किसान आंदोलन: कृषि बिलों के विरोध में सरकार से संघर्ष के मूड में अन्नदाता
पंजाब में कृषि बिल का विरोध करने वाले 31 किसान संगठनों ने 24 से 26 सितंबर के बीच ट्रेनों को रोकने का आह्वान किया है. एआईकेएससीसी का दावा है कि उनकी संस्था के साथ देश भर के छोटे-बड़े 250 किसान संगठन जुड़े हैं. केवल पंजाब, हरियाणा ही नहीं उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और बिहार के किसान भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होने वाले हैं.
पंजाब के विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों से 25 सितंबर के ‘पंजाब बंद’ को सफल बनाने की अपील की है और बंद को अपना समर्थन दिया है. 25 सितंबर को ‘पंजाब बंद’ के बाद 1 अक्टूबर से ‘अनिश्चितकालीन बंद’ की घोषणा भी की गई है. किसानों के विरोध को देखते हुए रेलवे विभाग ने पंजाब आने वाली ट्रेनों को रद्द कर दिया है. वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग क़रीब पचास सालों तक सत्ता में थे वे आज पूछ रहे हैं कि एमएसपी को लेकर प्रावधान क्यों नहीं बना. वहीं प्रधानमंत्री मोदी पहले ही अलग-अलग कार्यक्रमों में इस विषय पर संसद और दूसरी जगहों पर अपनी राय रख चुके हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन्हें किसानों के लिए रक्षा कवच कह रहे हैं. उधर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए ये किसानों की मौत का फरमान हैं. इससे भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि कृषि से जुड़े और संसद से पारित हो चुके तीन विधेयकों पर राय के जो दो छोर हैं उनके बीच कितना फासला है. देश के कई राज्यों में किसान इन विधेयकों पर गुस्से का इजहार करते हुए सड़क पर हैं और कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी पार्टियां उनके साथ खड़ी हैं. दूसरी तरफ सरकार का कहना है कि विधेयकों में किसानों का बेहतर भविष्य छिपा है और विपक्ष उन्हें बहका रहा है. इन तीनों विधेयकों को सरकार ऐतिहासिक बता रही है. मसलन कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि यह किसानों के लिए बंधनों से मुक्ति है.
सरकार के मुताबिक यह कानून किसानों के लिए अधिक विकल्प खोलेगा, उनकी विपणन यानी बेचने की लागत कम करेगा और अपनी फसल की बेहतर कीमत वसूलने में उनकी मदद करेगा.
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