इधर प्रधानमंत्री उपलब्धियां गिना रहे हैं, उधर रिकॉर्ड तोड़ रही बेरोजगारी

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लोकसभा चुनाव को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार रैलियां कर रहे हैं. रैलियों में अपनी सरकार की उपलब्धियां गिन रहे हैं लेकिन चुनाव से पहले बेरोजगारी दर में बढ़ोत्तरी उनके लिए चिंता का सबब बन सकती है. जिस नोटबंदी और जीएसटी को क्रांतिकारी कदम बताया जा रहा था उसकी वजह से 2018 में 110 लाख लोगों की नौकरियां चली गईं.

भारत में बेरोजगारी दल फरवरी 2019 में बढ़कर 7.2 प्रतिशत तक पहुंच गई है. भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र (CMIE) के डेटा के अनुसार, सितंबर 2016 के बाद बेरोजगारी की ये दर अपने चरम पर है. फरवरी 2018 में बेरोजगारी दर 5.9% रही थी. ये दर ऐसे वक्त में बढ़ी है जब इस वक्त रोजगार मांगने वालों की कमी है. फरवरी 2019 में देश के 4 करोड़ लोगों के पास रोजगार होने का अनुमान है, जबकि साल भार पहले यही आंकड़ा 4.06 करोड़ था.

लाखों घरों में किया सर्वे

CMIE ने आंकड़े देश के अलग अलग हिस्सों लाखों घरों का सर्वे करके जमा किए हैं. आपको बता दें कि इस संस्थान के आंकड़ों को सरकारी आंकड़ों से ज्यादा भरोसेमंद माना जाता है. लोकसभा चुनाव से पहले बेरोजगारी दर के आकंड़े सरकार के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं. आपको बता दें पिछली बार जब सरकार ने आधिकारिक डेटा जारी किया था तो उसे आउट-ऑफ-डेट बताया गया था.

नोटबंदी और जीएसटी से गईं नौकरियां

इतना ही नहीं अभी हाल ही में सरकार ने NSSO के डेटा पर सरकार ने रोक लगा दी थी. सरकार ने कहा था कि वो इस डेटा की प्रमणिकता को जांचेगे. लेकिन अब जो CMIE की रिपोर्ट आई है उसमें कहा गया है कि नवंबर 2016 में नोटबंदी और 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद 2018 में 1.1 करोड़ लोगों ने नौकरियां गंवाई हैं. ये आंकड़े ऐसे वक्त में आए हैं जब सरकार ने संसद में बताया है उसके पास ये आंकड़ा नहीं है कि जीएसटी से कितना नुकसना हुआ है.

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