क्यों गलत वजहों से चर्चा में बनी हुई है भारतीय वायुसेना ?
![AN-32 FOUND](https://rajniti.online/wp-content/uploads/2019/06/AN-32.jpg)
इन दिनों भारतीय वायुसेना की गलत कारणों से काफी चर्चा हो रही है. वायुसेना की कमिया और कमजोरियां उजागर होने के बाद ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या हम अपने जाबांज और अनमोल पायलटों को इसी तरह खोते रहेंगे. करीब आठ दिनों से भारतीय वायुसेना अपने लापता हुए एएन-32 को तलाश रही है और इस तलाश के दौरान कई सवाल खड़े हो रहे हैं.
एएन-32 को भारतीय वायुसेना ने सोवियत संघ से खरीदा था. ये काफी अच्छा विमान है लेकिन इसके अपग्रेशन की जरूरत भी लंबे समय से थी जिसे कराया नहीं जा सका है. अब एएन-32 विमान को लेकर भारतीय वायुसेना सवालों के खेरे में है. हालांकि विमान का मलवा तो मिल गया है लेकिन इसमें सवार सेना के जवानों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है. एएन-32 ने बीती तीन जून को असम के जोरहाट से उड़ान भरी थी. उस समय उसमें चालक दल के आठ सदस्यों समेत कुल 13 लोग सवार थे. उड़ान भरने के कुछ देर बाद विमान का संपर्क ज़मीनी नियंत्रण कक्ष से टूट गया. उसे खोजने के लिए वायु सेना ने अपने कई विमानों को लगाया ही, साथ ही थल सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), राज्य पुलिस और स्थानीय लोगों तक की मदद ली. लेकिन विमान नहीं मिला.
अपग्रेड क्यों नहीं कराया गया एएन-32?
विमान को खोजने में नाकाम रहने पर भारतीय वायुसेना ने विमान की जानकारी देने वाले को पांच लाख रुपये देने का ऐलान कर दिया. इस एलान का कुछ फायदा नहीं हुआ और बाद में इस विमान का मलवा बरामद हुआ. अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर ये विमान हादसे का शिकार हुआ क्यों. इस सवाल का जवाब जानने के लिए आपको थोड़ा पीछे लेकर चलते हैं. दरअसल, 2009 में भारत ने अपने एएन-32 विमानों को अपग्रेड करने और उनके परिचालन की समयसीमा बढ़ाने के लिए यूक्रेन से एक समझौता किया था. इस समझौते के तहत एएन-32 आरई विमानों में से 46 में उस समय के दो आधुनिक ईएलटी (विशेष ट्रांसमीटर) लगाए गए थे.
यहां आपको ये भी जान लेना चाहिए कि जो विमान लापता हुआ है वो अपग्रेड नहीं था. उस विमान में टांसमीटर नहीं लगा था. एएन-32 में ‘पुराना’ ‘सार्बे 8’ ट्रांसमीटर लगा हुआ था जिसका उत्पादन 2005 से ही बंद हो चुका है. इसी तरह करीब तीन साल पहले चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर जा रहा एएन-32 विमान ग़ायब हुआ था, जिसका आज तक पता नहीं चला. ये विमान बंगाल की खाड़ी के पास लापता हो गया था. उस विमान में भी चालक दल के सदस्यों समेत 29 लोग सवार थे. अब सवाल ये है कि जो विमान अपग्रेड नहीं है उसका इस्तेमाल वायुसेना क्यों कर रही है. क्यों पायलटों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. ऐसे वक्त में जब राजनीति में सेना का जिक्र कुछ ज्यादा ही होने लगा है तब वायुसेना के पायलटों का इस तरह जान गंवाना ये दिखाता है कि सेना आधुनिक करने की दिशा में कोई व्यापक कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.