EVM में धांधली करके चुनाव जीत सकती है BJP? 9 पॉइंट्स में समझिए

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EVM में धांधली की शिकायत को लेकर उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है ये संभव नहीं. दरअसल सपा मुखिया अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर प्रश्न खड़े किए थे.

क्या EVM में धांधली हो सकता है? यह सवाल उत्तर प्रदेश में बहुत सारे लोगों के जहन में है. मंगलवार को समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने ईवीएम को लेकर सरकार और प्रशासन पर कई तरह के संदेह जताए थे. हालांकि प्रशासन ने अखिलेश यादव के आरोपों को ख़ारिज कर दिया है. यह पूरा विवाद शुरू कैसे हुआ और क्या सपा मुखिया के आरोपों में दम है?

दरअसल मंगलवार को वाराणसी दक्षिण सीट के काउंटिंग सेंटर के बहार समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने एक गाड़ी को रोका, जिसमे ईवीएम ले जाई जा रही थीं. सोशल मीडिया पर इससे जुड़े कई सारे वीडियो वायरल हो गए, जिसमे सेंटर के बाहर भारी तादात में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने गाड़ी को रोक कर उसकी हवा निकाल दी और ईवीएम उठा कर दिखाते हुए विरोध प्रदर्शन करने लगे.

EVM में हेरफेर को लेकर अखिलेश ने क्या कहा?

इस ख़बर के वायरल होने के बाद अखिलेश यादव ने लखनऊ में प्रेस कॉऩ्फ्रेंस कर ईवीएम से धांधली और छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए कहा कि, “2017 में 47 सीटें ऐसी थीं जो भाजपा 5000 से कम फासले से भाजपा जीती है. जो आज  बनारस में देखने को मिला है, जहाँ ईवीएम ले जाई जा रही थीं, एक ट्रक पकड़ा गया, दो ट्रक लेकर भाग गए.” लेकिन क्या यह संभव है कि स्टोन ग्रुप में हेरफेर किया जा सके और ईवीएम में धांधली हो सके?

स्ट्रांग रूम कितना सुरक्षित?

  1. स्ट्रॉन्ग रूम का मतलब है कि वैसा कमरा जहाँ की सुरक्षा अचूक है.
  2. मतदान के बाद ईवीएम स्ट्रॉन्ग रूम में रखी जाती है और इनकी सुरक्षा के लिए चुनाव आयोग पूरी तरह से चाक-चौबंद रहता है.
  3. देश भर की स्ट्रॉन्ग रूम में ईवीएम की सुरक्षा चुनाव आयोग तीन स्तरों पर करता है.
  4. केंद्रीय बल स्ट्रॉन्ग रूम के भीतर की सुरक्षा देखते हैं जबकि बाहर की सुरक्षा राज्य पुलिस बलों के हाथों में होती है.
  5. स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा की निगरानी ज़िले के डीएम और एसपी के हाथों में होती है.
  6. स्ट्रॉन्ग रूम की सीलिंग के वक़्त राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि मौजूद रहते हैं. इन प्रतिनिधियों को भी अपनी तरफ़ से सील लगाने का प्रावधान होता है.
  7. अगर किसी स्ट्रॉन्ग रूम कोई दूसरी एंट्री है, वो चाहे खिड़की ही क्यों न हो तो इसे सुनिश्चित करना होता है कि इससे किसी की पहुंच स्ट्रॉन्ग रूम तक ना हो.
  8. स्ट्रॉन्ग रूम के एंट्री पॉइंट पर सीसीटीवी कैमरा होता है. सुरक्षा बलों के पास एक लॉग बुक होती है जिसमें हर एंट्री का टाइम, तारीख़, अवधि और नाम का उल्लेख अनिवार्य रूप से करना होता है. वो चाहें पर्यवेक्षक, एसपी, राजनीतिक पार्टी, प्रत्याशी, एजेंट या कोई अन्य व्यक्ति हो.
  9. अगर काउंटिंग हॉल स्ट्रॉन्ग रूम के पास है तो दोनों के बीच एक मज़बूत घेरा होता है ताकि स्ट्रॉन्ग रूम तक कोई चाहकर भी पहुंच न सके.

यूपी में ईवीएम के साथ क्या हो रहा है?

अखिलेश यादव के आरोपों के बाद ईवीएम में धांधली का मामला फिर से उछल गया है और लोग नियमों की बात कर रहे हैं. यहां आपको बता दें कि अगर काउंटिंग हॉल और स्ट्रॉन्ग रूम के बीच ज़्यादा दूरी है तो दोनों के बीच बैरकेडिंग होनी चाहिए और इसी के बीच से ईवीएम काउंटिंग हॉल तक पहुंचनी चाहिए. वोटों की गिनती के दिन अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगाए जा सकते हैं. स्ट्रॉन्ग रूम से काउंटिंग हॉल तक ईवीएम ले जाने को रिकॉर्ड किया जाएगा ताकि कोई फेरबदल ना हो. स्ट्रॉन्ग रूम और काउंटिंग हॉल की लोकेशन को लेकर भी कई मानक हैं.

बेसमेंट, उसके पास कोई छत, किचन या कैंटीन, पानी टंकी और पंप रूम नहीं होने चाहिए. इसके अलावा सभी प्रत्याशियों को लिखित में सूचित किया जाता है कि वो अपने प्रतिनिधि को भेजकर सुनिश्चित हो जाएं कि स्ट्रॉन्ग रूम सुरक्षित है. इतनी सख्त सुरक्षा के बीच ईवीएम को लाया ले जाया या रखा जाता है.

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