#TheCandidates: ‘पॉलिटिक्स पॉवर देती है और पॉवर से लोगों की परेशानियां दूर कर सकते हैं’

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“मैं चंद्रशेखर जी को पढ़कर बड़ा हुआ हूं. मुझे लगता है कि राजनीति में युवाओं को कठपुतली बनने से बचना चाहिए. मैं नेतागीरी के साथ में खेती भी करता हूं और जानता हूं कि किसान होना कितना मुश्किल है. मैं अगर राजनीति में कामयाब हुआ तो किसानों की समस्याएं मेरी प्राथमिकता होगी.”

TheCandidates: श्रावस्ती में समाजवादी पार्टी के युवा नेता नृपेंद्र कलहन खुद एक किसान हैं और किसानों की समस्याओं को पुरजोर तरीके उठाते हैं. नृपेंद्र ने जनसंचार की पढ़ाई की है और वो चाहते हैं कि वो अपने क्षेत्र में लोगों के काम आएं. 2017 के विधानसभा में उनका रुझान राजनीति की तरफ बढ़ा. उस दौरान उन्होंने समाजवादी विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए समाजवादी पार्टी का झंडा उठाया और अब वो गिलौला ब्लॉक में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने की तैयार कर रहे हैं. नैपुरा में रहने वाले नृपेंद्र मानते हैं कि पॉलिटिक्स पॉवर देती है और पॉवर ही हर समस्या का समाधान है.

नृपेंद्र बताते हैं कि मैं राजनीति में करीब 3 साल से हूं. 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद मेरा रुझान राजनीति की ओर बढ़ा. मैंने जनसंचार की पढ़ाई की है. मैं राजनीति में अपनी इच्छा से हूं और खेतीबाड़ी करता हूं. मेरा परिवार भी खेती से जुड़ा है. आज के समय में किसानी सबसे बड़ी चुनौती है. मैं ‘जय किसान, जय जवान और जय नौजवान’ बोलता हूं.

हमारे यहां किसान और नौजवानों की हालत खराब है. मैं कोई बहुत बड़ा किसान नहीं हूं. लेकिन पिता जी का सहयोग है. वो कहते हैं कि खेती के साथ राजनीति करो. और समाज से जुड़ो.

उन्होंने बताया कि कोरोना का असर किसानों पर बहुत पड़ा है. किसानों पर प्रकृति और कोरोना दोनों ने असर किया है. हमारे यहां गेंहू की फसल अच्छी होती है. बीते साल एक बीघा खेत में 3 से 4 कुंवटल गेंहूं होता था. लेकिन इस बार मौसम की मार पड़ने की वजह से आधी पैदावार घटी है. किसानों की सरसों की फसल भी बर्बाद हो गई है. तीन बीघा में 15 किलों सरसों पैदा हुई है.

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राजनीति में आने के सवाल पर वो बताते हैं कि ‘मैं राजनीति में इसलिए आया हूं कि किसानों की समस्याओं को दूर कर पाऊं. मैं जानता हूं कि राजनीति बड़े से बड़े ताले को खोलने की कुंजी है. राजनीति पॉवर देती है. और पॉवर से सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं. मैं आपको बता दूं कि मेरे इलाके में करीब 34 हजार की आबादी है. यहां मैं जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लडना चाहता हूं. हमारे यहां पर शिक्षा की कमी है. मैं आपको बता दूं कि मेरे पिता जी ने एक बार कहा था कि मैं भले ही अपने बेटे को विरासत न दूं लेकिन उसे पढ़ाऊंगा.

श्रावस्ती में शिक्षा के बड़े बुरे हाल हैं. हमारे यहां कोई डिग्री कॉलेज नहीं है. कोई अच्छा स्कूल नहीं है. हमारे जिले में लाखों युवा बेरोजगार हैं. और शिक्षा और स्वास्थ्य के बुरे हाल हैं. मैं युवाओं को संगठन से जोड़ने के लिए काम कर रहा हूं. यूथ को हम संगठन के अनुशासन की वजह से जोड़ने के लिए काम कर रहे हैं. मैं यूथ में आत्मचेतना पैदा कर रहा हूं. क्योंकि हमारी जिम्मेदारी है समाज के प्रति. और मैं चाहता हूं कि युवाओं के भीतर हमारे भीतर आत्मचेतना पैदा हो.

श्रावस्ती जिले में रोटी, रोजगार और शिक्षा के प्रसार के सवाल पर नृपेंद्र कहते हैं कि इन बुनियादी चीजों की भारी किल्लत है. समाजवाद कहता है कि समाज में हर वर्ग बराबर है. मैं अपने क्षेत्र में नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को जागरुक कर रहा हूं. मैं अभिनय के माध्यम से लोगों को स्थानीय मुद्दों के बारे में बताता हूं. और उन्हें जागरूक कर रहा हूं. इससे हमारे क्षेत्र में काफी असर हुआ है. दूसरा शिक्षा की बात. शिक्षा के प्रति हम पूरी तरह से काम कर रहे हैं. लोगों को हम बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित कर रहा हूं.

https://www.youtube.com/watch?v=rsELUlJ20Fk

मैं घर घर जाकर लोगों से जाकर मिलता हूं. कोरोना के समय में हम लोगों को जागरुक कर रहे हैं. मैं लोगों को जोड़कर अपने क्षेत्र में ये बताने की कोशिश कर रहा हूं कि कोरोना से कैसे बचें? मैं चंद्रशेखर जी को पढ़कर बड़ा हुआ हूं. और मैं समझता हूं कि राजनीति में जनसेवा के साथ ये भी जरूरी है कि समाज के हर वर्ग को साथ रखें. लेकिन हमें ये भी डर है कि हम किसी के हाथ की कठपुतली ना बन जाएं. मैं मोदी जी की बड़ी बड़ी बातों से प्रभावित नहीं होता. मैं अखिलेश जी के साथ इसलिए हूं क्योंकि उन्होंने 2012 से 2017 तक विकास किया है. मैंने समाजवाद का झंडा इसलिए उठाया है क्योंकि मैंने देखा है कि अखिलेश जी ने कितना विकास कराया है. इसलिए मैं ये कहना चाहता हूं कि युवाओं को राजनीति में आना चाहिए और अपने विचारों से समाज के लिए कुछ करना चाहिए.

ये रिपोर्ट #TheCandidates सिरीज़ का हिस्सा है. #TheCandidates की रिपोर्ट के ज़रिए हमारी कोशिश उन युवाओं के जीवन में झांकने की है जिन्होंने समाज की सेवा करने के लिए राजनीति करने का फैसला किया, जब राजनीति चंद नेताओं की चकाचौंध में सिमट गई है तब जमीन पर काम करने वाले नेता क्या कर रहे हैं .

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