लद्दाख में Pangong झील पर भारत और चीन की सेना के पीछे हटना शुरू

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चीनी रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को एलान किया कि पूर्वी लद्दाख में Pangong झील के दक्षिण और उत्तरी किनारों पर सीमावर्ती सैनिकों ने हटना शुरू कर दिया है. चीन के राष्ट्रीय रक्षा के मंत्रालय के प्रवक्ता सीनियर कर्नल Wu Qian द्वारा दिए गए और चीन के आधिकारिक मीडिया में छपे बयान पर भारतीय तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.

पिछले साल 15 जून में लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीन की सेना के बीच हिंसक झड़प हुई. इसमें भारत के 20 जवानों के शहीद हुए थे. कई घायल भी हुए. चीन के सैनिकों द्वारा यह हमला पत्थरों, लाठियों और धारदार हथियारों से किया गया. ​इस झगड़े की शुरुआत चीन की तरफ से हुई, जब बातचीत के बाद उसे पीछे हटाया जा रहा था. भारतीय सेना के ऑफिसर टीम के साथ गलवान वैली में पीपी-14 पहुंचे, जहां से चीनी सैनिकों को पीछे हटना था.

चीन और भारत की सेनाएं पिछले साल मई से तनाव गतिरोध में हैं. दोनों देशों ने इस गतिरोध का समाधान करने के लिए कई दौर की सैन्य और राजनियक स्तर की बातचीत की है. 24 जनवरी को Moldo-Chushul बॉर्डर मीटिंग प्वॉइंट की चीनी तरफ पर चीन-भारत सेना कमांडर स्तर की बैठक का नौवां दौर हुआ था. अब इस बात की जानकारी रक्षा मंत्री ने भी दी है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में कहा कि पैगोंग लेक इलाक़े से दोनों पक्ष सेना हटाने के लिए तैयार हो गए हैं. इससे पहले चीन ने बुधवार को इसकी घोषणा की थी.

राजनाथ सिंह ने कहा, ”मुझे सदन को यह बताते हुए ख़ुशी हो रही है कि हमारे दृढ़ इरादे और टिकाऊ बातचीत के फलस्वरूप चीन के साथ पैंगोंग लेक के उत्तर और पश्चिमी तट पर सेना के पीछ हटने का समझौता हो गया है.” राजनाथ सिंह ने कहा, ”पैंगोंग लेक इलाक़े में चीन के साथ सैनिकों के पीछे हटने का जो समझौता हुआ है उसके अनुसार दोनों पक्ष आगे की तैनाती को चरणबद्ध, समन्वय और प्रामाणिक तरीक़े से हटाएंगे.”

राजनाथ सिंह ने कहा, ”मैं इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि इस बातचीत में हमने कुछ भी खोया नहीं है. सदन को यह जानकारी भी देना चाहता हूं कि अभी भी LAC पर तैनाती और पट्रोलिंग के बारे में कुछ विवाद बचे हैं. इन पर हमारा ध्यान आगे की बातचीत में रहेगा. दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि द्विपक्षीय समझौते और नियमों के तहत सैनिकों के पीछे हटने की पूरी प्रक्रिया जल्द से जल्द निपटा लिया जाए. चीन भी देश की संप्रभुता की रक्षा के हमारे संकल्प से अवगत है. यह अपेक्षा है कि चीन द्वारा हमारे साथ मिलकर बचे हुए मुद्दों को हल करने का प्रयास किया जाएगा.”

राजनाथ सिंह ने कहा, ”मैं इस सदन से आग्रह करना चाहता हूं कि मेरे साथ संपूर्ण सदन हमारी सेना की इन विषम और भीषण बर्फ़बारी की परिस्थितियों में भी शौर्य एवं वीरता के प्रदर्शन की प्रशंसा करे. मैं सदन को यह भी बताना चाहता हूं कि भारत ने चीन को हमेशा यह कहा है कि द्विपक्षीय रिश्ते दोनों पक्षों के प्रयास से ही विकसित हो सकते हैं, साथ-साथ सीमा के प्रश्न को भी बातचीत के ज़रिए हल किया जा सकता है.”

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