फिरोजाबाद: क्या शिवपाल ध्वस्त करेंगे सपा का अक्षय ‘दुर्ग’!
समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के बीच फंसी लोकसभा सीट है फिरोजाबाद. ये तय है कि 2019 में इस लोकसभा सीट पर भिड़ंत दिलचस्प होगी. सीट का सिकंदर कौन होगा ये तो बाद में तय होगा लेकिन अभी खबर ये है कि यहां शिवपाल चुनाव लड़ रहे हैं. सपा किसे उतारे शिवपाल के सामने ये सवाल है. क्योंकि अक्षय यादव यहां से सांसद हैं और शिवपाल के सामने उन्हें मुश्किल हो सकती है.
रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव यहां से सांसद हैं. अक्षय ने यहां से 2014 में तब चुनाव जीता था जब मोदी की आंधी में क्षत्रप ढेर हो गए थे. लेकिन अक्षय समाजवादियों का किला बचाने में कामयाब रहे. 2019 में अक्षय के लिए हालात आसान नहीं रहने वाले. चाचा शिवपाल ताल ठोंक दी है.
जिले के हरिओम यादव जैसे बड़े नेताओं में के बीच उनकी पकड़ है और इसका फायदा शिवपाल की पार्टी को मिलेगा. हरिओम यादव शिवपाल यादव की पार्टी ज्वाइन कर चुके हैं और सपा के लिए झटका माना जा रहा है.
मुलायम को संभालनी पड़ रही है कमान
शिवपाल ने पहले भी ऐसे संकेत दिए हैं कि वो फिरोजाबाद से क्यों लड़ रहे हैं. यही कारण है कि मुलायम सिंह यादव, अखिलेश, रामगोपाल यादव और अक्षय यादव ने फिरोजाबाद के नगला छबरैया पहुंचकर वोटरों को संदेश देने की कोशिश की थी. कारगिल शहीद सम्मान समारोह में जुटी भारी भीड़ के सामने मुलायम सिंह यादव ने अक्षय यादव का हाथ उठवाकर चुनाव जिताने की अपील की थी.
शिवपाल भी पीछे हटने को तैयार नहीं
समाजवादियों के कुनबे के बंटवारे के बाद फिरोजाबाद सीट पर दो तरफा जंग होने के आसार हैं. भले ही मुलायम सिंह यहां पर अक्षय को चुनाव जिताने की अपील कर रहे हों लेकिन शिवपाल यादव ने भी फिरोजाबाद में अपना शक्ति प्रर्दशन किया है. जिले के वो वरिष्ठ नेता जो अपने आपको सपा में अपमानित महसूस कर रहे थे और उन्होंने शिवपाल का साथ देने का फैसला किया है.
यादव कुनबे की रार का फायदा उठाएगी BJP
शिवपाल यादव की सक्रियता और पुराने समाजवादियों की नाराजगी का फायदा बीजेपी उठाना चाहती है. बीजेपी के सभी विधायक इस दिशा में काम कर रहे हैं. और वो उस सीट पर फतेह हासिल करने की पूरी कोशिश करेंगे
जहां के मतदाता अपनी पर आने के बाद डिंपल यादव को भी हरा चुके हैं. 1999 से ये सीट सपा के पास रही है. 2009 में जरूर यहां पर कांग्रेस के राजबब्बर ने जीत दर्ज की थी. लेकिन सपा को ये बात भी नहीं भूलनी चाहिए कि यहां पर 2014 में बीजेपी दूसरे नंबर पर रही थी और उसे 39 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले थे.
एसपी सिंह बघेल ने यहां अक्षय को कड़ी चुनौती दी थी. हो सकता है बीजेपी यहां अब नई रणनीति और शिवपाल फैक्टर का फायदा उठाए.