बाइडन सरकार ने कहा कुछ ऐसा कि खुश हो गई मोदी सरकार
अमेरिका में जो बाइडन के हाथ में सत्ता आने के बाद से भारत में यह कयास लगाए जा रहे थे ट्रंप के बाद भारत और अमेरिका के रिश्ते हैं क्या नया रूप लेंगे. क्योंकि ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ का नारा देकर पीएम मोदी एक बड़ी कूटनीतिक गलती तो कर चुके थे लेकिन अब ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि अमेरिका भारत के साथ रिश्ते बेहतर करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने मीडिया से बात करते हुए इस बात के संकेत दिए हैं की बाइडन सरकार भारत के साथ किस तरह के रिश्ते रखना चाहती है. उन्होंने कहा, ”भारत अमेरिका का हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अहम सहयोगी है. हम भारत के एक अग्रणी विश्व शक्ति के तौर पर उभरने और इस इलाक़े में सुरक्षा प्रदान करने वाले देश के तौर पर स्वागत करते हैं.” नेड ने ये भी कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात की है. बीते 14 दिनों में दोनों मंत्रियों के बीच ये दूसरी बातचीत है. दोनों देशों के नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत-अमेरिका के सहयोग की अहमियत सहित क्षेत्रीय विकास पर भी चर्चा की.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता प्राइस ने बताया, ”दोनों ही देशों ने क्वार्ड और अन्य तरीक़ो से क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने पर ज़ोर दिया. साथ ही कोविड-19 और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए प्रतिबद्धता ज़ाहिर की.” उन्होंने कहा, ब्लिंकन ने म्यांमार में हुए तख़्तापलट और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अनदेखी पर चिंता व्यक्त की है. एक सवाल के जवाब में प्राइस ने कहा कि ”भारत-अमेरिका की वैश्विक सामरिक भागीदारी ना सिर्फ़ व्यापक है बल्कि बहुआयामी भी है. हम कई मोर्चों पर उच्च-स्तरीय सहयोग को आगे बढ़ाएँगे. हमें यक़ीन है कि हमारी साझेदारी और रिश्ते आने वाले वक़्त में और भी गहरे होंगे.”
नेड प्राइस ने ये भी कहा कि भारत अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापार सहयोगी बना रहेगा. साल 2019 में दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ कर 146 बिलियन डॉलर हो चुका है. व्यापार और राजनयिक ,संबंधों के इतर प्राइस ने भारत और अमेरिका के बीच एक दिल का रिश्ता बताया. उन्होंने कहा- ”इस देश (अमेरिका) में 40 लाख भारतीय-अमेरिकी रहते हैं, जो अब अमेरिका को अपना घर मानते हैं. वो अपने समाज और देश की गर्व से सेवा करते हैं.” इसके अलावा अमेरिकी कंपनियाँ भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का सबसे बड़ा ज़रिया हैं.
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