अबकी बार, कर्ज़दार ‘सरकार’
31 जनवरी से बजट सत्र शुरू हो रहा है. उम्मीद की जा रही है कि मोदी सरकार अपने आखिरी बजट में लोकलुभावन घोषणाएं कर सकती है. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि मोदी इस बजट में हर वर्ग को साधने की कोशिश करेंगे. लेकिन क्या ये उम्मीद पूरी होगी. क्योंकि ख़बर ये आ रही है कि राजकोषीय घाटा बढ़ रहा है. और पीएम मोदी के साढ़े 4 साल के कार्यकाल में भारत सरकार पर 49 % का कर्ज बढ़ा है
केंद्र सरकार के कर्ज पर स्टेटस रिपोर्ट का आठवां संस्करण जारी होने के बाद ये खुलासा हुआ. रिपोर्ट के मुताबिक बीते साढ़े चार सालों में सरकार पर कर्ज 49 फीसदी बढ़कर 82 लाख करोड़ रुपये हो गया है. वित्त मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें,
जून, 2014 में सरकार पर कुल कर्ज 54 लाख 90 हजार 763 करोड़ रुपये था, जो सितंबर 2018 में बढ़कर 82 लाख 03 हजार 253 करोड़ रुपये हो गया. पब्लिक डेट में 51.7% की बढ़ोतरी की वजह से कर्ज बढ़ा है. है, पब्लिक डेट साढ़े चार सालों में 48 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 73 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है. मोदी सरकार में मार्केट लोन 47.5% बढ़कर 52 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो रहा है. जून 2014 के आखिर तक गोल्ड बॉन्ड के जरिए कोई डेट नहीं रहा.
सरकार सालाना स्टेटस रिपोर्ट के जरिए केंद्र पर कर्ज के आंकड़ों को पेश करती है. ये प्रक्रिया 2010 में शुरू हुई थी. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार राजकोषीय घाटे को खत्म करने के लिए मार्केट-लिंक्ड बारोइंग्स की मदद ले रही है. सरकार को उम्मीद है कि आने वाले समय में राजकोषीय घाटा कम होगा और अच्छे दिन आएंगे.