पीएम मोदी करें ये काम तो झटके में खत्म हो जाएगा किसान गुस्सा!

0

क्या कोई ऐसी तरकीब है किसानों का गुस्सा भी खत्म हो जाए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो कृषि बिल पारित कर आए हैं वह भी बने रहें. वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ ने नरेंद्र मोदी सरकार को सुझाव देते हुए कहा है कि ‘वो क्यों ना इन तीन कृषि बिलों के साथ एक और बिल ले आएँ, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के कभी लुप्त ना होने देने की गारंटी देता हो.’ रहें.

संसद के दोनों सदनों से पारित कृषि विधेयकों के ख़िलाफ़ किसान संगठन देशभर में चक्का जाम कर रहे हैं. सरकार ने इन विधेयकों को किसान हितैषी बताते हुए दावा किया है कि इनसे किसानों की आय बढ़ेगी और बाज़ार उनके उत्पादों के लिए खुलेगा. लेकिन किसान सरकार की बात मानने को तैयार नहीं. मोदी सरकार ने अंग्रेजी और हिंदी के अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापन देकर किसानों को यह समझाने की कोशिश की है कृषि बिल उनकी आय को बढ़ाने वाले साबित होंगे लेकिन फिर भी किसानों का गुस्सा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. ऐसे में रेमन मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ का सुझाव क्या सरकार के काम आ सकता है?

वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ ने कहा है की, “मोदी सरकार को एक नया बिल लाने की ज़रूरत है, जो किसानों को एमएसपी (स्वामीनाथन फ़ॉर्मूला, जिसका भाजपा ने 2014 में वादा किया) की गारंटी दे, यह तय हो कि बड़े व्यापारी, कंपनियाँ या कोई ‘नए ख़रीदार’ एमएसपी से कम दाम पर माल नहीं ख़रीद सकेंगे. मुख़्तारी की गारंटी हो ताकि एमएसपी एक मज़ाक़ ना बन जाए और यह नया बिल किसानों के क़र्ज़ को ख़ारिज कर दे- वरना कोई तरीक़ा ही नहीं है जिसके ज़रिए सरकार 2022 तो क्या, वर्ष 2032 तक भी किसानों की आय दोगुनी कर पाए.”उन्होंने कहा, “जब केंद्र सरकार राज्य सरकारों के विषय (कृषि) में अतिक्रमण कर ही चुकी है, तो मोदी सरकार के पास इस बिल को ना लाने का और इसे पास ना कराने का भला क्या कारण होगा?”

https://youtu.be/8dEcxkVIMKY

नरेंद्र मोदी की सरकार लगातार ये कह रही है कि ‘नए कृषि बिल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को समाप्त करने के लिए नहीं हैं.’ किसानों को भरोसा दिलाने के लिए पी साईनाथ का यह सुझाव मानेगी? किसानों को यह डर है कि ‘सरकार कृषि क्षेत्र में भी ज़ोर-शोर से निजीकरण ला रही है, जिसकी वजह से फ़सल बेचने के रहे-सहे सरकारी ठिकाने भी ख़त्म हो जाएँगे. इससे जमाख़ोरी बढ़ेगी और फ़सल ख़रीद की ऐसी शर्तों को जगह मिलेगी जो किसान के हित में नहीं होंगी.’

यह भी पढ़ें:

अपनी राय हमें [email protected] के जरिये भेजें. फेसबुक और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |

About Post Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *