#TheCandidates: ‘समाजवाद ही देश की हर समस्या का समाधान’

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‘मेरा मानना है कि राजनीति से होकर ही हर रास्ता गुजरता है इसलिये मैंने राजनीति में आने का फैसला किया, और मेरा मकसद सिर्फ लोगों की सेवा करना है.’

कुंवर शोएब राणा बुढ़ाना में अपनी राजनीति जमीन को और उपजाऊ करने में लगे हैं. समाजवादी पार्टी की विचारधारा और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के मार्गदर्शन में वो युवाओं को ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि वो बुढ़ाना में भविष्य की राजनीति के तुर्क साबित होंगे. कुंवर शोएब राणा को राजनीति में विरासत में मिली है. लेकिन विरासत को संभालना भी एक चुनौती है.

राजनीति ऑनलाइन से बात करते हुए कुंवर शोएब राणा ने बताया कि ‘मुझे राजनीति में आए अभी सिर्फ चार साल ही हुए हैं लेकिन मेरे पिता जी काफी समय से समाजवादी पार्टी में रहकर राजनीति कर रहे हैं, और उन्हीं को देखकर मेरे मन में भी राजनीति करने और जन सेवा करने का विचार आया, वैसे तो मैंने वकालत की है, लेकिन हम जिस इलाके से ताल्लुक रखते हैं वहां पर किसानों और छात्रों की समस्याएं विकराल रूप ले चुकी हैं. और उन समस्याओं को मैंने काफी करीब से देखा है और उन्हीं समस्याओं को दूर करने का संकल्प लेकर मैं राजनीति में आया हूं’

कुंवर शोयब राणा राजनीति में आने को लेकर किस्सा बताया, उन्होने कहा कि “मेरे पिता जी हमेशा से ही समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे हैं और उन्होंने प्रदेश में कई अहम पदों पर जिम्मेदारियां संभाली हैं, उनको जब मैं लोगों की समस्याएं सुनते हुए देखता और उसका उचित समाधान करते हुए देखता तो मुझे मन में बहुत सुकून मिलता था, लेकिन अखिलेश यादव जी से हुई एक मुलाक़ात के बाद तो मैंने ये निश्चय कर लिया कि मुझे राजनीति में ही जाना है” शोयब बताते हैं की एक बार किसी काम के सिलसिले में पिताजी को लखनऊ आना हुआ और उस वक़्त प्रदेश में समाजवादी पार्टी की ही सरकार थी, और मुझे अखिलेश यादव से मिलने का मौका मिला, और उस एक मुलाक़ात ने सब कुछ बदल कर रख दिया.

क्योंकि मैंने सिर्फ सुना था की नेता ऐसे होते हैं, नेता वैसे होते हैं, लेकिन इतना बड़ा नेता और बिल्कुल ज़मींन से जुड़ा हुआ, लेकिन उनके पास एक बहुत बड़ा लक्ष्य है और जनता की सेवा करने के लिये वो हम जैसे युवाओं को राजनीति में आने के लिये प्रेरित करते हैं बस उसी दिन से मैनें ठान लिया की मुझे भी अपने पिता के पदचिन्हों पर चलना है राजनीति में ही आना है.

शोयब बताते हैं की अगर ‘मैं राजनीति ना कर रहा होता तो शायद एक अधिवक्ता के रूप में कचहरी में काम कर रहा होता.’

अपने क्षेत्र की समस्याओं के बारे में बताते हुये शोयब कहते हैं, कि ‘यहां पर किसान बहुत परेशान है, साल भर मेहनत करता है और उसकी फसल का वाजिब मूल्य भी उसे नहीं मिल पाता, इसलिये उनकी ये कोशिश रहेगी की आगे आने वाले समय में बुढ़ाना के आस लोगों के लिये वहां पर एक मण्डी की व्यवस्था की जाये, जिससे किसानों को थोड़ी राहत मिले.’

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शोयब राणा कोरोना संकट के इस दौर में राह चलते प्रवासी मजदूरों  के लिये खाने पीने की उचित व्यवस्था कर रहे हैं, साथ ही आस पास के जो गांव हैं जहां पर लोग आर्थिक रूप से कमजोर हैं उनके लिये भी राशन की उचित व्यवस्था कर रहे हैं.

ये रिपोर्ट #TheCandidates सिरीज़ का हिस्सा है. #TheCandidates की रिपोर्ट के ज़रिए हमारी कोशिश उन युवाओं के जीवन में झांकने की है जिन्होंने समाज की सेवा करने के लिए राजनीति करने का फैसला किया, जब राजनीति चंद नेताओं की चकाचौंध में सिमट गई है तब जमीन पर काम करने वाले नेता क्या कर रहे हैं .

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