कोरोना महामारी ने रोजगार छीना और महंगाई बढ़ाई, 10 करोड़ परिवारों का जिंदा रहना मुश्किल

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कोरोना महामारी (Corona pandemic) ने 10 करोड़ मजदूरों को गरीबी की गहरी खाई में धकेल दिया है. संयुक्त राष्ट्र (United nation) की एक नई रिपोर्ट से पता चलता है कि कोरोना वायरस (coronavirus) महामारी के दौरान नौकरियों (employment) के नुकसान ने “पांच साल की प्रगति” को नष्ट कर दिया है.

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) (international labour organisation) की ओर से बुधवार को जारी एक रिपोर्ट कहती है कि वैश्विक संकट (global crisis) के कारण 2022 तक बेरोजगारों (unemployed) की संख्या बढ़कर 20 करोड़ 50 लाख हो जाएगी, और गरीबों की संख्या में बढ़ोतरी होने के साथ-साथ विषमता भी बढ़ेगी. आईएलओ का कहना है कि रोजगार के अवसरों में होने वाली बढ़ोतरी साल 2023 तक इस नुकसान की भरपाई नहीं कर पाएगी.

कोरोना महामारी (coronavirus pandemic) का असर जो लंबे समय तक तकलीफ देगा

गरीबी अभिशाप है लेकिन बदकिस्मती है कि कोरोना महामारी ने करोड़ों लोगों को अभिशप्त कर दिया है. कोरोना महामारी के कारण उपजे अड़चन का अनौपचारिक क्षेत्र में काम कर रहे, दो अरब श्रमिकों पर विनाशकारी असर हुआ है. साल 2019 के मुकाबले, अतिरिक्त 10 करोड़ 80 लाख श्रमिक अब ‘गरीब’ या ‘बेहद गरीब’ की श्रेणी में हैं. संगठन का अनुमान है कि अगले साल तक वैश्विक बेरोजगारी बढ़कर 20 करोड़ 50 लाख हो जाएगी. 2019 में यह संख्या 18 करोड़ 70 लाख थी.

कोरोना महामारी से जुड़ा International labour organisation की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

आईएलओ की 164 पन्नों की “विश्व रोजगार और सामाजिक परिदृश्य: रूझान 2021” नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 (covid-19) महामारी से श्रम बाजार में पैदा संकट खत्म नहीं हुआ है और नुकसान की भरपाई के लिए रोजगार वृद्धि कम से कम 2023 तक नाकाफी होगी. रिपोर्ट कहती है कि महिलाओं के लिए 2020 में रोजगार के अवसरों में पांच फीसदी की गिरावट आई, जबकि पुरुषों के लिए यह आंकड़ा करीब चार फीसदी रहा. रिपोर्ट में दावा किया गया, “कामकाजी गरीबी उन्मूलन की दिशा में पांच साल की प्रगति बेकार चली गई.”

कोरोना महामारी नहीं आती तो क्या होता? Corona mahamari nahin aati to kya hota

संयुक्त राष्ट्र (United nation) की श्रम एजेंसी ने अनुमान लगाया कि अगर दुनिया में महामारी नहीं आती तो करीब तीन करोड़ नई नौकरी पैदा हो सकती थी, लेकिन महामारी के कारण कई छोटे व्यवसाय दिवालिया हो गए हैं या गंभीर कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. इन कठिनाइयों से उबरने में लंबा समय लगेगा लेकिन मौजूदा परिस्थितियां जो इशारा कर रही हैं वह डराने वाले हैं.

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