राजस्थान पुलिस की नींद हराम, गधों के चक्कर में पूरा अमला हलकान

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राजस्थान पुलिस इन दिनों बहुत परेशान है. पुलिस की परेशानी की वजह है गधे. जी हां आप हैरान होंगे लेकिन सच्चाई यही है. राजस्थान में हनुमानगढ़ जिले के लोग पुलिस पर आरोप लगा रहे हैं कि पुलिस गधों की चोरी की वारदात ने रोक नहीं पा रही.

हनुमानगढ़ ज़िले के नोहर तहसील के खुईयाँ थाना क्षेत्र के कई गांवों में दस दिसंबर से ही गधे चोरी होने की शिकायतें लगातार थाने पहुंच रही हैं. कुछ दिन तक सुनवाई नहीं हुई तो स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ चरवाहों ने 28 दिसंबर को गधों की तलाश की मांग करते हुए खुईयाँ थाने पर धरना दे दिया. हालात यह हैं कि गधों ने पुलिस को सभी काम छोड़ने पर मजबूर कर दिया है. गधों की तलाश के लिए पुलिस की टीमें बनाई गई हैं. और पुलिस ने सभी लोगों को यह हिदायत दी है कि अपने गधों को घरों में रखें.

हनुमानगढ़ पुलिस ने लोगों को आश्वासन दिया है कि 15 दिनों के भीतर जिन लोगों के गधे चोरी हुए हैं उनको वापस कर दिया जाएंगे. स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में करीब 76 गधे चोरी हो गए हैं जिनका कोई सुराग नहीं लग पाया है. नोहर के डिप्टी एसपी विनोद कुमार ने बताया, पहली बार ऐसा हुआ है. दो-तीन जगहों से गधे चोरी की सूचना आई है. किसी के चार और किसी के पांच गधे चोरी हुए हैं.

नोहर के लोगों का कहना है कि गधे चोरी होने की घटना की शुरुआत 9 दिसंबर से हुई. तब से अब तक यह घटनाएं रुक नहीं रही हैं. नोहर तहसील के मन्द्रपुरा, कानसर, देवासर, नीमला, जबरासर, राईकावाली, नीमला, जबरासर समेत अन्य गांवों से गधे चोरी हुए हैं. पुलिस के लिए सबसे ज्यादा परेशानी की बात यह है कि वह चोरी हुए गधों को तलाशने के बाद जब कुछ गधों को पकड़कर थाने लाती है तो गधे का मालिक कहता है यह उसके गधे नहीं है.

पुलिस के सामने चोरी हुए गधों की पहचान का संकट भी खड़ा हो गया है. नोहर और भादरा तहसीलों के अधिकतर गांवों में चरवाहों के पास बड़ी संख्या में पशु हैं. एक चरवाहे के पास तीन सौ तक पशु होते हैं. और हर एक गांव में हज़ारों की संख्या में पशु हैं. गधे यहां के लोगों के लिए बहुत मददगार हैं. चरवाहे जब भेड़, बकरियों के सैकड़ों के झुंड को चराने ले जाते हैं, उस दौरान गधे पर अपने खाने, पानी, कपड़े जैसा ज़रूरत का सामान लाद देते हैं.

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ये चरवाहे अकसर कई ज़िलों से होते हुए तीन से चार महीने का सफ़र कर अपने गांव लौटते हैं. इस दौरान इनका सारा सामान इन्हीं गधों पर इनके रेवड़ (भेड़, बकरियों के झुंड) के साथ ही चलता है.

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