अगर ये 3 चीजें नहीं सुधारीं तो बुरी तरह हारेगी कांग्रेस !

0
rahul-gandhi-and-priyanka

11 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान होना है. लोकसभा की 91 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. सभी राजनीतिक दल अपनी ताकत झोंक रहे हैं लेकिन कांग्रेस की तैयारियां पूरी नहीं लगतीं. या यूं कहें कि चुनावी तैयारियां पटरी पर नहीं लौटेंगी.

कांग्रेस के लिए सबकुछ ठीक नहीं है. दिसंबर 2018 में तीन राज्य बीजेपी से छीनने के बाद लग रहा था कि कांग्रेस अब पीछे मुड़कर नहीं देखेगी लेकिन अब लग रहा है कि अभी सुधार की काफी गुंजाइश है. फिर चांहे वो गठबंधन हो, प्रचार-प्रसार हो या फिर मोदी का विकल्प हो. कांग्रेस तीनों मोर्चों पर काफी पीछे है. सबसे पहले प्रचार की बात करते हैं.

प्रचार में पीछे हैं कांग्रेस

बीजेपी जहां अपनी पूरी ताकत के साथ प्रचार में लग गई है वहीं अभी कांग्रेस ये तय नहीं कर पाई है कि उसे प्रचार किस दिशा में करना है. बीजेपी ने कई नारे गढ़ दिए हैं, ‘मोदी है तो मुमकिन है’ जैसे नारे गूंजने लगे हैं वहीं कांग्रेस पीछे है और ‘चौकीदार चोर है’ से काम चला रही है. कांग्रेस बीजेपी से कितना पीछे है आप इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि अभी कांग्रेस ने ये तक तय नहीं किया है कि प्रचार कंपनी कौन सी होगी. कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा को प्रचार समिति का प्रमुख बनाया है. वे किसी नई विज्ञापन एजेंसी को यह काम दिलाना चाहते हैं. वहीं जयराम रमेश किसी जांची परखी प्रचार कंपनी को ये काम दिलाने चाहते हैं. अब जब कांग्रेस प्रचार कंपनी ही तय नहीं कर पाई है तो रणनीति की बात तो छोड़ ही दीजिए.

गठबंधन की खींचतान

कांग्रेस की दूसरी समस्या ये है कि वो ये तय ही नहीं कर पाई रही है कि वो किस राज्य में किसके साथ चुनाव लड़ेगी. दिल्ली और यूपी में तो लंबी बातचीत के बाद में भी नतीजा सिफर ही रहा है. कर्नाटक और तमिलनाडू में गठबंधन में स्पष्टता है लेकिन बाकी राज्यों में अभी बात फाइनल नहीं हुई है. सीटों की संख्या और किस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार लड़ेंगे, इसे लेकर स्पष्टता नहीं है. बिहार और पश्चिम बंगाल में खींचतान चल रही है. कौन कहां से कितनी सीटों पर लड़ेगा ये अभी साफ नहीं हो पाया है.

मोदी का विकल्प

बीजेपी लगातार प्रचार अभियान के माध्यम से ये कह रही है कि देश में मोदी का विकल्प कोई नहीं है. वो राहुल गांधी को मोदी के सामने खड़ा करके उन्हें कमतर साबित करने की कोशिशों में लगी हुई है. नरेंद्र मोदी के सामने राहुल गांधी को खड़ा करके लोगों से अपील कर रही है कि वे किसे चुनना चाहते हैं. देश में राहुल गांधी को लेकर जो माहौल बनाया गया है उससे उबरने में राहुल कामयाब तो हो रहे हैं लेकिन अभी लोगों के परशेप्शन को बदलने में वक्त लगेगा. दूसरी तरफ प्रियंका गांधी राजनीति में आने के बाद जिस तरह चुप हैं उससे लगता है कांग्रेस तय ही नहीं कर पाई है कि करना क्या है.

तो ऐसे में ये बहुत जरूरी हो जाता है कि कांग्रेस जल्द से जल्द इन तीन चुनौतियों से निपटे और पूरी तैयारी के साथ मैदान में आए. क्योंकि अब वक्त नहीं और जितनी देर होगी मोदी उतने ही मजबूत होते जाएंगे. कांगेस तो इन तीनों समस्या का तोड़ निकालना होगा.

About Post Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *