उत्तराखंड में आपदा क्यों आई, किसने बरती लापरवाही?

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उत्तराखंड की सुरंग में फंसे 34 लोगों को निकालने के लिए सेना और अर्धसैनिक बल के करीब 800 जवान दिन-रात जुटे हुए हैं. ग्लैशियर टूटने से आई बाढ़ की वजह से करीब 200 लोग लापता हो गए, जिनमें से 34 शव बरामद हुए है.

Uttarakhand Glacier Disaster : तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की सुरंग में टनों गाद और मलबा आने के कारण बचाव अभियान में आ रही मुश्किलों को देखते हुए उसमें फंसे 30-35 लोगों को ढूंढने के लिए ड्रोन तथा रिमोट सेंसिंग उपकरणों की मदद ली जा रही है. मौके पर मौजूद उत्तराखंड पुलिस के मुख्य प्रवक्ता और पुलिस उप महानिरीक्षक नीलेश आनंद भरणे ने बताया, ‘इस समय हमारा सारा फोकस हमारे पास उपलब्ध सभी संसाधानों जैसे ड्रोन और रिमोट सेंसिंग उपकरणों की मदद से सुरंग के अंदर फंसे लोगों को बचाना है.’

आपदा की इनसाइड स्टोरी

रविवार को ऋषिगंगा घाटी में पहाड़ से गिरी लाखों मीट्रिक टन बर्फ के कारण ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में अचानक आयी बाढ़ से 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना पूरी तरह तबाह हो गयी थी जबकि बुरी तरह क्षतिग्रस्त 520 मेगावाट तपोवन—विष्णुगाड परियोजना की सुरंग में काम कर रहे लोग उसमें फंस गए . उसके बाद से ही वहां लगातार सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) और राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) द्वारा लगातार बचाव और तलाश अभियान चलाया जा रहा है . तपोवन दैवीय आपदा का आज पांचवा दिन है. वर्तमान में एसडीआरएफ की आठ टीमों सहित अनेक राहत बचाव बल अभियान में शामिल हैं. रैणी गांव से श्रीनगर तक खोजबीन जारी है. ड्रोन ओर मोटरबोट से भी खोज की जा रही है. डॉग स्क्वार्ड टीम भी मौके पर है. अलकनंदा के तटों पर बायनाकुलर से भी सर्च अभियान जारी है.

आपदा का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल
चमोली में 7 फरवरी को आई आपदा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसमें साफ दिख रहा है कि किस तरह जलस्तर बढ़ने के बाद नदियों ने रास्ते में पड़ने वाली हर चीज को तबाह कर दिया. इस वीडियो में कुछ वर्कर्स यहां बने बांध पर पानी और मलबे से बचने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वो बच नहीं पाए.

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