बोलती रोशनाई : एक शायरा के संघर्ष का सफरनामा
मुद्रक प्रिंटर्स द्वारा प्रकाशित, डॉक्टर फूलकली ‘पूनम’ की किताब ‘बोलती रोशनाई’ का विमोचन
डॉक्टर फूलकली ‘पूनम’ ने जीवन के तमाम उतार-चढ़ाव देखे, गांव देहात के जीवन को करीब से देखा और कठिन परिस्थितियों में से निकलकर संस्कृत से पीएचडी की उपाधि ली. ‘बोलती रोशनाई’ उनकी लिखी गजलों का पहला संग्रह है. इस किताब में उन्होंने अपने गजलों के माध्यम से अपने जीवन पढ़ावों को लेखनी में बांधने की कोशिश की है. किताब के विमोचन के मौके पर डॉक्टर फूलकली ‘पूनम’ की माताजी भी मौजूद रहीं.
देश के प्रख्यात साहित्यकार श्री नरेश सक्सेना ने “बोलती रोशनाई” पुस्तक का विमोचन किया और कहा कि डॉक्टर फूलकली ‘पूनम’ की किताब में लयबद्धता है. उन्होंने कहा ये उनकी पहली किताब लेकिन उनकी लेखनी में गहराई है जो उनकी आगे आने वाली किताबों में और निखर के आएगी.
इस किताब का प्रकाशन मुद्रक प्रिंटर्स ने किया है. और इसमें डॉक्टर फूलकली ‘पूनम’ की गजलों का संग्रह है. डॉ. फूलकली ‘पूनम’ वर्तमान में अमेठी के राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की प्राचार्या हैं. ये किताब में अपने काम से समय निकाल कर पूरा किया है.
किताब के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इस गज़ल संग्रह में प्रेम और यथार्थ की गजलें हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने जीवन में जो जैसा देखा उसे अपनी कलम से लयबद्ध किया है. डॉ. फूलकली ‘पूनम’ ने कहा कि साहित्य सृजन के द्वारा मनुष्य अपने अंतर्मन में छुपे हुए भाव को लेखनी के द्वारा कागज पर उतारता है. कई बार लेखनी से कुछ ऐसे भाव प्रवाहित जो जाते है जो कालजई बन जाते हैं और समाज के लिए हर समय प्रासंगिक होते है.
‘बोलती रोशनाई’ गज़ल संग्रह के विमोचन के मौके पर विशिष्ट साहित्यकार श्री मनीष शुक्ल, प्रो. आसिफा जमानी (डी.लिट), चेयरपर्सन, उर्दू अकादमी, श्री राम मनोहर मिश्र (आई.ए.एस) एवं श्री हीरालाल (आई.पी.एस) ने विशिष्ठ अतिथि के रूप में मौजूद रहे. कार्यक्रम का संचालन सीनियर एडवोकेट आरपी शुक्ला ने किया. कार्यक्रम का संचालन करते हुए उन्होंने कहा कि डॉक्टर फूलकली ‘पूनम’ में तमाम संघर्षों से लड़कर ये मुकाम हासिल किया है. बोलती रोशनाई ग़ज़ल संग्रह के विमोचन के मौके पर IPS श्री हीरालाल ने अपनी दो ग़ज़लों का पाठ भी किया. उन्होंने डॉक्टर फूलकली पूनम की ग़ज़लों की तारीफ की और कहा कि ग़ज़ल संग्रह की कुछ ग़ज़लें यथार्थ के बहुत करीब हैं. इस गज़ल संग्रह को पढ़कर आपको ये अहसास होता है कि जीवन में मंजिल पर पहुंचने के लिए आपको अथक मेहनत करनी होती है और निरंतर सीखना पड़ता है. किसी शायर ने लिखा भी है –
मंजिल मिले या नहीं, मुझे उसका गम नहीं
मंजिल की जुस्तजू में मेरा कारवां तो है.
इसलिए ‘चरैवेति-चरैवति’ का मंत्र अपनाएं और ‘यूं ही चला चल राही’ की तर्ज पर अपना ‘बेस्ट’ देते हुए अपने सपनों की राह पर सही दिशा में पूरी हिम्मत के साथ बढ़ते जाएं. डॉक्टर फूलकली ‘पूनम’ ने अपनी लेखनी के माध्यम से उन तमाम शायरों और लेखकों को प्रेरणा देने का काम किया है जो लिखना तो चाहते हैं लेकिन अपने विचारों और भावों को कागज पर उकेर नहीं पाते हैं.
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