भगवान कृष्ण से भी लाखों साल पहले पृथ्वी पर मौजूद एक कछुए के बारे में जान लीजिए!

भगवान कृष्ण तो पृथ्वी पर पांच हजार साल पहले आए थे. लेकिन हम आपको एक ऐसे कछुए के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में कहा जा रहा है कि वो पृथ्वी पर करीब 1.1 करो़ड साल पहले रहता था. जर्मनी में इस कछुए के होने के प्रमाण मिले हैं.

जर्मनी में एक शहर है जिसका नाम है हैम्बर्ग यहां ग्रोसल पाम्पाउ नाम की जगह पर खुदाई में एक आदिजीवी के अवशेष मिले हैं. ऐसा माना जा रहा है कि ये अवशेष करीब 1.1 करोड़ साल पुराने हैं और ये एक समुंद्री कछुआ है. जो शोधकर्ता यहां खुदाई कर रहे थे उन्हें कुछ कुछ अंदाजा जरूर था कि उनके हाथ क्या आने वाला है. लेकिन इतना कुछ खास हाथ लगेगा इसका अंदाजा नहीं था. आपको बात दें कि जर्मनी का ग्रोस पाम्पाउ श्लेषविस होलश्टाइन प्रांत के लाउएनबुर्ग जिले में स्थित है और ये इलाका जीवाश्म वैज्ञानिकों में काफी लोकप्रिय है. वहां पिछले 30 सालों से अक्सर व्हेल, सील और दूसरे समुद्री जीवों के लाखों साल पुराने अवशेष मिलते रहे हैं.
शोधकर्ताओं को मिली बड़ी कामयाबी

इस इलाके में इस बार खुदाई के दौरान विशालकाय समुद्री कछुए के सैकड़ों टुकड़े और हड्डियां मिलीं हैं. खुदाई करने वाली टीम के प्रमुख गेरहार्ड होएफनर का कहना है कि ‘हड्डियां संभवतः कम से कम दो मीटर लंबे कछुए की हैं.’ जिस जगह पर ये अवशेष मिले हैं वहां शोधकर्ताओं ने हफ्तों तक बड़ी ही बारीकी से खुदाई की थी. शोधकर्ता चाहते थे कि अवशेषों को कोई नुकसान न पहुंचे. अब इन अवशेषों को जर्मनी के उत्तरी प्रांत श्लेसविष होलश्टाइन के लुइबेक शहर के प्राकृतिक संग्रहालय में लोगों के देखने के लिए रखा जाएगा.
शोधकर्ताओं को ये सारे अवशेष जमीन के अंदर आठ से 20 मीटर की गहराई में मिले हैं. जानकारों का कहना है कि येअवशेष प्राचीन काल के उत्तरी सागर की जैव विविधता को दिखाते हैं. उनका कहना है कि खासकर जीवाश्म बन चुके प्राचीन कछुए के अवशेषों का मिलना विरले ही होता है क्योंकि मृत जीवों के अवशेषों को अक्सर शिकारी मछलियां खा जाती हैं और उनका सख्त कवछ पानी में गल जाता है.
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