण समर्पण से अपनी तरफ करना होगा, जोकि कोई आसान बात नहीं है। एकनाथ शिंदे को यह काम करने के लिए लोहे के चने चबाने पड़ेंगे। सूत्रों के अनुसार, अभी तक मात्रा 40 विधायक, 40 पार्षद व कुछ संसद, शिंदे के संपर्क में हैं। इतने कम लोगों की संख्या के साथ शिंदे के लिए कुर्सी पर कब्जा करना बहुत कठिन है।

 

क्या है पार्टी सिंबल की भूमिका-

शिंदे गुट के करीब 37 विधायकों ने डिप्टी स्पीकर और राजपाल को खत लिखकर एकनाथ शिंदे को शिवसेना विधायक दल का नेता बताया है, वही दूसरी ओर इस प्रतिक्रिया के बदले उद्धव ठाकरे ने भी डिप्टी स्पीकर से सिफारिश कर अजय चौधरी को शिवसेना विधायक दल का नेता नियुक्त करवा दिया है। अब दोनों ही गुट की इस प्रतिक्रिया के बाद यह कह पाना मुश्किल है, कि शिवसेना पर असली अधिकार किसका है। औपचारिक रूप से शिवसेना उसी की मानी जायेगी जिसके पास पार्टी का सिंबल (तीर कमान) होगा ।आप को बता दे कि जब भी किसी पार्टी के सिंबल को लेकर विवाद (Maharashtra politics crisis) छिड़ता है तब इसका फैसला लेने

का अधिकार चुनाव आयोग व विधानसभा के स्पीकर को ही होता है।

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