भारतीय सेना का सबसे बड़ा दुश्मन कौन है?
दो युद्ध चल रहे हैं देश में इस वक्त, एक सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच और दूसरा सीमा पर सेना और आतंकवाद बीच वो आतंकवाद जिसे पाकिस्तान का प्रायोजित करता है. भारतीय वायुसेना की एयरस्ट्राइक में कितने आतंकवादी मारे गए इसको लेकर बीजेपी सरकार और विपक्ष दलों के बीच वार पलटवार का दौर चल रहा है. देशद्रोही, राष्ट्रभक्त, देशप्रेम, राष्ट्रद्रोही जैसे शब्द सुनाई दे रहे हैं.
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा 250 आतंकी मारे गए, विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने कहा कि 250 से ज्यादा आतंकी मारे गए. वायुसेना प्रमुख ने कहा कि उनका काम आतंकी गिनना नहीं है. विदेशी मीडिया कह रही है कि आतंकी मारे जाने के सबूत नहीं मिले हैं. विपक्षी दल कह रहे हैं आतंकी मारे गए हैं तो इसका सबूत क्या है? सरकार कह रही है कि सबूत मांगने वाले सेना और देश के दुश्मन हैं.
सेना का दुश्मन कौन ?
तो सवाल ये है कि सेना का दुश्मन है कौन ? वो लोग जो एयरस्ट्राइक में मारे गए 250 आतंकियों का सबूत मांग रहे हैं, वो लोग जिनके साथ सेना की मुठभेड़ लगातार जारी है और सैनिकों की शहादत हो रही है या पाकिस्तान जो आतंकवादियों को भेजकर भारतीय सेना को निशाना बना रहा है. भारतीय सेना का सबसे बड़ा दुश्मन कौन है ?
इसके संदेह नहीं होना चाहिए कि भारतीय सेना के पराक्रम के चर्चे हर जगह है. भारतीय सेना दुनिया के सबसे अच्छी सेनाओं में गिनी जाती है. लेकिन भारतीय सेना के पास जो हथियार हैं वो सबसे रद्दी हथियार माने जाते हैं. पुराने हो चुके लड़ाकू विमान और खस्ता राइफलों के जरिए भारतीय सेना दुश्मन से लड़ रही है.
युद्ध हुआ तो क्या होगा ?
आपको जानकार हैरानी होगी कि फरवरी 2010 से लेकर 2017 तक भारत की सेनाओं के 20 विमान और हेलिकॉप्टर क्रैश हुए हैं. क्रैश होने वाले विमान में C-130J हरक्यूलिस भी शामिल है जिसे भारत ने अमेरिका से खरीदा था. भारत ने 6 हजार करोड़ में अमेरिका की कंपनी से ऐसे 6 विमान खरीदे थे. खरीदने के चार साल बाद इनमें से एक बिना सैन्य ऑपरेशन के ही एक विमान क्रैश हो गया था. इतना ही नहीं रूस से खरीदा गया कार्गो एंतोनोव AN-32 और सुखोई 30 भी बिना सैन्य ऑपरेशन के ही क्रैश हो चुका है.
4 मिग-21, 4 जैगुआर, 2एमआई-17 हेलिकॉप्टर, 2 चीता हेलिकॉप्टर, 2 किरण ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट, 1 मिराज, 1 बीएई सिस्टम हॉक जैसे विमान 2010 से 2017 के बीच क्रैश हुए. भारतीय वायुसेना मिग-21 और जैगुआर के ऐसे विमानों का इस्तेमाल करती है जिन्हें दुनिया के ज्यादातर देशों ने रिटायर कर दिया है. हैरत की बात ये है कि 1964 से लेकर अभी तक भारतीय वायुसेना के करीब 400 मिग-21 क्रैश हो चुके हैं.
हाईटेक होने की जरूरत
क्रैश हुए मिग-21 में बड़ी संख्या उन विमानों की है जो शांतिकाल में क्रैश हुए. कारगिल की जंग में भारतीय सेना के 2 मिग क्रैश हुए थे. एक विमान को पाकिस्तानी सेना ने निशाना बनाया था और दूसरे मिग-27 का इंजन खराब हो गया था. कारगिल के 20 साल बाद 2019 में भारतीय मिग 21 ने पाकिस्तानी विमान का पीछा किया और एक मिग-21 क्रैश हो गया. यही कारण था कि भारतीय पायलट अभिनंदन वर्तमान को पाकिस्तानी सेना ने हिरासत में ले लिया था.
न्यूयार्क टाइम्स ने इसको लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है. रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय वायुसेना ने अपना विमान उस देश के खिलाफ खोया है, जिसकी सेना उसकी आधी और सैन्य बजट एक चौथाई से कम है.
“भारतीय वायुसेना में 42 स्वाड्रन हैं. फिलहाल इनमें से 30 ही सक्रिय हैं. 2022 तक सक्रिय स्क्वॉड्रनों की संख्या 24 रह जाएगी.” एक स्क्वॉड्रन में 16 से 18 लड़ाकू विमान होते हैं.”
रिपोर्ट कहती है कि अगर भारत किसी देश के साथ युद्ध शुरु करता है तो भारतीय सेना के पास सिर्फ 10 दिन का गोला बारूद है. भारतीय सेना के पास जो उपकरण हैं उनमें से 68% काफी पुराने हैं. न्यूयार्क टाइम्स ने ये भी छापा है कि उनकी संसदीय रक्षा समिति के सदस्य और सांसद गौरव गोगोई से बात हुई तो उन्होंने कहा है,
“हमारी सेनाओं के पास आधुनिक हथियार नहीं हैं, लेकिन उन्हें 21वीं सदी के सैन्य ऑपरेशन करने पड़ते हैं.”भारतीय रक्षा विशेषज्ञ ये मानते हैं कि भारत के पास हाईटेक हथियारों की कमी है. भारतीय सेना भी ये मानती है कि,
आपको ये भी बता दें कि ये हालात करीब तीन दशकों से ऐसे ही हैं. फिर चांहे सरकार कांग्रेस की रही हो या बीजेपी की. किसी भी सरकार ने सेना के आधुनिकीकरण के कदम नहीं उठाए. हां सेना के नाम पर राजनीति वक्त वक्त पर होती रही है.
अभी हाल ही में अमेठी पहुंचकर पीएम मोदी ने एके-203 का कारखाना लगाने का एलान किया है. कलाश्निकोव कंपनी की यह असॉल्ट राइफल, इंसास (इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम) की जगह लेगी.
भारतीय सेना की गिनती दुनिया की दूसरी बड़ी फौज के तौर पर होती है. एक ऐसी फौज जिसे कई मोर्चों पर जंग लड़नी होती है. पाकिस्तान, चीन और आतंकवादियों से तो हमेशा हालात तल्ख ही रहते हैं. अब ज़रा सोचिए कि भारतीय सेना के पास जो हथियार हैं उनकी हालत क्या है. मनमोहन सरकार हो या फिर मोदी सरकार किसी ने भी सेना उन्नत करने के लिए व्यापक कदम नहीं उठाए हैं.
दोनों ही सरकारें सेना के उन्नत हथियार विकसित करने और उनकी खरीद के लिए तेज और पारदर्शी प्रक्रिया खोजने पाने में नाकाम रही हैं. मोदी सरकार भले ही आज सेना को लेकर संवेदनशील बात करती हो और कहती हो कि सेना को उन्होंने छूट दी है लेकिन सच्चाई ये है कि भारत में सेना को सैन्य साजोसामान मुहैया कराने में सभी सरकारें नाकाम रही हैं.