मायावती का भाई-भतीजा प्रेम बसपा को नुकसान पहुंचाएगा ?
बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बड़ा फैसला किया है. मायावती ने अपने भाई और भतीजे को पार्टी में अहम जिम्मेदारियां दीं हैं. रविवार को लखनऊ में हुई जोनल कोऑर्डिनेटरों और सांसदों की बैठक की बैठक की है. बैठक के बाद उन्होंने एलान किया कि उनके छोटे भाई आनंद कुमार को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और भतीजे आकाश को नेशनल कोआर्डिनेटर की जिम्मेदारी दी गई है.
लोकसभा चुनाव में मायावती के भतीजे आकाश कई बार उनके साथ दिखाई दिए थे. तभी से ये कयास लगाए जा रहे थे कि वो अपने भतीजे को राजनीति में लांच करने का मन बना रही हैं. अब उन्होंने इसपर औपचारिक मुहर लगा दी है. चुनाव में सपा के साथ गठबंधन करके बसपा ने यूपी में 10 सीटों पर जीत हासिल की है जो उनकी सौ फीसदी कामयाबी है क्योंकि 2014 में उन्हें एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी. मायावती ने आगामी उपचुनावों में भी सभी 11 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है इससे ये बात तय हो गई है कि वो अपने भाई और भतीजे को बसपा की तीसरी पीढ़ी के तौर पर आगे कर रही हैं.
आनंद कुमार के बारे में जान लीजिए
आनंद कुमार मायावती के छोटे भाई हैं. आनंद नोएडा में क्लर्क की नौकरी करते थे लेकिन बहन के सीएम बनने के बाद उनकी किस्मत बदली और रातों रातों वो अमीर हो गए. उन पर फर्जी फर्जी कम्पनी बनाकर करोड़ों रुपए लोन लेने और पैसे को रियल स्टेट में निवेश कर मुनाफा कमाने का आरोप है. आनंद कुमार नोटबंदी के वक्त में भी चर्चा में आए थे. क्योंकि उस वक्त उनके खाते में 1.43 करोड़ रुपए जमा हुए थे. आनंद के खिलाफ आयकर विभाग और ईडी आय से अधिक संपत्ति मामले में जांच कर रहा है.
आकाश आनंद के बारे में भी जानिए
आकाश आनंद मायावती के भतीजे हैं यानी आनंद के बेटे हैं. आकाश ने लंदन में पढ़ाई की है. बताया जा रहा है कि लंदन के आकाश ने एमबीए की डिग्री ली है और 2017 में बसपा में राजनीति करने के लिए जुड़े. मायावती ने 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव हारने के बाद सहारनपुर की रैली में उन्हें लॉन्च किया था. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भी आकाश मायावती के साथ रैलियों और कार्यक्रमों में नजर आए थे.
क्या बसपा को नुकसान हो सकता है?
अभी तक बसपा ऐसी पार्टी थी जिसके ऊपर भाई भतीजा वाद का आरोप नहीं लगा था. लेकिन अब ये पार्टी भी इसमें शामिल हो गई है. कांशीराम की विरासत संभालने वाली मायावती पिछले कुछ दिनों से अपने पार्टी की जमीन खिसकने के चलते नई तरह की राजनीति कर रही है और आकाश, आनंद इसी का नतीजा है. लेकिन चंद्रशेखर जैसे युवाओं के उभरने से बसपा का कोर वोट बसपा से छिटक सकता है. पिछले दो तीन चुनावों की बात करें तो एस/एसटी वोटों में भी बीजेपी ने सेंध लगाई और मायावती की बिरादरी को छोड़कर बाकी जातियां बसपा से दूर हो रही हैं.
यहां सवाल ये है कि आकाश और आनंद क्या कांशीराम की विचारधारा को मजबूत करने का दम रखते हैं. क्या स्वर्गीय कांशीराम को ये पसंद होता कि उनकी दलितों, वंचितों के लिए बनाई गई पार्टियों में एक परिवार का कब्जा होता जाए और बाकी लोगों को नेतृत्व करने का मौका नाम मिले.