नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने धारा 370 हटाए जाने पर क्या कहा ?

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जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तानी मूल की मानवाधिकार कार्यकर्ता और नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने कश्मीर मुद्दे पर बयान जारी किया है. मलाला ने ट्विटर पर भारत और पाकिस्तान का नाम लिखे बिना कहा कि 7 दशक से चली आ रही कश्मीर समस्या का समाधान संबंधित पक्षों को शांतिपूर्ण तरीके से ढूंढ़ने पर जोर दिया.

मलाला यूसुफजई ने ट्विटर पर शेयर किए गए पोस्ट में चिंता जाहिर की है. मलाला ने कहा कि वह कश्मीरी बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित हैं. मलाला ने कहा है कि वो कश्मीर के लोगों के लिए चिंतित हैं. और इस पूरे विवाद का समाधान शांतिपूर्वक तरीके से निकाला जाना चाहिए. मलाला की तरफ से जारी बयान के अनुसार

कश्मीर के लोग जब मैं बच्ची थी, जब मेरे माता-पिता बच्चे थे और जब मेरे दादा-दादी भी युवा थे तब से ही युद्ध प्रभावित क्षेत्र में रह रहे हैं. पिछले 7 दशक से कश्मीरी बच्चे गंभीर हिंसा के बीच रहने के लिए मजबूर हैं. मैं कश्मीर की फिक्र करती हैं क्योंकि दक्षिणी एशिया ही उनका भी घर है. 1.8 बिलियन आबादी का घर दक्षिणी एशिया है और इनमें कश्मीरी भी हैं। हम अलग-अलग संस्कृति, धर्म, भाषा, खानपान, धर्म और परंपराओं को मानते हैं। मैं मानती हूं कि हम सब इस दुनिया में एक-दूसरे से मिले तोहफों की कद्र कर सकते हैं, एक-दूसरे से बहुत अलग होते हुए भी इस विश्व के लिए कुछ कर सकते हैं।

मलाला इस वक्त लंदन में रह रही हैं और उन्होंने अपने जीवन में जो संघर्ष किया है उसके अनुभव के साथ दुनिया में शांति लाने की दिशा में काम कर रही हैं. मलाला ने ट्विटर पर शेयर अपने नोट में लिखा कि एक-दूसरे को दुख पहुंचाते रहना कोई विकल्प नहीं है. उन्होंने लिखा,

यह जरूरी नहीं है कि हम एक-दूसरे को दुख पहुंचाते रहें और लगातार पीड़ा में रहें। आज मैं कश्मीरी बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंतित हूं। इस हिंसा के माहौल में यही लोग (बच्चे-महिलाएं) ही सबसे दयनीय हालत में हैं और इन्हें भी सबसे ज्यादा युद्ध के भीषण परिणाम झेलने पड़ते हैं। मैं उम्मीद करती हूं कि दक्षिणी एशिया, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और संबंधित पक्ष उनकी (कश्मीरी) तकलीफ को दूर करने के लिए काम करेंगे। हमारे जो भी मतभेद हों, लेकिन मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए हमें साथ आना चाहिए। महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए और 7 दशक से चली आ रही कश्मीर समस्या के समाधान के लिए ध्यान देना चाहिए।

नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित मलाला ने उम्मीद जताई कि 7 दशकों से चल रही कश्मीर में जल्द अमन का माहौल होगा.

कौन हैं मलाला यूसुफजई

मलाला का जन्म 1997 में पाकिस्तान के खैबर पख्‍तूनख्‍वा प्रांत की स्वात घाटी में हुआ. मलाला के पिता का नाम जियाउद्दीन यूसुफजई है. साल 2007 से मई 2009 तक स्वात घाटी पर तालिबानियों ने खूब आतंक मचा रखा था. तालिबान आतंकियों के डर से लड़कियों ने स्कूल जाना बंद कर दिया था. मलाला तब आठवीं की छात्रा थीं और उनका संघर्ष यहीं से शुरू होता है. तालिबान ने 2008 में स्वात घाटी को अपने नियंत्रण में लेने के बाद वहां डीवीडी, डांस और ब्यूटी पार्लर पर बैन लगा दिया. साल के अंत तक वहां करीब 400 स्कूल बंद करा दिए गए.

इसके बाद मलाला के पिता उसे पेशावर ले गए जहां उन्होंने नेशनल प्रेस के सामने वो मशहूर भाषण दिया जिसका शीर्षक था- हाउ डेयर द तालिबान टेक अवे माय बेसिक राइट टू एजुकेशन? तब वो केवल 11 साल की थीं. साल 2009 में उसने अपने छद्म नाम ‘गुल मकई’ से बीबीसी के लिए एक डायरी लिखी. इसमें उन्होंने स्वात में तालिबान के दुष्कर्म का वर्णन किया था.

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