बिहार की लड़ाई में पीएम मोदी ने तेजस्वी को चुना दुश्मन, कहा- ‘जंगलराज का युवराज’
बिहार में पहले चरण की वोटिंग खत्म हो गई है और राजनीतिक दल दूसरे चरण के लिए दमखम दिखा रहे हैं. पीएम मोदी पूरी तरह से फॉर्म में हैं और उन्होंने तेजस्वी यादव को दुश्मन चुना है. यानी लड़ाई नीतीश बनाम तेजस्वी नहीं बल्कि तेजस्वी बनाम मोदी हो गई है.
बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्य मुक़ाबला नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए और तेजस्वी के नेतृत्व वाले गठबंधन के बीच भले ही हो लेकिन आमने सामने तेजस्वी और पीएम मोदी हैं. महागठबंधन के युवा चेहरे तेजस्वी की चुनावी सभाओं में हो रही भीड़ शायद पीएम मोदी को खल रही है और इसीलिए उन्होंने एनडीए के चेहरे नीतीश कुमार को किनारे कर के चुनाव कैंपेन की बागडोर अपने हाथों में थाम ली है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान बिना नाम लिए राष्ट्रीय जनता दल के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव पर प्रहार किया. प्रधानमंत्री मोदी ने मुज़फ़्फ़रपुर में एक चुनाव सभा में कहा, “आप कल्पना कर सकते हैं, एक तरफ महामारी हो और साथ ही जंगलराज वाले राज करने आ जाएं तो ये बिहार के लोगों पर दोहरी मार की तरह हो जाएगा. जंगलराज के युवराज से बिहार की जनता पुराने ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर और क्या अपेक्षा कर सकती है.”
उन्होंने कहा,”ये समय हवा-हवाई बातें करने वालों को नहीं, बल्कि जिनके पास अनुभव है, जो बिहार को एक गहरे अंधेरे से निकालकर यहां लाए हैं, उन्हें दोबारा चुनने का है.” बिहार में बुधवार को पहले चरण में 243 में से 71 सीटों के लिए मतदान हो चुका है. और अब बारी दूसरे चरण की है. पहले चरण के मतदान के बाद महागठबंधन का उत्साह बढ़ गया है. बिहार कांग्रेस प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने बताया, सभी 71 सीटों से अच्छी खबरें आ रही हैं. इस बार परिवर्तन तय है.
मोदी बनाम तेजस्वी हुआ चुनाव
शुरुआत में जो मुकाबला नीतीश कुमार बनाम तेजस्वी यादव लग रहा था पहला चरण खत्म होते-होते वह तेजस्वी यादव बनाम नरेंद्र मोदी हो गया है. बिहार में छपने वाले तमाम बड़े अखबारों के पहले पन्ने पर एनडीए के जो विज्ञापन छपे हैं उनमें सिर्फ पीएम मोदी का चेहरा है. और इसका सीधा सा मतलब यह है कि बीजेपी यह भांप गई है कि नीतीश को आगे रखकर चुनाव नहीं जीता जा सकता. और इसीलिए हर अखबार में पीएम मोदी छाए हुए हैं.
एनडीए के चुनाव प्रचार अभियान को देखकर ऐसा लगता है कि राज्य में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) का गठबंधन शुरुआती बेहतर स्थिति से फ़िसल कर कड़ी चुनौती में फँसा है. दूसरा पहलू ये कि राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), कांग्रेस और वामपंथी दलों (सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई-एमएल) के ‘महागठबंधन’ में अचानक उछाल देखी जा रही है. पहले चरण के मतदान तक यहाँ कुल मिलाकर एनडीए और ‘महागठबंधन’ के बीच कश्मकश से भरी हुई सीधी टक्कर वाली चुनावी तस्वीर उभरती दिखी है.
क्या है बिहार विधानसभा का चुनावी गणित?
पहले दौर का मतदान जिन विधानसभा क्षेत्रों में हुआ है, वहाँ 2015 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू-आरजेडी वाले तत्कालीन ‘महागठबंधन’ को 46 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. इनमें 25 पर आरजेडी और 21 पर जेडीयू के उम्मीदवार विजयी हुए थे. इस बार भी बदले हुए समीकरण के बावजूद ‘महागठबंधन’ ने उन सीटों पर काफ़ी उम्मीदें लगा रखी हैं. यह भी लगता है कि पहले दौर का मतदान जो संकेत लेकर आया है, उससे बाक़ी दो चरणों में दोनों मुख्य प्रतिद्वंद्वी गठबंधनों के लिए संभावनाओं या आशंकाओं का इशारा मिल गया है.
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