क्या नरेंद्र मोदी की मर्जी के खिलाफ अमित शाह को गांधी नगर से टिकट मिला ?

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Modi-Shah-Advani

लोकसभा चुनाव 2019 के लिए बीजेपी उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है. इस सूची में सबसे हैरान करने वाला नाम है बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का. अमित शाह को लालकृष्ण आडवाणी की सीट गांधीनगर से टिकट मिला है. कहा जा रहा है कि ये मोदी नहीं चाहते थे कि अमित शाहर गांधी नगर से चुनाव लड़ें.

1991 में जब आडवाणी ने गांधी नगर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था तब वो राजनीति के उरूज पर थे. सोशल मीडिया पर एक तस्वीर साझा हो रही है जिसमें नामांकन भरते आडवाणी के साथ अमित शाह और नरेंद्र मोदी भी हैं. उस वक्त दौर दूसरा था लेकिन वक्त ने करवट ली और 2019 में आडवाणी इस फ्रेम गायब हो गए. आडवाणी हाशिए पर चले गए और अमित शाह बीजेपी के दूसरे सबसे ताकतवर नेता बन गए. उम्मीदवारों के नाम का जब एलान किया गया तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने पीएम मोदी का नाम पहले बोला, दूसरा अमित शाह, तीसरा जनाथ सिंह और चौथे नंबर पर नितिन गडकरी का नाम आया.

बताया जा रहा है अमित शाह काफी वक्त से गांधीनगर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. खबर हैं कि पहले इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल की बेटी अनार पटेल दावेदार थीं, लेकिन अनार की बात दिल्ली तक मजबूती से नहीं पहुंच सकी. ये तो पहले से ही तय लग रहा था कि 91 साल के आडवाणी का टिकट कटना पहले से ही तय था. लेकिन कुछ नेता ये कह रहे थे कि गांधीनगर से आडवाणी की जगह उनकी बेटी प्रतिभा या बेटे जयंत को गांधीनगर से टिकट दिया जाए. जयंत आडवाणी इस बाबत कुछ बड़े नेताओं से भी मिले थे.

आडवाणी का टिकट कटने के बाद कांग्रेस जो आरोप लगा रही है उसके बाते में बीजेपी के कोर ग्रुप में बैठक हुई थी. कहा तो ये भी जा रहा है कि शुरु में नरेंद्र मोदी अमित शाह को आडवाणी का टिकट काटकर उसी सीट से चुनाव लड़ाने के पक्ष में नहीं थे. पीएम मोदी चाहते थे कि अमित शाह चुनाव प्रचार देखें और लोकसभा चुनाव न लड़ें. लेकिन अमित शाह मन बना चुके थे. खबर तो यहां तक है कि चुनाव समिति की बैठक के बाद अमित शाह और नरेंद्र मोदी के बीच करीब एक घंटे से कुछ कम समय तक अकेले में बैठक हुई थी. बीजेपी का कोर ग्रुप चाहता था कि आडवाणी खुद राजनीति से संन्यास लें. लेकिन शाह नहीं माने. यही कारण था कि संघ से आए रामलाल को आडवाणी के घर भेजा गया कि वो आडवाणी का मनाए.

बीजेपी जिस बदलाव के दौर से गुजर रही है उसकी वजह से मोदी नहीं चाहते थे अमित शाह चुनाव लड़ें. क्योंकि अभी पार्टी में एक ही राज्य के दो नेता ताकतवर हो रहे हैं. और मोदी को ये लग रहा है कि ऐसा होने से बाकी राज्यों के बीजेपी नेता दिक्कत कर सकते हैं. गांधी नगर की सीट बीजेपी की परंपरागत सीट मानी जाती है. इस सीट पर जीतकर आडवाणी गृह मंत्री और फिर उपप्रधानमंत्री पद तक पहुंचे. अब अमित शाह भी कुछ ज्यादा सोच रहे हैं और अगर मोदी दोबारा पीएम बने तो शाह सरकार में कोई बड़ा मंत्रालय ले सकते हैं.

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