प्रॉफिट मार्जिन कैप हटाने से क्या सस्ता हो जाएगा कैंसर का का इलाज ?

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देश में करीब 42 फीसदी परिवारों ने कैंसर के इलाज के लिए रिश्तेदारों या दोस्तों से उधार लिया, जमीन बेची, गहने बेचे. ये बात एक रिसर्च के माध्यम से सामने आई है. कैंसर के बढ़त मामलों के बीच इसकी महंगी दवाइयां चिंता का विषय हैं.

भारत में ड्रग प्राइसिंग अथॉरिटी ने 42 एंटी-कैंसर दवाओं पर प्रॉफिट-मार्जिन कैप लगाया है, लेकिन लोग इससे बहुत खुश नहीं हैं. मरीजों के अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं ने कहा है कि इस कदम से समीति असर होगा. नेशनल फ़ार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने कहा कि

मार्जिन पर 30 प्रतिशत कैप में 72 फॉर्मूलेशन और 355 ब्रांड की दवाएं शामिल होंगी, जिनका इस्तेमाल सर्वाइकल कैंसर, स्तन कैंसर, फेफड़ों के कैंसर और ल्यूकेमिया के इलाज के लिए किया जाता है. 8 मार्च से ये प्रभावी होगा

“NPPA ने कहा है कि 105 ब्रांडों की कीमतों में 25% से 70% से ज्यादा कमी होगी. 45 ब्रांडों की कीमतें 25% तक घट जाएंगी, 43 ब्रांडों की कीमतें 25% घटकर 50% हो जाएंगी, 12 ब्रांडों की कीमतें 50% घटकर 70% हो जाएंगी और 5 ब्रांडों की कीमतें 70% कम हो जाएंगी

एक तरफ NPPA का कहना है कि इससे कैंसर से जूझ रहे लोगों को फायदा पहुंचेगा लेकिन वहीं इसको लेकर जानकारों का कहना है कि इससे सीमित फायदा होगा. दवाईयों की कीमतों में कटौती सीमित है लिहाजा बहुत ज्यादा फायदा नहीं होगा. जानकारों का ये भी कहना है कि 105 में से सिर्फ 45 ब्रांडों की कीमतों में कमी आएगी.

अब सवाल ये है कि कैंसर की दवाईयां इतनी महंगी हैं तो सिर्फ 45 ब्रांडों पर मार्जिन कैप लगाने से कितना फायदा होगा. सभी जानते हैं कि कैंसर की दवाईयां महंगी होती हैं और स्तन कैंसर के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाई ट्रेस्टुजुमाब की MRP 58,000 रुपये है लेकिन इस दवाई में अस्पताल 25,000 हजार रुपये कमा लेते हैं. इस लूट को खत्म करने की जरूरत है.

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